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हाइलाइट्स

  • 2020 के दौरान, भारत में चिकित्सा लापरवाही के कारण मौतों के 133 मामले
  • लापरवाही के कारण हुईं सड़क दुर्घटनाओं में तीन साल में 3.92 लाख लोगों की जान गई
  • 2020 में हिट एंड रन के 41,196 मामले सामने आए

नयी दिल्ली
भारत में 2020 में लापरवाही के कारण हुई सड़क दुर्घटनाओं से संबंधित मौत के 1.20 लाख मामले दर्ज किए गए। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, कोविड-19 लॉकडाउन के बावजूद हर दिन औसतन 328 लोगों ने अपनी जान गंवाई। राष्ट्रीय अपराध रेकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) ने 2020 की वार्षिक ‘क्राइम इंडिया’ रिपोर्ट में खुलासा किया कि लापरवाही के कारण हुईं सड़क दुर्घटनाओं में तीन साल में 3.92 लाख लोगों की जान गई है।

हिट एंड रन के मामले
केंद्रीय गृह मंत्रालय के तहत काम करने वाले एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चलता है कि देश में 2018 के बाद से ”हिट एंड रन” यानी टक्कर मारकर भागने के 1.35 लाख मामले दर्ज किए गए हैं। अकेले 2020 में, ”हिट एंड रन” के 41,196 मामले सामने आए। 2019 में ऐसे 47,504 और 2018 में 47,028 मामले सामने आए थे।

लापरवाही से गाड़ी चलाने के चलते दुर्घटना
सार्वजनिक मार्ग पर तेज गति से या लापरवाही से वाहन चलाने से ”चोट” लगने के मामले 2020 में 1.30 लाख, 2019 में 1.60 लाख और 2018 में 1.66 लाख रहे, जबकि इन वर्षों में ”गंभीर चोट” लगने के क्रमश: 85,920, 1.12 लाख और 1.08 लाख मामले दर्ज किये गए। इस बीच, देश भर में 2020 में रेल दुर्घटनाओं में लापरवाही से मौत के 52 मामले दर्ज किए गए। 2019 में ऐसे 55 और 2018 में 35 मामले दर्ज किए गए थे।

चिकित्सा लापरवाही के चलते मौत
एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि 2020 के दौरान, भारत में ”चिकित्सा लापरवाही के कारण मौतों” के 133 मामले दर्ज किये गए। 2019 में ऐसे मामलों की संख्या 201 जबकि 2018 में 218 थी।

2019 में ऐसे मामलों की संख्या 147
रिपोर्ट के अनुसार, 2020 में ‘नागरिक निकायों की लापरवाही के कारण मौत’ के 51 मामले सामने आए। 2019 में ऐसे मामलों की संख्या 147 और 2018 में 40 थी। आंकड़ों में बताया गया है कि 2020 में देश भर में ”अन्य लापरवाही के कारण मौत” के 6,367 मामले दर्ज किए गए, जो 2019 में 7,912 और 2018 में 8,687 थे।

लॉकडाउन के दौरान हादसे
एनसीआरबी ने रिपोर्ट में कहा कि देश में 25 मार्च, 2020 से 31 मई, 2020 तक पूरी तरह कोविड-19 लॉकडाउन लागू रहा और इस दौरान सार्वजनिक स्थानों पर आवाजाही बहुत सीमित थी। रिपोर्ट में कहा गया है कि महिलाओं, बच्चों और वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ अपराधों, चोरी, लूट, डकैती और झपटमारी के मामलों में गिरावट आई है।



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