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नई दिल्‍ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जमानत अर्जी दाखिल करना नागरिक का संविधान के तहत व्यक्तिगत अधिकार है। सर्वोच्‍च न्‍यायालय ने राजस्थान हाई कोर्ट के एक आदेश को नामंजूर करते हुए यह बात कही। इसमें हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने कहा था कि जमानत अर्जी और अपील के दौरान सजा सस्पेंड करने की अर्जी को अर्जेंट मामले की तरह लॉकडाउन के दौरान लिस्ट न किया जाए। इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की गई थी।

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सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि जमानत अर्जी या सजा सस्पेंड करने की अर्जी दाखिल करना अनुच्छेद-14 ( समानता का अधिकार), अनुच्छेद-19 (यानी अभिव्यक्ति के अधिकार) और अनुच्छेद-21 (जीवन और लिबर्टी के अधिकार) के तहत लोगों का व्यक्तिगत अधिकार है। हाई कोर्ट का इस तरह का आदेश लोगों के मौलिक अधिकार और जमानत के तहत लिबर्टी पाने के अधिकार को रोकता है।

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हाई कोर्ट ने अपने आदेश में रजिस्ट्री से कहा था कि लॉकडाउन के तहत अर्जेंट मैटर के तौर पर जमानत की अर्जी और सजा सस्पेंड करने की अर्जी को लिस्ट न किया जाए। लेकिन, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को नामंजूर करते हुए कहा कि जमानत व सजा सस्पेंड करने की अर्जी दाखिल करने का अधिकार संविधान के तहत व्यक्तिगत अधिकार हैं। साथ ही आरोपी को सीआरपीसी की धारा-438, 439 के तहत भी यह अधिकार मिला हुआ है।



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