नरेन्द्र नाथ
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से अपने भाषण में किसी बड़ी योजना का ऐलान नहीं किया। यह संकेत जरूर दिया कि वह 2024 के आम चुनाव में भी 2019 के विजय फॉर्म्युले को जारी रखेंगे। यानी वह अपनी सरकार की महत्वपूर्ण कल्याणकारी योजनाओं को अधिक से अधिक जरूरतमंदों तक पहुंचा कर लोगों के बीच वोट मांगने जाएंगे। इस बार भी पिछले साल की भांति ही प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले से जल संरक्षण और हर घर पेयजल आपूर्ति को अपना अहम अजेंडा बताया। उन्होंने यह संदेश भी दिया कि जो कल्याणकारी योजनाएं अभी चल रही हैं, उन्हीं पर फोकस बना रहेगा। पिछले दिनों ही पीएम मोदी ने गरीबों को मुफ्त गैस कनेक्शन देने की उज्ज्वला योजना के दूसरे चरण की शुरुआत की थी। मोदी की मंशा है कि 2024 तक वह कम से कम 20 करोड़ लोगों को ऐसा घर दें, जिसमें बिजली-पानी-शौचालय और गैस सिलेंडर की पहुंच हो और परिवार के कम से कम एक सदस्य के पास नौकरी हो। दरअसल, एनडीए सरकार को 2019 में प्रधानमंत्री आवास योजना, शौचालय और उज्ज्वला जैसी योजनाओं का बड़ा लाभ मिला और गरीबों के बड़े तबके का वोट मिला। अब वह 2024 में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहते हैं, लेकिन आर्थिक संकट और कोविड ने इस बार इसे अमल में लाना मुश्किल बना दिया है। सरकार को पता है कि इन योजनाओं का सियासी लाभ तभी मिलता है, जब आम जन तक इसका असर दिखे।
हर घर जल पर दांव क्यों
2019 में चुनाव जीतते ही प्रधानमंत्री ने जल संरक्षण और पेयजल आपूर्ति के लिए 3 लाख करोड़ से अधिक की योजना का ऐलान करके बता दिया था कि अगले चुनाव में कल्याणकारी कार्यक्रमों में हर घर पेयजल प्रतिनिधि कार्यक्रम बनेगा। केंद्र सरकार की नई योजना के तहत 2024 तक सभी घर तक पानी की पाइपलाइन और नल से पानी पहुंचाने का टारगेट रखा गया है। साथ ही संकेत दिया गया कि इस लक्ष्य को 2023 तक ही पूरा कर लिया जाएगा। इसके पीछे मंशा है कि 2023 तक सरकार के जरिए 20 करोड़ आदर्श घर बन जाएं, जिससे 2024 में होने वाले आम चुनाव में इसका लाभ उठाया जा सके। सरकार की इस योजना में कोरोना महामारी ने बाधाएं खड़ी कर दी हैं। दो दिन पहले आई इसकी प्रगति रिपोर्ट में उत्तर प्रदेश सहित कई बड़े राज्य लक्ष्य से काफी पीछे दिखे हैं। इसके अलावा प्रॉजेक्ट को पूरा करने के लिए फंड की उपलब्धता भी बड़ी चुनौती है। लेकिन रविवार को लाल किले से पीएम ने संकेत दिया कि वह अभी भी लक्ष्य को पाने के लिए पूरा दम लगाएंगे। जब मोदी ने 2019 में हर घर जल योजना शुरू की थी, तब लोगों के बीच इस योजना से जुड़ी जागरूकता फैलाने और पानी का संचय कैसे करेंगे, इसके लिए पचास हजार से अधिक गांवों में जलदूतों की तैनाती की बात भी हुई थी। ठीक उसी तरह, जिस तरह स्वच्छ भारत से जुड़े अभियान में सरकार ने स्वच्छ दूतों की नियुक्ति की थी। सरकार उन दूतों के माध्यम से हर घर तक पहुंचने की कोशिश करेगी। अब सभी राज्यों से उस लंबित योजना को भी पूरा करने के लिए कहा जा रहा है। जिस तरह हर घर शौचालय ने देश के गरीब तबकों के बीच अस्मिता के सवाल का जवाब दिया, उसी तरह हर घर पानी भी सामाजिक और सियासी रूप से सीधे लोगों के दिलों से जुड़ सकता है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 20 करोड़ से अधिक लोग जल के लिए किसी दूसरे के स्रोत पर निर्भर हैं। घर में अपना नल होना अभी गरीबों के बीच एक स्टेटस सिंबल है। बिहार, उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में महज 5 फीसदी घरों में नल का कनेक्शन है। जाहिर है कि अगर इन बड़े राज्यों में मोदी सरकार इस योजना के क्रियान्वयन में सफल रहती है तो गरीबों के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल होगी। 75 सालों में गरीब जिन बुनियादी सुविधाओं से वंचित रहे, मोदी सरकार उन्हें मुहैया कराने के लिए जोर लगाती रही है और उसे सामान्य विकास कार्यों से अधिक प्राथमिकता देती रही है। बैंक अकाउंट खोलने जैसे काम भी इसी पहल का हिस्सा थे। मोदी ने इन्हीं नीतियों की मदद से गरीबों के रूप में एक बड़ा वोट बैंक बनाया, जिसमें जातियों की भी दीवार टूटी है।
आसान नहीं लक्ष्य
लेकिन तय समय पर हर घर जल के लक्ष्य को पूरा करना आसान नहीं है। कोविड के चलते इस योजना में पहले ही देर हो चुकी है और देश में जल संकट को देखते हुए इसे पूरा करने की राह कठिन होगी। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार अभी लगभग 25 फीसदी की दर से सभी घरों तक पानी का कनेक्शन पहुंच रहा है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश में 60 करोड़ से अधिक लोग भयंकर जल संकट का सामना कर रहे हैं। अगले दस सालों में पानी की मांग दो गुना बढ़ने का अनुमान भी इसी रिपोर्ट में किया गया है, जबकि इसके लिए मौजूद स्रोत में 5 फीसदी की कमी आ जाएगी। पूरे देश में जल स्तर जिस तेजी से नीचे जा रहा है, उसका कोई लेखा-जोखा इस योजना में नहीं है। ऐसे में जानकारों के अनुसार, नल लगाना तो आसान है, लेकिन निर्बाध जल सप्लाई आसान नहीं होगी। इस पर सरकार की सोच है कि अगर योजना आंशिक रूप से भी सफल रही तो इसका बड़ा लाभ मिलेगा। साथ ही नई योजना के रूप में सरकार के सामने सबसे महत्वाकांक्षी योजना भी सिर्फ यही है। उसे पता है कि पुरानी योजनाओं का लाभ एक चुनाव में मिल गया, दूसरी बार भी मिलेगा इसमें संदेह है।