Crime News India


हाइलाइट्स

  • सुप्रीम कोर्ट ने वैक्सीन को लेकर पीएम मोदी की निंदा वाले पोस्टरों को लगाने पर दर्ज FIR को रद्द करने से इनकार किया
  • सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के एक वकील ने जनहित याचिका दाखिल कर ऐसी सभी FIR को रद्द करने की मांग की थी
  • सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी तीसरे पक्ष की गुहार पर FIR रद्द करने से गलत नजीर बनेगी
  • पीएम के खिलाफ ‘मोदी जी, हमारे बच्चों की वैक्सीन विदेश क्यों भेजी’ पोस्टर लगाए गए थे, इन्हीं मामलों में दर्ज हुई हैं FIR

नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वैक्सीनेशन ड्राइव के मामले में पीएम के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी वाले पोस्टर लगाने के मामले में दर्ज एफआईआर, किसी तीसरे पक्ष के आग्रह पर खारिज नहीं किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि ऐसा करने से ये गलत नजीर बन जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को अर्जी वापस लेने की इजाजत दे दी। पिछली सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा था कि वह उन केस का डिटेल पेश करें जिनमें वैक्सीनेशन ड्राइव से संबंधित मामले में पीएम नरेंद्र मोदी के खिलाफ आलोचनात्मक टिप्पणी वाले पोस्टर लगाने के कारण केस दर्ज हुआ है या फिर किसी की गिरफ्तारी हुई है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुआई वाली बेंच ने कहा कि तीसरे पक्ष की ओर से इस मामले में एफआईआर रद्द करने की जो दलील दी गई है , उस आधार पर अगर केस रद्द किया जाता है तो यह गलत नजीर बनेगा। याचिकाकर्ता वकील प्रदीप कुमार यादव को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने इस बात की इजाजत दे दी कि वह अर्जी वापस ले सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिनके खिलाफ एफआईआर दर्ज है अगर वह पीड़ित पक्ष एफआईआर रद्द करने की गुहार लगाता है तो मौजूदा मामले मेंं दिया गया फैसला उसमें आड़े नहीं आएगा।

Pegasus Case : पेगासस जासूसी कांड की स्वतंत्र जांच की गुहार, सुनवाई को राजी हुआ सुप्रीम कोर्ट, अगले हफ्ते होगी बहस
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता वकील प्रदीप यादव ने इस मामले से संबंधित केस का ब्यौरा पेश किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस मामले में कैसे तय करें कि जो आपने ब्यौरा दिया है वह डिटेल ठीक है। हम तीसरे पक्ष की ओर से लगाई गई गुहार पर केस रद्द करने का आदेश पारित नहीं कर सकते। यह आदेश अपवाद वाले मामले में होता है। जैसे अगर किसी तीसरे पक्ष के तौर पर पैरंट्स अप्रोच करते हैं तो आदेश पारित होता है। तीसरे पक्ष के कहने पर अगर एफआईआर रद्द करने का आदेश हुआ तो गलत नजीर बन जाएगी।

सच्चर कमिटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका- ‘मुसलमान विशेष वर्ग नहीं, सिफारिशों के अमल पर लगे रोक’
पीएम के टीकाकरण नीति पर सवाल उठाते हुए पोस्टर लगाने वालों के खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई गई थी। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में कहा गया था कि लोगों से सरोकार वाली अभिव्यक्ति मौलिक अधिकार है और ऐसे में पोस्टर लगाने वाले लोगों के खिलाफ दर्ज केस अवैध है और तमाम केस रद्द होना चाहिए और आगे ऐसे मामले में केस दर्ज न करने का भी निर्देश जारी किया जाए।

Pegasus Case: 500 से ज्यादा हस्तियों ने चीफ जस्टिस को लिखा पत्र, सुप्रीम कोर्ट से पेगासस मामले की जांच की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली बेस्ड वकील प्रदीप कुमार यादव ने रिट दाखिल कर गुहार लगाई थी कि इस मामले से संबंधित तमाम केस रद्द किए जाएं। याचिका में कहा गया था कि दिल्ली में दो दर्जन ऐसे केस दर्ज किए गए हैं और 24 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में विचार और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला दिया गया था और कहा गया था कि देश के हर नागरिक को विचार अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है और जो पब्लिक सरोकार से संबंधित मामले में विचार अभिव्यक्ति करता है वह मौलिक अधिकार है।

POSTER-AGAINST-MODI



Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *