अफगान संकट पर ‘सीमांत गांधी’ खान अब्दुल गफ्फार खान की पोती और ऑल इंडिया पख्तून जिगरा ए हिंद की अध्यक्ष यास्मीन निगार खान (Yasmin Nigar Khan) काफी चिंतित हैं। उन्होंने कहा कि तालिबान की बातों पर भरोसा नहीं किया जा सकता। यास्मीन ने मंगलवार को कहा कि उन्हें भारत भर में रहने वाले पख्तूनों के त्राहिमाम संदेश (एसओएस) मिल रहे हैं। इसमें विदेश मंत्रालय से अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद वहां रह रहे उनके परिजन की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया जा रहा है।
पीढ़ियों से मध्य कोलकाता में रह रहीं यास्मीन निगार खान (50) ऑल इंडिया पख्तून जिरगा-ए-हिंद की अध्यक्ष हैं जो देश में समुदाय की शीर्ष संस्था है। बीती दो रातों से बमुश्किल सोईं खान ने बताया कि हम केंद्र और पश्चिम बंगाल सरकार के लगातार संपर्क में हैं, लेकिन स्थिति लगातार तेजी से बदल रही है और अफगानिस्तान से बहुत कम जानकारी बाहर आ रही है। फोन लाइनें बंद हैं और काबुल की तस्वीरें परेशान करने वाली हैं। जो लोग भारत में रह रहे हैं, वह व्याकुल हैं। उन्होंने कहा कि राज्य के लगभग 1000 पख्तूनों और देश के अन्य हिस्सों में पीढ़ियों से रह रहे लाखों लोगों के पास अपने मूल स्थान लौटने का कोई मौका नहीं है, लेकिन लगभग सभी के रिश्तेदार अफगानिस्तान या पश्चिमोत्तर पाकिस्तान में हैं।
‘तालिबान की नजरों में महिलाओं की आजादी का कोई सम्मान नहीं’
खान ने कहा कि वे अफगानिस्तान में रहने वाले अपने रिश्तेदारों से कुछ महीनों पहले तक नियमित रूप से बात करते थे, लेकिन अब उनसे संपर्क नहीं कर पा रहे। उन्हें जो कुछ भी थोड़ी बहुत जानकारी मिल रही है वह उन लोगों के जरिये जो पाकिस्तान में रह रहे हैं। कई लोगों के रिश्तेदार तालिबान के हमलों में मारे गए। तालिबान की नजरों में स्वतंत्रता, गरिमा और महिलाओं की आजादी का कोई सम्मान नहीं है।
अफगानिस्तान में बच्चे-महिलाएं कैसे हैं, वाराणसी में तालिबान के खिलाफ प्रदर्शन
‘महिलाओं को मध्यकालीन युग में ले जाना चाहता है तालिबान’
उन्होंने कहा कि तालिबान के पिछले शासन के दौरान उन्होंने युवा विधवाओं का अपहरण अपने सदस्यों से उनकी शादी कराने के लिए किया। वे नहीं चाहते कि लड़कियां पढ़ें या स्कूल जाएं। वे जिसे इस्लामी कानून बताते हैं, वह वास्तव में धर्म का उपहास है। क्या मदरसों में लड़कियां नहीं पढ़ती हैं। इस्लाम मानने वाले देशों में भी लड़कियों को आधुनिक शिक्षा लेने और पुरुषों के साथ काम करने के लिये प्रेरित किया जाता है। तालिबान महिलाओं को मध्यकालीन युग में ले जाना चाहता है।