संदीप कुमार, मुजफ्फरपुर
वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध हुआ था, उस युद्ध में भारत के हाथों पाकिस्तान की शर्मनाक शिकस्त हुई थी। जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के नाम से एक नए संप्रभु राष्ट्र के रूप में उदय हुआ था। युद्ध के बाद भारत के 54 वीर सैनिकों और अधिकारियों को Missing in Action या फिर Killed in Action घोषित किया गया। ऐसा माना जाता है कि ये सैनिक आज भी जिंदा हैं और पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में कैद हैं।
‘अबतक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद’
इस मामले के सम्बन्ध में मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के मानवाधिकार अधिवक्ता एस के झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की थी। बाद में आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्रालय से जवाब मांगा था। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान मामलों के अवर सचिव नेहा सिंह ने 9 अगस्त को एक पत्र जारी कर बताया है कि “अबतक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद हैं। भारत सरकार लापता हुए 83 भारतीय सैनिकों की शीघ्र रिहाई और उनकी देश वापसी का मामला राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान सरकार के साथ बार-बार उठा रही है, जिसमें वे युद्ध-बंदी भी शामिल हैं, जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे पाकिस्तान की हिरासत में हैं।”
वर्ष 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच जो युद्ध हुआ था, उस युद्ध में भारत के हाथों पाकिस्तान की शर्मनाक शिकस्त हुई थी। जिसके बाद पूर्वी पाकिस्तान का बांग्लादेश के नाम से एक नए संप्रभु राष्ट्र के रूप में उदय हुआ था। युद्ध के बाद भारत के 54 वीर सैनिकों और अधिकारियों को Missing in Action या फिर Killed in Action घोषित किया गया। ऐसा माना जाता है कि ये सैनिक आज भी जिंदा हैं और पाकिस्तान की अलग-अलग जेलों में कैद हैं।
‘अबतक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद’
इस मामले के सम्बन्ध में मुजफ्फरपुर सिविल कोर्ट के मानवाधिकार अधिवक्ता एस के झा ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के समक्ष एक याचिका दायर की थी। बाद में आयोग ने मामले की गंभीरता को देखते हुए विदेश मंत्रालय से जवाब मांगा था। भारत सरकार के विदेश मंत्रालय के पाकिस्तान मामलों के अवर सचिव नेहा सिंह ने 9 अगस्त को एक पत्र जारी कर बताया है कि “अबतक कुल 83 भारतीय सैनिक पाकिस्तान के विभिन्न जेलों में कैद हैं। भारत सरकार लापता हुए 83 भारतीय सैनिकों की शीघ्र रिहाई और उनकी देश वापसी का मामला राजनयिक माध्यम से पाकिस्तान सरकार के साथ बार-बार उठा रही है, जिसमें वे युद्ध-बंदी भी शामिल हैं, जिनके बारे में यह माना जाता है कि वे पाकिस्तान की हिरासत में हैं।”
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पाकिस्तान नहीं स्वीकार करता भारतीय सैनिकों के हिरासत में होने की बात
हालांकि पाकिस्तान ने अपनी हिरासत में किसी भी भारतीय रक्षाकर्मी के होने की बात को स्वीकार नहीं की है। सरकार को इस मामले की जानकारी है और ये लगातार पाकिस्तान सरकार के साथ इस मामले को उठाती रहती है। मामले के सम्बन्ध में मानवाधिकार अधिवक्ता एस. के. झा ने बताया कि भारत सरकार को बिना किसी विलम्ब किये ठोस निर्णय लेने की जरूरत है, जिससे भारतीय सैनिकों की वतन वापसी संभव हो सके।
फाइल फोटो