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नई दिल्‍ली: वायु प्रदूषण बीमारियां ही पैदा नहीं कर रहा बल्कि हमारी उम्र भी घटा रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में वायु प्रदूषण की वजह से 40 फीसदी लोगों की उम्र में से नौ साल तक कम हो सकती है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय के वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक (AQLI) की ताजा रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और नेपाल वायु गुणवत्ता को WHO मानकों के अनुरूप स्वच्छ बनाने में सफल हो जाएं तो औसत आयु 5.6 साल बढ़ जाएगी। वर्ना इतनी उम्र घट जाएगी। सर्वाधिक प्रदूषित शहरों दिल्ली, मुंबई और कोलकाता के बाशिंदे उम्र के नौ साल गंवा सकते हैं।

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AQLI की रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से मुक्ति दुनिया को औसत आयु में दो साल और सर्वाधिक प्रदूषित देशों को पांच साल की बढ़त दिला सकती है। भारत और पड़ोसी देशों के लिए यह आकलन 5.6 साल का किया गया है। रिपोर्ट के अनुसार भारत, पाकिस्तान, नेपाल और बांग्लादेश में दुनिया के एक चौथाई लोग रहते हैं। और ये दुनिया के पांच सर्वाधिक आबादी वाले मुल्कों में शामिल हैं। भारत में 48 करोड़ लोग गंगा के मैदानी क्षेत्र में रहते हैं, जहां प्रदूषण का स्तर बेहद ज्यादा है।

रिपोर्ट के अनुसार, प्रदूषण अब गंगा के मैदानों से आगे मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में फैल गया है, जहां लोग वायु गुणवत्ता के कारण 2.5-2.9 साल की जीवन प्रत्याशा खो सकते हैं। जबकि केंद्र सरकार द्वारा संचालित राष्ट्रीय स्वच्छ हवा कार्यक्रम (एनकैप) के लक्ष्य राष्ट्रीय जीवन प्रत्याशा को 1.7 तक बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

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प्लास्टिक प्रदूषण के प्रवासी प्रजातियों को ज्यादा खतरा
यूएन की एक रिपोर्ट में इस बात की आशंका जताई गई है कि बढ़ते प्लास्टिक प्रदूषण से सबसे ज्यादा खतरा प्रवासी प्रजातियों को है, जो जमीन के साथ-साथ ताजे पानी में भी रहते हैं। रिपोर्ट में एशिया-पैसिफिक क्षेत्र में इसकी आशंका ज्यादा बताई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक गंगा और इरावडी डॉल्फिनों, एशियाई हाथियों और काले पैरों वाले अल्बाट्रॉस पर प्लास्टिक प्रदूषण का बुरा असर पड़ सकता है। ये रिपोर्ट यूएन कंवेंशन ऑफ माइग्रेटरी स्पीशीज ऑफ वाइल्ड एनिमल्स (CMS) की तरफ से जारी की गई है।



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