कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने देश की आजादी का 75वां साल आरंभ होने के मौके पर सोमवार को लोगों से अपील की। यह अपील लोगों से आजादी को लेकर आत्ममंथन करने के लिए की गई। उन्होंने जनता से आजादी के मायने समझने का आह्वान किया। साथ ही यह भी कहा कि जब मौलिक अधिकारों और संविधान को कुचला जा रहा हो, तब चुप रहना पाप है। देश के लोकतंत्र को दोबारा सही स्थिति में लाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि इस लेख में कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बारे में बात की है कि लोगों के लिए आजादी के क्या मायने हैं। इस लेख में सोनिया ने कहा कि जब सरकार संसद पर ‘हमले करती है’ और परंपराओं को ‘कुचलती है’, लोकतंत्र को ‘गुलाम बना देती है’ और संविधान का ‘हनन करने’ का प्रयास करती है तो देश के लोगों को इस बारे में विचार करने की जरूरत है कि आजादी के क्या मायने हैं।
कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि मौजूदा समय में पत्रकारों को सच लिखने, टीवी चैनलों को सच्चाई दिखाने और लेखकों व विचारकों को अपनी बात रखने की आजादी नहीं है। उन्होंने यह दावा भी किया कि आज के समय में सांसद भी अपनी बात नहीं रख पा रहे, ऑक्सिजन की कमी से प्रभावित लोगों को बोलने की आजादी नहीं है और राज्यों को केंद्र से अपने अधिकार मांगने की आजादी नहीं है।
सोनिया ने कहा कि कोविड-19 और जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को लेकर भारत की प्रतिक्रिया दुनिया के लिए निर्णायक होगी। कांग्रेस अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि हाल ही में संपन्न संसद के मॉनसून सत्र में सांसदों को राष्ट्रीय महत्व से जुड़े मुद्दे उठाने का मौका नहीं मिला। अपने लेख में उन्होंने लोकतंत्र को दोबारा सही स्थिति में लाने की वकालत की है। सोनिया गांधी ने कहा कि लोकतंत्र को पहुंचे नुकसान को फिर से ठीक करने की जरूरत है। मोदी सरकार पर हमला करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले कुछ दशकों में जो प्रगति हुई थी, उसे मौजूदा सरकार ने मिटाने का काम किया है। यह सरकार अच्छे गवर्नेंस की कीमत पर सिर्फ खोखले नारे देना, ईवेंट मैनेजमेंट और ब्रांड बिल्डिंग करना जानती है।