हाइलाइट्स
- 20 अगस्त को विपक्षी नेताओं की बैठक, सोनिया गांधी करेंगी अध्यक्षता
- राहुल गांधी को विपक्ष की अगुवाई करते नहीं देखना चाहतीं ममता बनर्जी
- उन कार्यक्रमों/गतिविधियों का बहिष्कार किया जहां राहुल लीड कर रहे थे
- गुरुवार को संसद तक विपक्ष के मार्च में भी नजर नहीं आए TMC के सांसद
नरेंद्र मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में 15 विपक्षी दल भले ही साथ आ गए हों, मगर नेतृत्व पर खींचतान बरकरार है। जिस तरह से राहुल गांधी ने हाल के दिनों में विपक्ष की अगुवाई की है, उससे ऐसे संकेत मिलते हैं कि कांग्रेस उन्हीं पर दांव लगाना चाहती है। मगर इससे तृणमूल कांग्रेस को दिक्कत है। ममता बनर्जी की पार्टी ने कई मौकों पर राहुल के नेतृत्व को लेकर अपनी बेरुखी इशारों में जाहिर की है। गुरुवार को जब राहुल के नेतृत्व में विपक्षी सदस्यों ने संसद तक मार्च किया तो भी TMC के सांसद नहीं थे। ऐसा पहली बार नहीं हुआ जब राहुल के नेतृत्व वाले किसी कार्यक्रम या गतिविधि से TMC नदारद रही हो।
बंगाल चुनाव के बाद से बदली-बदली TMC
विपक्ष के कई नेताओं ने कहा है कि नेतृत्व के मुद्दे पर बाद में बात होनी चाहिए जब समन्वय और एजेंडा तय हो चुका हो। विपक्षी खेमे का पूरा ध्यान अभी एजेंडा सेट करने और एक कार्यक्रम तैयार करने पर है जिसके जरिए खुद को बीजेपी के विकल्प के रूप में दिखाया जा सके। 2019 में बीजेपी की सत्ता में वापसी के बाद से ही विपक्ष छिन्न-भिन्न था। पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजों ने विपक्षी एकता में नई जान फूंकी। अब जब विपक्ष एकजुट होता दिख रहा है, जो TMC की राहुल गांधी को लेकर हिचक और खुलकर सामने आ गई है।
राहुल का नेतृत्व ममता को नहीं पसंद?
संसद मार्च से नदारद रहने को लेकर जब सवाल हुए तो TMC सांसद सौगत रॉय ने कहा, “अगर किसी को लगता है कि हम हर कार्यक्रम में शामिल होंगे तो ऐसा संभव नहीं है। उन्हें हमें बताना होगा, हम अपने नेता से बात करेंगे फिर तय करेंगे। हम हर मामले को मेरिट पर देखते हैं। हमारी नीयत यह है कि हम विपक्ष की एकता के लिए काम कर रहे हैं। हमारी नेता आकर सोनिया गांधी और राहुल गांधी से मिल चुकी हैं।” रॉय जिस मुलाकात का जिक्र कर रहे हैं, वह 28 जुलाई को हुई थी। तब ममता की दोनों नेताओं को ‘नमस्ते’ करती एक तस्वीर भी सामने आई थी।
TMC ने लगातार उन कार्यक्रमों या बैठकों से कन्नी काटी हैं जिनमें राहुल गांधी नेतृत्व करते हैं। पिछले शुक्रवार को जंतर मंतर पर, TMC के नेता राहुल गांधी के नेतृत्व में विपक्ष के पहुंचने से काफी पहले ही पहुंच गए। पूछे जाने पर कहा कि “जंतर मंतर पर किसानों से मिलने का हमारा कार्यक्रम मंगलवार को तय हुआ था। तो हम तय कार्यक्रम के हिसाब से आज आए।” मोदी-शाह के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई के सवाल पर TMC नेताओं ने कहा था, “हम दोस्त हैं मगर हम आपसे आगे भी तो निकल सकते हैं।”
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सौगत रॉय ने कहा कि बंगाल में TMC ने बीजेपी को खुद हराया। विपक्षी एकता में कांग्रेस की जरूरत है मगर सारे फैसले वही नहीं कर सकती। साथ में योद्धा की तरह लड़ने के लिए उनका स्वागत है मगर सबकुछ उनके हिसाब से नहीं चल सकता।
इसीलिए सोनिया गांधी करेंगे बैठक की अध्यक्षता?
विपक्षी दलों की एक बैठक 20 अगस्त को होने वाली है। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी इस बैठक का नेतृत्व करेंगी। वर्चुअल मीटिंग में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार के अलावा ममता, शिवसेना के उद्धव ठाकरे, डीएमके के एमके स्टालिन समेत अन्य विपक्षी दलों के नेता भी शामिल होंगे। बैठक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री भी हिस्सा लेंगे। संसद में विपक्षी एकजुटता के प्रदर्शन के बाद इस बैठक को बेहद अहम माना जा रहा है।
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विपक्ष की एकजुटता के लिए TMC का होना जरूरी
संसद के मॉनसून सत्र में विपक्षी दल एक साथ आने में कामयाब रहे। नतीजा यह हुआ कि दोनों सदनों में सरकार को खासी परेशानी हुई। संसद की कार्यवाही को पंगु बनाने को विपक्ष ऐंटी-बीजेपी ब्लॉक के खिलाफ जीत की तरह देख रहा है। राजनीतिक एक्सपर्ट्स मानते हैं कि विपक्षी एकता में TMC की अहम भूमिका होगी। बंगाल में जिस तरह ममता ने बीजेपी को हराया, उससे विपक्षी दलों के बीच उनकी पैठ मजबूत हुई है। कुछ राजनीतिक पंडितों ने तो ममता ने विपक्ष की अगली नेता को भी देखा।
28 जुलाई को राहुल और सोनिया से मिली थीं ममता (फाइल)