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हाइलाइट्स

  • केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर स्पष्टीकरण देने की मांग की थी
  • सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने का आदेश दिया था
  • स्पष्टीकरण के लिए केंद्र की दाखिल याचिका पर विचार करने से सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सशस्त्र बलों में महिला अधिकारियों को परमानेंट कमिशन देने के अपने आदेश में स्पष्टीकरण के लिए दाखिल केंद्र सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि वो फैसले को हू-ब-हू लागू करे। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र की अर्जी पर नाराजगी जताते हुआ कहा कि उसे इस तरह की याचिका दायर नहीं करना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि अगर जजमेंट से कोई दिक्कत है तो वह रिव्यू पिटिशन दाखिल कर सकती है।

सुप्रीम कोर्ट ने 25 मार्च को दिए फैसले में केंद्र सरकार (आर्मी अथॉरिटी) से कहा था कि वह शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने के आवेदन पर एक महीने के भीतर फिर से विचार करे और दो महीने के भीतर ऑर्डर करे। महिला अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि परमानेंट कमीशन के लिए जो क्राइटेरिया और प्रक्रिया तय किया गया है, वह मनमाना, अनुचित और अतार्किक है।

सुप्रीम कोर्ट ने शॉर्ट सर्विस कमिशन की महिला ऑफिसर जो परमानेंट कमिशन चाहती हैं, उनकी गुहार को सुप्रीम कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। याचिका में कहा गया है कि महिला अफसरों को परमानेंट कमिशन देने के लिए तय एसीआर (एनुअल कॉन्फिडेंशियल रिपोर्ट) की प्रक्रिया में खामी है और यह भेदभाव वाला है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिला अधिकारियों के लिए तैयार किया गया एसीआर यानी बेंचमार्क मनमाना और अतार्किक है।

इस फैसले के बाद केंद्र सरकार की ओर से अर्जी दाखिल कर जजमेंट में स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की स्पष्टीकरण की गुहार पर विचार करने से इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई जिसमें केंद्र सरकार ने स्पष्टीकरण की गुहार लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर आपको (केंद्र सरकार) को जजमेंट से कोई परेशानी है तो आप इसके लिए उचित कानूनी उपचार यानी रिव्यू पिटिसन का सहारा ले सकते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि आपको जजमेंट को उसी तरह से लागू करना होगा जैसा फैसला दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश अडिशनल सॉलिसिटर जनरल बलबीर सिंह ने कहा कि छोटा सा स्पष्टीकरण है। तब सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने कहा कि आप अपने मुवक्किल (केंद्र सरकार) से कहें कि जजमेंट को उसी तरह से लागू करें, जैसा दिया गया है। अगर परेशानी है तो फिर रिव्यू पिटिशन का सहारा ले सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपकी स्पष्टीकरण की अर्जी पर हम दोबारा से जजमेंट को ओपन नहीं कर सकते हैं। हम अर्जी पर विचार नहीं करेंगे। आपको ये अर्जी दाखिल नहीं करनी चाहिए थी।



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