हाइलाइट्स
- कालकाजी मंदिर में नवरात्रि के दिनों में आता है सबसे ज्यादा चढ़ावा
- मासिक आय 1 करोड़ से ढाई करोड़ रुपये तक पहुंच जाती है
- मंदिर परिसर और आसपास के क्षेत्र को लेकर हाई कोर्ट ने दिए निर्देश
दिल्ली के ऐतिहासिक मंदिरों में शुमार कालकाजी मंदिर और उसके आसपास के इलाकों का हाल देखकर शायद इस बात पर यकीन न हो कि मंदिर की मासिक आय एक करोड़ से ढाई करोड़ की है। इसका खुलासा हुआ दिल्ली हाई कोर्ट के सामने, जो इस मंदिर से जुड़े तमाम तरह के विवादों पर सुनवाई कर रहा है। मंदिर के महत्व और उससे जुड़ी श्रद्धालुओं की आस्था को देखते हुए हाई कोर्ट ने इसके ‘कायाकल्प’ का आदेश दिया है।
कैसे होगा मंदिर का कायाकल्प
यह कैसे होगा और कौन-कौन सी एजेंसियां इसमें शामिल होंगी, उसका पूरा खाका जस्टिस प्रतिभा एम सिंह के 27 सितंबर को जारी एक 71 पन्नों के आदेश में दर्ज है। सबसे पहला निर्देश मंदिर परिसर और इसके आसपास मौजूद अवैध कब्जों और अतिक्रमण के सफाए से जुड़ा है। जिम्मेदारी दिल्ली पुलिस और साउथ एमसीडी, दोनों की होगी और इसके लिए उनके पास वक्त इसी एक हफ्ते का है। दूसरा निर्देश, आगामी नवरात्रि के त्योहार को देखते हुए मंदिर में साफ-सफाई, श्रद्धालुओं की सुरक्षा और उनके लिए जन-सुविधाओं आदि की व्यवस्था को लेकर है।
हाईकोर्ट ने नियुक्त किया प्रशासक
हाई कोर्ट ने मूलभूत जनसुविधाएं उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी डीडीए, साउथ एमसीडी, दिल्ली पुलिस, फायर डिपार्टमेंट, मेडिकल डिपार्टमेंट्स, डूसिब आदि के सुपुर्द की है और उन्हें यह काम नियमित करना होगा। बारीदारों के बीच दान-दक्षिणा के बंटवारे के मुद्दे पर कोर्ट ने कहा कि मंदिर की आध्यात्मिक पवित्रता को सुरक्षित किए जाने की गंभीर और तत्काल जरूरत है और अवांछित तत्वों द्वारा इसका दुरुपयोग न होने देने कि जो इसे एक कमर्शल एंटरप्राइज में बदल सकते हैं, जैसा कि पहले भी किया जा चुका है। तीसरा निर्देश इसे स्ट्रीम लाइन करने से ही जुड़ा है। कोर्ट ने अपने रिटायर्ड जज जस्टिस जे आर मिढा को स्वतंत्र एडमिनिस्ट्रेटर नियुक्त करते हुए कहा कि पूरा मंदिर परिसर एडमिनिस्ट्रेटर के सीधे नियंत्रण और निगरानी में रहेगा।
नवरात्र में सबसे ज्यादा होती है मंदिर की आय
कोर्ट ने गौर किया कि कालकाजी मंदिर की मासिक आय एक करोड़ से डेढ़ करोड़ रुपये के बीच है, जो वैसे तो महीने-महीने पर निर्भर करती है। पर नवरात्र में ज्यादा ही रहती है। बारीदारों की सहमति से उन्हें इसमें से 15 लाख रुपये हर महीने मंदिर प्रबंधन और पुनर्विकास के कामों के लिए देने का आदेश मिला। साल में दो बार पड़ने वाले नवरात्रों में यह योगदान 20 लाख का होगा। आदेश के मुताबिक, मंदिर के आसपास से अतिक्रमण और अवैध कब्जों के हटते ही अगले हफ्ते से वहां पुनर्विकास के लिए कदम उठाए जाएंगें। इसका प्लान तैयार करने की जिम्मेदारी जानेमाने आर्किटेक्ट गुनमीत सिंह चौहान ने ली।