सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को केंद्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के कुछ शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने की मांग के साथ आरोप लगाया गया कि उन्होंने 2020 के शाहीन बाग मामले में फैसले का जानबूझकर अनादर किया है। इसमें आरोप लगाया कि वे राष्ट्रीय राजधानी की तरफ जाने वाली सड़कों से प्रदर्शनकारी किसानों को हटाने में विफल रहे हैं।
नई याचिका में उच्चतम न्यायालय के सात अक्टूबर 2020 के फैसले का जिक्र किया गया जिसमें अदालत ने कहा था कि सार्वजनिक स्थलों पर अनिश्चितकाल तक के लिए काबिज नहीं रहा जा सकता है और असंतोष जता रहे प्रदर्शनकारियों को बताए गए स्थानों पर जाना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों को यहां शाहीन बाग की एक सड़क से हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए फैसला दिया था।
याचिका ऐसे दिन दायर की गई है जब केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के प्रदर्शन के 300 दिन पूरे हो गए हैं। भाजपा के स्थानीय नेता नंद किशोर गर्ग की तरफ से दायर याचिका में कहा गया है कि प्रतिवादियों के खिलाफ जानबूझकर अवज्ञा और सात अक्टूबर 2020 के फैसले के आलोक में प्रदर्शनकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू नहीं करने को लेकर अवमानना कार्यवाही शुरू की जाए।
वकील शशांक देव सुधी और दिनेश कुमार डकोरिया के मार्फत दायर याचिका में केंद्र के कैबिनेट सचिव और गृह सचिव, दिल्ली, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा के मुख्य सचिवों को कथित अवमानना के लिए जिम्मेदार बताया गया है। याचिका में कहा गया कि अधिकारियों से आग्रह किए जाने के बावजूद उन्होंने कार्रवाई नहीं की जिससे दिल्ली की सीमाओं के पास सार्वजनिक सड़कों पर प्रदर्शन अब भी जारी हैं।
केंद्र के तीन कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के हजारों किसान दिल्ली के विभिन्न प्रवेश बिंदुओं पर पिछले दस महीने से प्रदर्शन कर रहे हैं।