हाइलाइट्स
- महिलाओं के अधिकारों को टाला नहीं जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
- एंट्रेंस टालने के बजाए महिलाओं के बारे में सोचने की जरूरत- कोर्ट
- डिफेंस मिनिस्ट्री यूपीएससी से मिलकर संशोधित नोटिफिकेशन के बारे में कदम उठाए
इस साल एनडीए एंट्रेंस में महिलाओं को इजाजत देने के अपने आदेश को वापस लेने से सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आर्म्ड फोर्स इमरजेंसी की स्थिति को डील करने में सक्षम है, हम महिलाओं का एनडीए में एंट्री एक साल के लिए नहीं टाल सकते। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की उस दलील को अस्वीकार कर दिया जिसमें केंद्र सरकार ने कहा था कि महिलाओं को इस साल एनडीए एंट्रेस में बैठने की इजाजत देने वाले शीर्ष अदालत के आदेश वापस लिए जाएं।
आर्म्ड फोर्स इमरजेंसी स्थिति को डील करने में है सक्षम
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एसके कौल की अगुवाई वाली बेंच के सामने डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से गुहार लगाई गई कि सुप्रीम कोर्ट उस आदेश को वापस ले जिसमें महिलाओं को अगले एनडीए एंट्रेस में बैठने की इजाजत दी है। अगला एंट्रेंस 14 नवंबर को होना है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश वापस लेने से मना कर दिया। डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से कहा गया कि मौजूदा एंट्रेंस एग्जाम में महिलाओं को इजाजत नहीं होनी चाहिए क्योंकि अभी ट्रेनिंग के पैरामीटर से लेकर तमाम मैकेनिज्म तैयार करना है और उसमें मई 2022 तक का समय लगेगा।
सुप्रीम कोर्ट का सख्त रुख
इस दौरान याचिकाकर्ता कुश कालरा के वकील ने दलील दी कि हर साल दो एग्जाम होते हैं और अगर मई 2022 में महिलाओं को बैठने की इजाजत दी गई तो इसका मतलब यह होगा कि महिलाओं का दाखिला 2023 में हो पाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि महिलाओं का एनडीए में प्रवेश एक साल के लिए नहीं टाला जा सकता है।
महिलाओं के अधिकारों को टाला नहीं जा सकता- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्म्ड फोर्स इमरजेंसी डील करने के लिए सक्षम है ऐसे में वह कोई जल्दी वाला सामाधान लेकर आए ताकि महिलाओं का एनडीए में तुरंत प्रवेश सुनिश्चित हो सके। अदालत ने कहा कि महिलाओं के अधिकारों को नकारा नहीं जा सकता। महिलाओं को नवंबर में एंट्रेंस एग्जाम का भरोसा देकर हम उसे मिथ्या साबित नहीं करना चाहते और उन्हें कहें कि उनका एग्जाम बाद में लिया जाएगा।
एंट्रेंस टालने के बजाए महिलाओं के बारे में सोचने की जरूरत
सुनवाई के दौरान डिफेंस मिनिस्ट्री की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल एश्वर्य भाटी ने कहा कि महिला कैंडिडेट के प्रवेश के लिए मैकेनिज्म तैयार किया जाएगा। इसके तहत महिलाओं के इंडक्शन और ट्रेनिंग का तरीका होगा। मेडिकल सर्विसेज के डीजी और एक्सपर्ट बॉडी महिला कैंडिडेट के तीनों डिफेंस सर्विसेज में प्रवेश के लिए मेडिकल स्टैंडर्ड तय करेगा।
केंद्र सरकार ने दी दलील
इसके लिए उनके उम्र, यंग एज, उनके ट्रेनिंग की प्रकृति और नेवी, एयरफोर्स और आर्मी की ऑपरेशनल और फंक्शनल जरूरत के तहत ट्रेनिंग का क्राइटेरिया तय करेगा। आउटडोर ट्रेनिंग के लिए करिकुलम और पैरामीटर तय किया जाएगा।महिलाओं को रहने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर भी तय करना होगा इसके लिए वक्त लगेगा। यह सब मई 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। ऐसे में आने वाले एनडीए एग्जाम यानी 14 नवंबर के एंट्रेंस एग्जाम में महिलाओं को न रखा जाए। जस्टिस कौल की बेंच ने कहा कि हम नहीं समझते हैं कि इस स्थिति से निपटने के लिए आर्म्ड फोर्स सक्षम नहीं होगा। महिलाओं को आगामी एंट्रेंस में न रखने का जो आप स्टैंड ले रहे हैं उसके बजाय आपको उनके बारे में सोचने की जरूरत है।
डिफेंस मिनिस्ट्री यूपीएससी से मिलकर संशोधित नोटिफिकेशन के बारे में कदम उठाए
शीर्ष अदालत ने कहा कि हम आपके हलफनामा को विस्तार से पढ़ चुके हैं आपके प्रयास की हम सराहना करते हैं आपने फिटनेस टेस्ट, करिकुलम से लेकर अन्य बात कही है लेकिन हम इस साल के लिए महिलाओं के एंट्रेंस टेस्ट को टालने का आग्रह स्वीकार नहीं कर सकते। महिलाएं नवंबर एग्जाम के लिए उम्मीद लगाई हुई हैं। हम उसे खत्म नहीं करना चाहते। आप हमारे आदेश को वापस लेने के लिए न कहें। आर्म्ड फोर्स इससे भी ज्यादा कठिन परिस्थिति को डील करती है। हमें विश्वास है कि वह इस मामले में भी रास्ता निकालेगी।
जनवरी तक टली सुनवाई
एग्जाम के दो महीने बाद रिजल्ट आना है ऐसे में हम याचिका पेंडिंग रखते हैं और सुनवाई जनवरी के तीसरे हफ्ते के लिए टाली जाती है। इस दौरान डिफेंस मिनिस्ट्री को कहा जाता है कि वह यूपीएससी से मिलकर पैरामीटर से अवगत कराए ताकि महिलाओं के नवंबर के एग्जाम में शामिल होने के संबंध में संशोधित नोटिफिकेशन यूपीएससी जारी कर सके। इससे पहले यूपीएससी की ओर से कहा गया कि वह संशोधित नोटिफिकेशन जारी नहीं कर पाया है उसे डिफेंस मिनिस्ट्री के निर्देश का इंतजार है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मिनिस्ट्री इसके लिए जरूरी कदम उठाए। सुप्रीम कोर्ट ने आखिर में कहा कि यह परिवर्तन का फेज है और हम परिवर्तन को टाल नहीं सकते। हो सकता है कि यह एग्जाम बेस्ट रिलज्ट न भी दे लेकिन हम भविष्य को देख रहे हैं।
हम अपने आदेश वापस नहीं लेना चाहेंगे…पेंडिंग है मामला
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि डिफेंस मिनिस्ट्री ने कुछ परेशानियां बताई है। दरअसल वह कह रही है कि नो जाम टूडे जाम टूमौरो। शीर्ष अदालत ने कहा कि हमारे लिए यह स्वीकार करना मुश्किल है। आर्म्ड फोर्स बहुत कठिन परिस्थितियों को डील करती है चाहे बॉर्डर का मामला हो या फिर देश की आंतरिक सुरक्षा का मामला हो दोनों ही इमरजेंसी को वह बखूबी डील करती है और यह उनकी ट्रेनिंग का पार्ट है। हम आश्वस्त हैं कि आर्म्ड फोर्स इमरजेंसी स्थिति को डील कर लेगी। ऐसे में हम अपने उस आदेश को वापस नहीं लेना चाहेंगे जिसमें हमने निर्देश दिया है कि महिलाओं को इस साल एंट्रेंस एग्जाम में बैठने की इजाजत दी जाए। हम याचिका अभी पेंडिंग रखते हैं।