हाइलाइट्स
- 15 ट्रिब्यूनल्स में जूडिशल और टेक्निकल मेंबर के 200 से अधिक पद खाली
- चीफ जस्टिस एन वी रमण और जस्टिस सूर्य कांत की पीठ ने की सुनवाई
- रिक्तियां भरने के बारे में सॉलिसिटर जनरल से 10 दिनों के भीतर मांगी जानकारी
सुप्रीम कोर्ट ने देश के 15 प्रमुख ट्राइब्यूनल्स में रिक्त पदों को नहीं भरने को लेकर केंद्र सरकार को फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र ने कहा कि केंद्र ने रिक्त पदों पर भर्ती नहीं कर इन ट्राइब्यूनल्स को लगभग निष्क्रिय कर दिया है। शीर्ष अदालत ने इस संबंध में 10 दिन के भीतर जवाब मांगा कि वह कोर्ट के साफ-साफ बताए कि वह इन ट्राइब्यूनल्स को बंद करना चाहती है या चलाना चाहती है।
इस पर पता नहीं सरकार क्या रुख है
चीफ जस्टिस एन वी रमण और जस्टिस सूर्य कांत की बेंच ने देश भर के ट्राइब्यूनल में 20 पीठासीन अधिकारियों, 110 जूडिशल मेंबर्स, 111 टेक्निकल मेंबर्स के खाली पड़े पदों की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘हमें संदेह है कि कुछ लॉबियां नियुक्तियां नहीं होने देना चाहती हैं… हम नहीं जानते कि इस खेदजनक स्थिति पर सरकार का क्या रुख है।’
10 दिन के भीतर कोर्ट को दें जानकारी
बेंच नेसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को रिक्तियों को भरने के बारे में 10 दिनों में अदालत को सूचित करने के लिए कहा। खाली पड़े पदों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जज की अध्यक्षता वाली वैधानिक चयन समितियों ने बहुत पहले नामों की सिफारिश की थी। जिन ट्राइब्यूनल में पद खाली पड़े हैं उनमें सशस्त्र बल ट्राइब्यूनल, नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल, डीआरटी, सीईएसटीएटी, आईटीएटी, टीडीसैट, एनसीएलटी, एनसीएलएटी और सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्राइब्यूनल शामिल हैं। सुप्रीम कोर्ट अब 16 अगस्त को मामले की सुनवाई करेगा।
सरकार ट्राइब्यूनल्स को जारी रखना चाहती है या नहीं
चीफ जस्टिस ने कहा, ‘हमें पता होना चाहिए कि क्या सरकार वास्तव में ट्राइब्यूनल जारी रखना चाहती है या उन्हें बंद करना चाहती है। हमें जो लग रहा है कि कुछ नौकरशाह ट्राइब्यूनल नहीं चाहते हैं।’ चीफ जस्टिस ने कहा कि हमने सुना है कि सुप्रीम कोर्ट के बार-बार निर्णय के बावजूद आपने कार्यकाल को कम करने का प्रयास किया और योग्यता मानदंड बदल दिया।
अफसरों को बुलाएंगे, पूछेंगे कि नियुक्तियां क्यों नहीं हो रही
बेंच ने कहा कि यह बहुत ही खेदजनक स्थिति है। एक सप्ताह के भीतर, सरकार सरकार इस पर निर्णय ले और हमें सूचित करे। ऐसा नहीं होने पर हम देश के टॉप ऑफिसर को पेश होने और यह बताने के लिए मजबूर करेंगे कि नियुक्तियां क्यों नहीं की जाती हैं। बेंच ने कहा कि हम इस मुद्दे पर बहुत गंभीर हैं। मामले को तूल न दें। जहां कहीं भी चयन समितियों ने नामों की सिफारिश की है, नियुक्तियां तुरंत की जा सकती हैं।
सीजीएसटी ट्राइब्यूनल को लेकर वित्त मंत्रालय को भी फटकार
एडवोकेट अमित साहनी की तरफ दायर एक जनहित याचिका पर, सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने सीजीएसटी अधिनियम के लागू होने के चार साल से अधिक समय बाद भी सीजीएसटी अपीलीय ट्राइब्यूनल स्थापित करने में विफल रहने के लिए वित्त मंत्रालय को फटकार लगाई। शीर्ष अदालत ने कहा कि जो भी व्यक्ति जीएसटी प्राधिकरण या संशोधन प्राधिकरण से पीड़ित है, वह 90 दिनों के भीतर अपीलीय न्यायाधिकरण से संपर्क करने का हकदार है। आपको सीजीएसटी अधिनियम के तहत एक अपीलीय ट्राइब्यूनल बनाना अनिवार्य किया गया था। चार साल बाद भी, आप एक अपीलीय ट्राइब्यूनल स्थापित करने में सक्षम नहीं हैं।