हाइलाइट्स
- ओबीसी आरक्षण बिल पर कई दलों ने आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग कर दी
- अखिलेश के बाद राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने यह बात उठाई
- रामगोपाल ने आशंका जाहिर की कि यादव, कुर्मी और गुर्जर को लिस्ट से हटा दिया जाएगा
ओबीसी आरक्षण बिल को विपक्ष का समर्थन तो मिल गया है लेकिन कई दलों ने आरक्षण का दायरा 50 फीसदी से बढ़ाने की मांग कर दी। मंगलवार को लोकसभा में अखिलेश यादव के बाद आज राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के सांसद रामगोपाल यादव ने भी यही बात उठाई। इसी के साथ रामगोपाल यादव ने एक आशंका भी जाहिर कर दी। राज्यसभा में बिल पर चर्चा के दौरान रामगोपाल ने कहा कि ऐसी चर्चा है कि विधेयक के कानून बनने के बाद यूपी में तीन जातियों- यादव, गुर्जर और कुर्मी को ओबीसी लिस्ट से हटा दिया जाएगा। आगे जानिए, रामगोपाल यादव के इस बयान के मायने और यूपी की राजनीति में इन जातियों की ताकत-
संसद में रामगोपाल यादव का बयान
सबसे पहले जान लीजिए रामगोपाल यादव ने बुधवार को राज्यसभा में क्या कहा? सपा सांसद ने कहा, विधेयक के कानून बनने के बाद जो राज्यों को सूची में संशोधित करने का अधिकार मिलेगा, उसका तब तक कोई लाभ नहीं जब तक रिजर्वेशन की सीमा की कैप बढ़ाकर 50 फीसदी न कर दिया जाए। उन्होंने आगे कहा, ‘अभी जो जातियां ओबीसी लिस्ट में हैं, अब उनके अलावा नई जातियां जोड़ी जाएंगी। मान लीजिए 7 फीसदी नई जातियां जोड़ दी गईं। यूपी में पिछड़ी जातियों के लिए 27 फीसदी आरक्षण है, 7 फीसदी और नई जातियां आ जाएंगी तो मौजूदा ओबीसी समुदायों को नुकसान होगा।’
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इसी के साथ रामगोपाल यादव कहा, ‘मुझे एक आशंका है कि जब नई सूची बनेगी तो बीजेपी सरकार जो मौजूदा ओबीसी जातियां हैं उनमें से तीन जातियों को- यादव, कुर्मी और गुर्जर लिस्ट से बाहर कर देगी। ये अभी चर्चा है और आगे चलकर ये होगा ही। कोई न कोई बहाना ढूंढकर इन जातियों को बाहर किया जाएगा।’
मुझे एक आशंका है कि जब नई सूची बनेगी तो बीजेपी सरकार जो मौजूदा ओबीसी जातियां हैं उनमें से तीन जातियों को- यादव, कुर्मी और गुर्जर लिस्ट से बाहर कर देगी।
रामगोपाल यादव, सपा सांसद
रामगोपाल के बयान के मायने क्या?
अब जानिए कि रामगोपाल यादव के इस बयान के मायने क्या हैं। दरअसल यूपी में अगले साल चुनाव हैं और सपा यह हरगिज नहीं चाहती कि उसके सबसे बड़े कोर वोटर यादवों को इस लिस्ट से बाहर किया जाए और उन्हें आरक्षण के लाभ से मोहताज रहना पड़े। यादव वोटर लंबे समय से सपा के साथ ठीक वैसे ही खड़े हैं जैसे दलित बीएसपी के साथ। इसके अलावा सपा की नजर कुर्मी समुदाय पर भी है जिनकी पिछड़ा समुदाय में दूसरी बड़ी आबादी है। इसी समुदाय से आने वाले नरेश उत्तम पटेल को पार्टी ने यूपी में कमान सौंपी हुई है।
यादव और कुर्मी सबसे संपन्न जातियां
ऐसा माना जाता है कि यूपी में ओबीसी आरक्षण का सबसे अधिक फायदा यादव, कुर्मी, जाट और कुशवाहा समुदाय को मिला है जबकि अन्य पिछड़ी जातियां काफी समय से आरक्षण की मांग करती रही हैं। साल 2018 में योगी सरकार ने 4 सदस्यीय उत्तर प्रदेश पिछड़ा वर्ग सामाजिक न्याय समिति का गठन किया था। इस समिति ने यादव और कुर्मी जातियों को संपन्न बताया था। समिति की रिपोर्ट के अनुसार, यादव और कुर्मी दोनों जातियां न सिर्फ सांस्कृतिक बल्कि आर्थिक और राजनीतिक रूप से सक्षम है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि यूपी में अत्यंत पिछड़ा वर्ग के लिए रोजगार के अवसर जनसंख्या के मुकाबले आधे हैं जबकि कुछ यादव और कुर्मी जैसी उप जातियों को नौकरी के मौके ज्यादा मिल रहे हैं। जिनको मध्यम वर्ग की श्रेणी में रखा जा सकता है। ऐसे में सपा को डर है कि योगी सरकार संशोधन का अधिकार मिलने के बाद इन दलों को आरक्षण सूची से बाहर कर सकती है।
यूपी में यादव, कुर्मी और गुर्जर की आबादी
अब आते हैं इन जातियों के आकलन पर। जनगणना के हिसाब से बात करें तो यूपी की कुल आबादी यादवों की संख्या 9 फीसदी है जबकि ओबीसी जातियों में यादवों की हिस्सेदारी करीब 20 फीसदी है। यूपी में पांच बार यादव समाज से सीएम रहे हैं। पहली बार 1977 में रामनरेश यादव यहां से सीएम बने। फिलहाल यह समुदाय समाजवादी पार्टी का कोर वोटर है।
यूपी में कुर्मी समाज की आबादी करीब 12 फीसदी बताई जाती है, हालांकि यह आधिकारिक आंकड़ा नहीं है। इस समाज को बीजेपी की सहयोगी पार्टी अपना दल का कोर वोट बैंक समझा जाता है। इसके अलावा बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह भी इसी समुदाय से आते हैं।
गुर्जर समाज की बात करें तो पश्चिम यूपी में इनकी आबादी अधिक है। वहां के करीब 6 जिलों में गुर्जरों का बोलबाला है। सबसे ज्यादा आबादी गौतमबुद्धनगर में बताई जाती है। यहां करीब 3 लाख गुर्जर वोटर हैं। इसके बाद सहारनपुर में ढाई लाख, मेरठ-हापुड़, अमरोहा और गाजियाबाद में इनकी आबादी डेढ़ लाख के करीब बताई जाती है।
रामगोपाल यादव