उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी ने साफ कर दिया है कि राज्य स्तर या जिला स्तर पर कोई भी पदाधिकारी चुनाव लड़ने के लिए पात्र नहीं होगा। पार्टी ने कहा है कि अगर कोई चुनाव लड़ने का इच्छुक है तो उसे पार्टी के पद से इस्तीफा देना होगा। प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह पहले ही पार्टी नेताओं को चेतावनी दे चुके हैं कि वे अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में होर्डिंग न लगाएं और अपनी उम्मीदवारी का दावा न करें।
दरअसल बीते पंचायत चुनावों में भी भारतीय जनता पार्टी ने ऐसे किसी भी नेता को पंचायत चुनाव न लड़ने को कहा था जो प्रदेश में किसी पद पर था। बीजेपी कार्यसमिति की बैठक में तय किया गया था कि प्रदेश पदाधिकारी, जिलाध्यक्ष अगर पंचायत चुनाव लड़ने के लिए पद छोड़ने की शर्त रखी गई थी।
कई मौजूदा विधायकों के कट सकते हैं टिकट?
सूत्रों के मुताबिक बीजेपी के महासचिव (संगठन) सुनील बंसल ने पार्टी की एक बैठक में यह नियम स्पष्ट किया। बैठक में मौजूद एक बीजेपी नेता ने कहा कि बंसल का निर्देश बैठक में चर्चा का विषय बन गया, जिसमें इस बात के पर्याप्त संकेत थे कि कई मौजूदा विधायकों को फिर से टिकट नहीं मिल सकता है।
पंचायत चुनावों का प्रर्दशन, सर्वे की रिपोर्ट के आधार पर फैसला!
पार्टी सूत्रों ने कहा कि पंचायत चुनावों में पार्टी का प्रदर्शन उन कारकों में से एक होगा जो मौजूदा विधायकों के भाग्य का फैसला करेगा। पार्टी के एक पदाधिकारी ने कहा कि जिन विधायकों के निर्वाचन क्षेत्र में पार्टी ने पंचायत चुनावों में खराब प्रदर्शन किया है, उन्हें टिकट नहीं मिल सकता है। इसके अलावा, एक विधायक के प्रदर्शन के बारे में पार्टी के आंतरिक सर्वेक्षण की रिपोर्ट भी एक निर्णायक कारक होगी।
पंचायत चुनाव में बीजेपी ने पलटा था अपना फैसला
बीजेपी ने पूर्व में घोषणा की थी कि पार्टी नेताओं के रिश्तेदारों को पंचायत चुनाव लड़ने का मौका नहीं दिया जाएगा। हालांकि, बाद में पार्टी ने जीत के कारक को प्राथमिकता दी और स्वेच्छा से अपने नेताओं के बेटों, बेटियों और पत्नियों को टिकट दिया।
2017 की तरह 300 प्लस सीटें लाना चाहती है BJP
पदाधिकारी ने कहा कि राजनीति में, नियम तोड़े जाने के लिए बनाए जाते हैं। यह केवल एक विधायक का प्रदर्शन है जो सत्ता विरोधी लहर को कम कर सकता है। पार्टी अपने 2017 के 300 प्लस सीटें के प्रदर्शन को दोहराने के लिए द्दढ़ है।
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