भारत में ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता के प्रतीक पंजाब के जलियांवाला बाग के नवीनीकरण को लेकर सियासत गरमा गई है। 102 साल पहले हुए कांड को काला अध्याय करार देते हुए सोशल मीडिया पर कई लोगों ने शहीदों के स्थल को अत्याधुनिक रंग देने का विरोध किया। वहीं राहुल गांधी ने इसे शहीदों का अपमान करार देते हुए कहा कि वह इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा, ‘जलियांवाला बाग के शहीदों का ऐसा अपमान वही कर सकता है, जो शहादत का मतलब नहीं जानता। मैं एक शहीद का बेटा हूं। शहीदों का अपमान किसी कीमत पर सहन नहीं करूंगा। हम इस अभद्र क्रूरता के खिलाफ हैं।’ राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि जिन्होंने आजादी के लिए संघर्ष ही नहीं किया, वे कभी उन्हें नहीं समझ सकते हैं, जिन्होंने लड़ाई लड़ी।
PM मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जलियांवाला बाग के नए स्मारक का उद्घाटन किया। इन घटनाओं को दिखाने के लिए ऑडियो-वीडियो टेक्निक के माध्यम से मैपिंग और थ्री डी चित्रण के साथ ही कला एवं मूर्तिकला अधिष्ठापन भी शामिल हैं। जलियांवाला बाग में 13 अप्रैल, 1919 को घटित विभिन्न घटनाओं को दर्शाने के लिए साउंड ऐंड लाइट शो की व्यवस्था की गई है।
पीएम मोदी ने जलियांवाला बाग के नए स्मारक का किया उद्घाटन, बोले- नई पीढ़ी के लिए है प्रेरणादायक
दरअसल, सोशल मीडिया पर लोगों ने जलियांवाला का रूप रंग बदले जाने को लेकर निशाना साधा। अधिकतर आलोचना उन गलियारों का स्वरूप बदलकर आधुनिकीकरण कर दिए जाने को लेकर है, जहां जनरल डायर ने बैसाखी के दिन निहत्थे लोगों पर गोली चलाने का आदेश दिया था। लोगों ने नवीनीकरण के नाम पर इतिहास को नष्ट किए जाने का आरोप लगाया।
इतिहासकार एस इरफान हबीब ने ट्वीट कर कहा, ‘यह स्मारकों का कॉर्पोरेटीकरण है। जहां वे आधुनिक संरचनाओं के रूप में समाप्त हो जाते हैं, विरासत मूल्य खो देते हैं।’ वहीं सीपीएम के सीताराम येचुरी ने कहा, ‘जलियांवाला की हर ईंट ब्रिटिश हुकूमत की क्रूरता की गवाही देती है। केवल स्वतंत्रता संग्राम से दूर रहे लोग ही इस प्रकार की हरकत कर सकते हैं।’
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