हाइलाइट्स
- एक महिला ने अपने पति के लंग्स ट्रांसप्लांट के खर्चे में सरकार से मदद मांगी है
- उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका देकर पीएम केयर फंड से सहायता राशि देने की मांग की
- महिला ने कहा है कि लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए अस्पताल 1 करोड़ रु. का खर्च बता रहा है
- सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल प्रबंधन से पूछा कि क्या इलाज का यह खर्च कुछ कम हो सकता है?
सुप्रीम कोर्ट में एक महिला ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि उनके पति का कोविड के बाद इलाज के लिए पीएम केयर फंड से सहायता दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने अस्पताल से कहा है कि वह देखे कि क्या इलाज का खर्च कुछ कम हो सकता है क्या?
महिला की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट का सुझाव
सुप्रीम कोर्ट में महिला ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि उनके पति का लंग्स का ट्रांसप्लांट होना है। ऐसे में उन्हें पीएम केयर या स्टेट रिलीफ फंड से एक करोड़ रुपये की सहायता दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान महिला के पति जिस अस्पताल में भर्ती हैं, उस अस्पताल प्रशासन से कहा है कि वह देखे कि क्या इलाज के खर्च में कुछ कमी हो सकती है।
हम निर्देश नहीं दे रहे, बस अपील है: सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने हालांकि यह साफ किया है कि वह अस्पताल को निर्दश जारी नहीं कर रही है बल्कि सिर्फ कहना चाहती है कि क्या इस मामले में कुछ राहत पर विचार हो सकता है। क्या इलाज का खर्च कम किया जा सकता है? अस्पताल की ओर से पेश एडवोकेट श्रीनिवास राव से सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह मामले में कागजात देखें और बातएं कि अस्पताल ने लंग्स ट्रांसप्लांट के लिए जो खर्च बताया है, क्या उसमें चार्ज में कोई कमी हो सकती है। बेंच ने वकील से कहा, ‘आप अस्पताल को बताएं कि हम निर्देश नहीं दे रहे हैं लेकिन उन्हें कहें कि खर्च कम करने पर वो विचार करें।’
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सोमवार को अगली सुनवाई
इस दौरान अस्पताल की ओर से पेश वकील ने कोर्ट को बताया कि मरीज की स्थिति ठीक हो रही है और अगर स्वास्थ्य में सुधार जारी रहा तो हो सकता है कि लंग्स के प्रत्यर्पण की जरूरत न पड़े। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, ‘ये तो अच्छी बात है। आप हमें अगले हफ्ते अवगत कराएं अगर स्थिति बेहतर होती है। साथ ही आप अस्पताल से निर्देश लेकर आएं कि क्या वह इलाज के खर्च में कोई छूट दे सकता है। हम सोमवार को अगली सुनवाई करेंगे।’
याचिका में संवैधानिक प्रावधानों का हवाला
महिला ने अपनी अर्जी में सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि उनके पति का इलाज भोपाल एम्स में ईसीएमओ मशीन नहीं होने के कारण नहीं हो पाया तो उन्हें एयर लिफ्ट करके आईएमएस हॉस्पिटल, सिकंदराबाद में भर्ती कराया गया है। याची ने कहा है कि पति को वित्तीय सहायता न देना संविधान के अनुच्छेद 14 एवं अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है। राज्य की जिम्मेदारी है कि वह अपने नागरिकों को पर्याप्त स्वास्थ्य सुरक्षा मुहैया कराए और कोविड जैसे संकट में यह जिम्मेदारी खास मायने रखती है।
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सुप्रीम कोर्ट जजमेंट का भी दिया हवाला
याचिकाकर्ता ने अपनी दलील में परमानंद कटारा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया केस में सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट का हवाला दिया। इसमें कहा गया है कि लोगों के जीवन की रक्षा करना राज्य की जिम्मेदारी है। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार के सॉलिसिटर जनरल से पूछा था कि क्या केंद्र कुछ कर सकता है? अगली सुनवाई 16 अगस्त को होगी।
सुप्रीम कोर्ट।