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हाइलाइट्स

  • पीएम ने संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र को संबोधित किया
  • बोले- यूएन पर उठ रहे हैं कई सवाल, बढ़ानी होगी विश्‍वसनीयता
  • नसीहत देने के लिए चुने आचार्य चाणक्‍य और गुरुदेव टैगोर के शब्‍द

नई दिल्‍ली
जिसकी अपेक्षा थी, वही हुआ। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधारों की पुरजोर पैरवी की है। उन्‍होंने नसीहत दी है कि अगर वह सुधारों की दिशा में नहीं बढ़ा तो अपनी प्रासंगिकता गंवा देगा। पीएम बोले कि आज यूएन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। उसे अपनी विश्‍वसनीयता को बढ़ाना होगा। यह तभी हो पाएगा जब उसमें समय की जरूरत के अनुसार सुधार हों। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 76वें सत्र को संबोधित किया।

इस बात की पहले से उम्‍मीद थी कि पीएम मोदी संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधारों का मुद्दा जोरशोर से उठाएंगे। उन्‍होंने वैसा ही किया। अपने संबोधन में बड़ी खूबसूरती के साथ उन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र को नसीहत दी। इसके लिए उन्‍होंने भारत के महान कूटनीतिज्ञ आचार्य चाणक्य और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शब्‍दों को चुना।

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प्रधानमंत्री ने कहा कि आचार्य चाणक्य ने सदियों पहले कहा था- ‘कालाति क्रमात् काल एव फलम पिबति’। इसका मतलब है कि जब सही समय पर सही काम नहीं किया जाता तो समय ही उस काम की सफलता को समाप्त कर देता है।

पीएम मोदी ने आगाह करते हुए कहा कि संयुक्त राष्ट्र को खुद को प्रासंगिक बनाए रखना है तो उसे अपने इफेक्टिवनेस को बढ़ाना होगा। विश्वसनीयता को बढ़ाना होगा। यूएन पर आज कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं। इन सवालों को हमने पर्यावरण और कोविड के दौरान देखा है। दुनिया के कई हिस्सों में चल रही प्रॉक्सी वॉर, आतंकवाद और अभी अफगानिस्तान के संकट ने इन सवालों को और गहरा कर दिया है।

क्‍यों करना पड़ा जिक्र?
भारत काफी समय से संयुक्‍त राष्‍ट्र में सुधार की मांग करता रहा है। अभी इसकी ज्‍यादातर संस्‍थाओं में विकसित देशों का प्रभुत्‍व दिखता है। फिर चाहे महासभा हो या सुरक्षा परिषद, सुधारों की जरूरत हर जगह नजर आती है। मसलन, महासभा जो प्रस्‍ताव पारित करती है, वे बाध्‍यकारी नहीं होते हैं। यह एक बड़ी कमजोरी है। इसी तरह भारत सुरक्षा परिषद के अस्‍थायी और स्‍थायी दोनों ही तरह के सदस्‍यों की संख्‍या में बढ़ोतरी चाहता है। उसका मानना है कि बदलती दुनिया में संयुक्‍त राष्‍ट्र संघ को मजबूती के साथ सख्‍ती की भी जरूरत है। विकास को बढ़ावा देना पहली शर्त होनी चाहिए।

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पाकिस्‍तान को संदेश
पीएम मोदी ने पाकिस्‍तान की ओर इशारा करते हुए कहा कि जो देश आतंकवाद को पॉलिटिकल टूल के रूप में इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें यह समझना होगा कि आतंकवाद उनके लिए भी उतना ही बड़ा खतरा है। यह सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि अफगानिस्तान की धरती का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने और आतंकी हमलों के लिए न हो। उन्‍होंने कहा कि हमें इस बात के लिए भी सतर्क रहना होगा कि वहां कि नाजुक स्थितियों के लिए कोई देश अपने स्वार्थ के लिए एक टूल की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश न करे।

कहां-कहां दिखी खामी?
संयुक्त राष्ट्र से जुड़े संस्थान विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) को दिसंबर 2019 में चीन में कोविड-19 संकट सामने आने के बाद से लगातार आलोचना झेलनी पड़ रही है। संस्था को संकट का उचित प्रबंधन नहीं करने के लिए निंदा झेलनी पड़ी। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने डब्ल्यूएचओ को चीन की कठपुतली बताया था। आरोप लगाया था कि वह महामारी की शुरुआत कहां से हुई इस बात पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहा है और महामारी को पूरी दुनिया में फैलने दे रहा है।

वहीं, विश्व बैंक ने हाल ही में कहा कि वह अपनी महत्वाकांक्षी ‘डूइंग बिजनस’ प्रकाशन को बंद कर रहा है। उसने वैश्विक बिजनस क्लाइमेट इंडेक्स के हालिया संस्करणों के आंकड़ों में अनियमितता का हवाला देते हुए यह फैसला लिया। जांच में यह बात सामने आने के बाद कि 2017 में चीन की रैंकिंग बेहतर करने के लिए बैंक के कुछ शीर्ष अधिकारियों ने कथित रूप से दबाव बनाया था, इसके बाद प्रकाशन बंद करने का फैसला लिया गया। पीएम मोदी ने कहा, ‘कोविड-19 की शुरुआत कहां से हुई और व्यापार करने में आसानी से जुड़ी रैंकिंग, वैश्विक प्रशासन संबंधी संस्थाओं ने दशकों की कड़ी मेहनत से अर्जित अपनी साख गंवा दी है।’

मोदी ने टैगोर का किया जिक्र
प्रधानमंत्री ने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा में अपने संबोधन का अंत नोबेल पुरस्‍कार विजेता रवींद्रनाथ टैगोर के शब्‍दों के साथ किया। उन्‍होंने कहा कि गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने कहा था- ‘शुभो कोर्मो-पोथे, धोरो निर्भोयो गान, शोब दुर्बोल सोन्‍शोय, होक ओबोसान।’

पीएम मोदी ने इसका मतलब समझाते हुए कहा कि अपने शुभकर्म पथ पर निर्भीक होकर बढ़ो। दुर्बलताओं और शंकाओं को समाप्‍त करो। संयुक्‍त राष्‍ट्र के लिए यह संदेश काफी प्रासंगिक है। हर जिम्‍मेदार मुल्‍क के लिए भी यही बात लागू होती है। उन्‍होंने विश्‍वास जताया कि सभी का प्रयास दुनिया में शांत‍ि और सौहार्द्र बढ़ाएगा। इससे विश्‍व का भला होगा।

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