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हाइलाइट्स

  • हुर्रियत नेता सैयद अली शाह गिलानी का 92 साल की उम्र में निधन
  • इमरान खान ने पाकिस्तान में आधिकारिक शोक घोषित किया
  • इमरान खान की चालबाजी पर ट्विटर यूजर्स ने जमकर लताड़ लगाई

नई दिल्ली
जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी हुर्रियत के नेता सैयद अली शाह गिलानी का बीती रात 92 साल की उम्र में निधन हो गया। गिलानी के निधन पर कश्मीर के कई नेताओं ने शोक व्यक्त किया, लेकिन आदत से मजबूर पाकिस्तानी पीएम इमरान खान इस मौके पर भी अपनी चालबाजी से बाज नहीं आए। ऐसे में ट्विटर यूजर्स भी भला कहां चुप बैठने वाले थे। उन्होंने भी इमरान खान को जमकर लताड़ लगाई और उन्हें ‘तालिबान खान’ तक बता दिया।

इमरान ने कहा- भारत ने गिलानी का टॉर्चर किया
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने गिलानी के निधन पर ट्वीट किया- कश्‍मीरी नेता सैयद अली शाह गिलानी के निधन की खबर सुनकर बहुत दुखी हूं। गिलानी जीवनभर अपने लोगों और उनके आत्‍मनिर्णय के अधिकार के लिए लड़ते रहे। इमरान ने कहा कि भारत ने उन्‍हें कैद करके रखा और टॉर्चर किया।

पाकिस्तान का झंडा आधा झुकवाया
इमरान ने आगे अपने ट्वीट में कहा, ‘हम पाकिस्‍तान में उनके संघर्ष को सलाम करते हैं और उनके शब्‍दों को याद करते हैं- हम पाकिस्‍तानी हैं और पाकिस्‍तान हमारा है। पाकिस्‍तान का झंडा आधा झुका रहेगा और हम एक दिन का आधिकारिक शोक मनाएंगे।’

Syed Ali Shah Geelani: सैयद अली शाह गिलाानी का निधन, जब चुनाव की जगह गिलानी का बॉयकॉट किया था कश्मीरी आवाम ने
‘टॉर्चर होता तो 90 साल नहीं जीते वो’
गिलानी की मौत का सियासी फायदा उठाने की इमरान खान की नीयत और चालबाजी को ट्विटर यूजर्स तुरंत भाप गए और उन्होंने इमरान खान को जमकर लताड़ लगाई। मिहिर झा नाम के एक यूजर्स ने रिप्लाई किया- टॉर्चर किया होता तो वो 90 साल नहीं जीते। टॉर्चर हुआ था बलूचिस्तान के अकबर बुगती का- मिस्टर तालिबान खान, आपको तो पता ही होगा उनकी मौत कैसे हुई?

एक अन्य ट्विटर यूजर ने कहा- मिस्टर तालिबान खान! भारत के आतंरिक मामलों में दखल देना बंद करो। कश्मीर-कश्मीर करके बच्चों को जिहाद के नाम पर मरवाते हो- न खुद तरक्की करनी है और ना ही दूसरों को करने देनी है। इमरान खान ने गिलानी को कश्मीरी फ्रीडम फाइटर बताया तो सचिन नाम के यूजर ने लिखा- LoL, तालिबान खान भाई।

गिलानी को दिया था पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान
आपको बता दें कि भारत विरोधी बयानों के लिए मशहूर रहे गिलानी को पड़ोसी देश पाकिस्तान ने अपने सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-पाकिस्तान से भी नवाजा था। कश्मीर में गिलानी के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उनकी एक आवाज पर कश्मीर बंद हो जाता था। हालांकि ऐसे भी मौके आए हैं जब कश्मीरी आवाम ने एक तरह से गिलानी का ही बॉयकॉट कर दिया था।



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