देश भर के ट्राइब्यूनल की वैकेंसी भरने में देरी पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त नाराजगी जताई और केंद्र सरकार से कहा है कि आप हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। शीर्ष अदालत ने कहा कि आपने ट्राइब्यूनल को प्रभावहीन बना दिया है, बार बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद ट्राइब्यूनल की वैकेंसी न भरे जाने पर सुप्रीम कोर्ट ने यहां तक कि हमारे पर एक ऑप्शन है कि ट्राइब्यूनल को बंद कर दें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जजमेंट के विपरीत सरकार कानून नहीं बना सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि केंद्र ने उसी कानूनी प्रावधान को दोबारा बना दिया जिसे सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त कर दिया था।
‘फैसले का सम्मान नहीं करना चाहती सरकार’
चीफ जस्टिस रमना ने सुनवाई के दौरान कहा कि इस कोर्ट के जजमेंट का कोई आदर नहीं दिखता है। आप (केंद्र सरकार) हमारे धैर्य की परीक्षा ले रहे हैं। आपने कितने लोगों की नियुक्ति की है ये बताएं? आपने कहा कि कुछ की नियुक्ति हुई है। आप बताएं कहां है नियुक्ति? बेंच ने कहा कि इस अदालत के फैसले का कोई सम्मान नहीं है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। आपने पिछली बार कहा था कि कुछ मेबरों की नियुक्ति हुई है। आप बताएं कि कितनों की नियुक्ति हुई। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ट्राइब्यूनल ऐक्ट 2021 दरअसल उसी कानून का रिपीट (दोहराया जाना) है जिस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने अपने जजमेंट में निरस्त कर दिया था।
वहीं जस्टिस राव ने कहा कि हम जानना चाहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के बार-बार कहने के बावजूद अभी तक नियुक्ति क्यों नहीं की गई। कई ट्राइब्यूनल तो बंद होने के कागार पर हैं। चेयरपर्सन और मेंबर की कमी के कारण ट्राइब्यूनल खत्म हो रहा है। आप बताइये कि आपकी क्या वैकल्पिक स्कीम है? क्या आप ट्राइब्यूनल बंद करना चाहते हैं?
विधायिका जजमेंट का आधार बदल सकती है जजमेंट के खिलाफ कानून नहीं बना सकती
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस दौरान यह भी कहा कि विधायिका किसी भी जजमेंट के आधार पर बदल सकती है यानी कि जजमेंट जिस आधार पर दिया गया है उस आधार में बदलाव तो हो सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के विपरीत कानून नहीं बना सकती। आप सीधे तौर पर वैसे कानून नहीं बना सकते जो सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट के खिलाफ हो।
चीफ जस्टिस ने तब कहा कि हम कोई टकराव नहीं चाहते हैं। इस दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि वह सुप्रीम कोर्ट के विचार से संबंधित मंत्रालय को अवगत कराएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अगली सुनवाई सोमवार को करने का फैसला किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह उम्मीद करता है कि इस दौरान वैकेंसी भरी जाएगी। गौरतलब है कि अभी देश भर के ट्राइब्यूनल और अपीलीय ट्राइब्यूनल में 250 के करीब वैकेंसी है।
ट्राइब्यूनल रिफॉर्म बिल के खिलाफ याचिका पर केंद्र को नोटिस
ट्राइब्यूनल रिफॉर्म ऐक्ट 2021 को चुनौती देने वाली कांग्रेस नेता जयराम रमेश की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता ने कहा है जिस कानून को सुप्रीम कोर्ट ने निरस्त किया है, वही कानून दोबारा बना दिया गया है। 6 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने अलग-अलग ट्राइब्यूनल में वेंकेंसी न भरे जाने के मामले में सख्त नाराजगी जताई थी और कहा था कि यह बेहद खेदजनक मामला है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह अवगत कराए कि सीटों को भरने के लिए क्या कदम उठाए हैं और साथ ही कहा कि उन्हें इस बात का संदेह है कि कुछ लॉबी इस मामले में काम कर रहा है।
जीएसटी अपीलीय ट्राइब्यूनल के गठन पर मांगा जवाब
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल ने कहा है कि वह जीएसटी अपीलीय ट्राइब्यूनल का गठन के बारे में जवाब दाखिल करे। केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल करने के लिए वक्त देने की मांग की। याचिका में कहा गया है कि जीएसटी ट्राइब्यूनल का गठन किया जाए। जीएसटी ऐक्ट बने चार साल हो गए हैं लेकिन ट्राइब्यूनल का गठन नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको ट्राइब्यूनल का गठन करना है इसमें काउंटर की जरूरत क्या है। ये भी एक मुद्दा है। आपको ट्राइब्यूनल का गठन करना है।
सांकेतिक तस्वीर