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नई दिल्ली
अफगानिस्‍तान के हालात पल-पल बदल रहे हैं। देश पर तालिबान के कब्‍जे के बाद वहां बहुत ज्‍यादा अस्थिरता है। सिर्फ विदेशी ही नहीं, बड़ी संख्‍या में अफगानी भी देश छोड़ने के लिए बिलबिला रहे हैं। यह अलग बात है कि तालिबान अपने नागरिकों को अफगानिस्‍तान से निकलने की राह में ‘रोड़ा’ डाल रहा है। उनसे अपील की जा रही है कि वे भागे और घबराएं नहीं, उन्‍हें कोई खतरा नहीं है। यह और बात है कि अफगानियों इसका यकीन नहीं हो पा रहा है। भारत और अमेरिका सहित कई देश पहले कह चुके हैं कि वे तालिबान के नेतृत्‍व वाली सरकार को मान्‍यता नहीं देंगे। लेकिन, तालिबान को लेकर पाकिस्‍तान, चीन, तुर्की, रूस, ब्रिटेन और कई अन्‍य देशों के सकारात्‍मक रुख के बाद बदली स्थितियां में कोई दावे के साथ नहीं कह सकता है कि चीजें किस तरफ आगे बढ़ेंगी।

शुक्रवार को यह पूछे जाने पर कि क्या भारत, अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा? उसने कहा कि अफगानिस्‍तान में किसी एक एन्टिटी के सरकार बनाने को लेकर अभी स्थिति साफ नहीं है। बदलती स्थितियों पर सावधानी से नजर रखी जा रही है।

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भारत ने कहा कि अफगानिस्तान से अपने घर लौटने को इच्छुक ज्‍यादातर भारतीय नागरिकों को वहां से बाहर निकाल लिया गया है। वह पड़ोसी देश की स्थिति पर सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने वीकली प्रेस वार्ता में कहा कि भारत का पूरा ध्यान अफगानिस्तान में फंसे अपने नागरिकों को वापस लाने पर है।

स्थिति नहीं है साफ
उन्होंने बताया, ‘हम स्थिति पर लगातार सावधानीपूर्वक नजर रखे हुए हैं । यह उभरती हुई स्थिति है।’ यह पूछे जाने पर कि क्या भारत अफगानिस्तान में तालिबान को मान्यता देगा? बागची ने कहा कि काबुल में किसी इकाई के सरकार बनाने को लेकर अभी कोई स्पष्टता नहीं या स्पष्टता की कमी है।

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बागची बोले, ‘जमीनी स्थिति अनिश्चित है। हमारी मुख्य चिंता अपने लोगों की सुरक्षा से जुड़ी है। अफगानिस्तान से वापसी के अभियान में उड़ानों को लेकर भारत विभिन्न पक्षों के सम्पर्क में है।’

फिर से शुरू हुई उड़ानें
उधर, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद देश से भाग रहे हजारों हताश लोगों को निशाना बनाकर किए गए दो आत्मघाती बम धमाकों और इनमें 100 लोगों की जान जाने के एक दिन बाद निकासी उड़ानें शुक्रवार को फिर से शुरू हो गईं। अमेरिका का कहना है कि देश के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के लिए विदेशी सैनिकों की वापसी की मंगलवार की समयसीमा से पहले और हमले होने की आशंका है।

कैसा है माहौल?
काबुल से प्रस्थान करने वाले विमानों की आवाज और गूंजती प्रार्थना के बीच हवाई अड्डे के बाहर व्याकुल भीड़ है। एक जगह हवाई अड्डे से करीब 500 मीटर की दूरी पर भारी हथियारों के साथ तालिबान के दर्जनों सदस्य किसी को भी आगे बढ़ने से रोक रहे थे। काबुल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास गुरुवार के बम धमाकों में कम से कम 95 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिक मारे गए।

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