सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा है कि ट्राइब्यूनल के आदेश में दर्ज वॉटर मार्क के कारण आदेश पढ़ने में परेशानी है। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ई कमिटी ट्राइब्यूनल से संपर्क करेगी और कहेगी कि वह जजमेंट के पेजों से वॉटरमार्क हटाएं। एनजीटी के आदेश के खिलाफ अपील पर सुनवाई के दौरान जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने ये टिप्पणी की।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि ट्राइब्यूनल हमारे अंदर में नहीं हैं लेकिन इस मुद्दे को ई कमिटी डील करेगी। पहले भी हमने हाई कोर्ट के मसले पर ये मुद्दा उठाया था। यह खराब स्थिति है कि हम ऑर्डर नहीं पढ़ सकते। जस्टिस चंद्रचूड़ खुद ई कमिटी के चेयरमैन भी हैं।
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस चंद्रचूड़ ने टिप्पणी में कहा कि वॉटर मार्क पेजों पर होता है और इस कारण आदेश नहीं पढ़ा जाता है और खासकर जो देखने में परेशानी से जूझ रहे हैं उनके लिए तो ऑर्डर अपठनीय हो जाता है। एक मेरे लॉ क्लर्क हैं जो स्कॉलर हैं लेकिन विजुअली चैलेंज हैं वह ऑर्डर नहीं पढ़ पाते क्योंकि ऑर्डर में वॉटर मार्क होता है। ये ऑर्डर मशीन से भी नहीं पढ़ा जाता है। जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि हर पेज पर बड़े साइज में लोगो होने के कारण ऑर्डर पढ़ना बेहद मुश्किल होता है। यहां तक कि मैं भी पढ़ने में सहज महसूस नहीं करता हूं।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने इसी साल मार्च में कहा था कि हाई कोर्ट और ट्राइब्यूनल अपने ऑर्डर के प्रत्येक पेज पर वॉटर मार्क डालने से बचें। इस तरह से जजमेंट में वॉटर मार्क डालने से दस्तावेजों को आसानी से पढ़े जाने में दिक्कतें होती हैं। जजमेंट की विश्वसनीयता को दिखाने के लिए वॉटरमार्क की जरूरत नहीं है। आज के समय में जजमेंट में डिजिटल साइन होता है। शीर्ष अदालत ने कहा कि वॉटर मार्क वाले ऑर्डर को पढ़ने में परेशानी है खासकर तब जब सोमवार से लेकर शुक्रवार तक 40-45 एसएलपी पढ़ना होता है।