अफगानिस्तान संकट के बीच आतंकवादी संगठन अल कायदा ने ‘इस्लामिक जमीनों’ की मुक्ति के लिए ‘ग्लोबल जिहाद’ का आह्वान किया है। 30 अगस्त की आधी रात को काबुल से अमेरिका के आखिरी सैनिक की विदाई के बाद जारी अपने बयान में अल कायदा ने कश्मीर का भी जिक्र किया। एनडीटीवी ने सरकारी सूत्रों के हवाले से बताया है कि बयान में कश्मीर का जिक्र होने और चेचन्या व शिनजियांग को बाहर रखने से साबित होता है कि इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ है। इस बीच तालिबान ने कहा है कि उसे भारत के कश्मीर समेत दुनियाभर के मुस्लिमों के पक्ष में आवाज उठाने का हक है।
अधिकारियों ने एनडीटीवी से कहा, ‘जिहाद का आह्वान करता अल कायदा का बयान चिंता की बात है। स्टेटमेंट में कश्मीर का जिक्र साजिश की तरफ इशारा करता है क्योंकि इससे पहले कभी यह अल कायदा के अजेंडे में नहीं था। इस बयान के पीछे पाकिस्तान की आईएसआई है।’ दरअसल, अल कायदा के जरिए ग्लोबल जिहाद के आह्वान से ISI लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तानी आतंकवादी संगठनों को भारत में हमले बढ़ाने का खुला संदेश दे रही है।
एनडीटीवी ने अपनी रिपोर्ट में सरकार के एक सीनियर अधिकारी के हवाले से कहा है, ‘अल कायदा दुनिया भर में मुस्लिमों को कट्टर बनाने की कोशिश कर रहा है, यह मानवता के लिए घातक है। पाकिस्तान अपने अजेंडे को आगे बढ़ा रहा है।’ अधिकारी ने बताया कि अल कायदा पर पाकिस्तान का पूरा नियंत्रण है। यहां तक कि तालिबान का सर्वोच्च नेता हैबतुल्लाह अखुंदजादा भी कथित तौर पर पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई के कब्जे में है।
अधिकारी ने बताया कि जिहाद के टारगेट्स में रूस के चेचन्या और चीन के शिनजियांग का जिक्र नहीं होना अहम है और बहुत कुछ कहता है। अल कायदा ने अपने बयान में कहा है, ‘लेवेंट, सोमालिया, यमन, कश्मीर और बाकी इस्लामिक धरती को इस्लाम के दुश्मनों के चंगुल से मुक्त कराओ।’
इस बीच तालिबान ने कश्मीर पर एक बार फिर बयान दिया है। बीबीसी के साथ बातचीत में तालिबान के दोहा कार्यालय के प्रवक्ता सुहैल शाहीन ने कहा कि उनके समूह का इरादा किसी भी देश के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष करने का नहीं है। शाहीन ने यह भी कहा कि मुसलमान होने के कारण भारत के कश्मीर में या किसी भी दूसरे देश में मुस्लिमों के पक्ष में आवाज उठाने का अधिकार उनके पास है।
प्रतीकात्मक तस्वीर