ईस्टर्न लद्दाख में लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर एक साल से ज्यादा वक्त से चल रहे विवाद को सुलझाने के लिए भारत और चीन की सेनाओं के बीच कोर कमांडर स्तर की मीटिंग शनिवार को होगी। यह इस लेवल की 12वें दौर की मीटिंग है। मीटिंग चीन की तरफ मॉल्डो में होगी। सुबह 10.30 बजे मीटिंग शुरू होने का वक्त रखा गया है। भारतीय सेना को उम्मीद है कि इस बार बातचीत में हॉट स्प्रिंग और गोगरा में डिसइंगेजमेंट पर बातचीत कुछ आगे बढ़ सकती है। हालांकि, अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल होने की उम्मीद फिलहाल नहीं है।
सेना के एक अधिकारी ने कहा कि हमें उम्मीद है कि इस राउंड की बातचीत में ईस्टर्न लद्दाख में गोगरा और हॉट स्प्रिंग एरिया में डिसइंगेजमेंट पर सहमति की दिशा में आगे बढ़ा जा सकता है। इन दोनों पॉइंट पर दोनों तरफ से करीब 30-35 सैनिक ही तैनात हैं। उन्होंने कहा जब पैंगोंग एरिया में हजारों सैनिक और सैन्य साजो-सामान को पीछे किया जा सकता है तो हॉट स्प्रिंग और गोगरा एरिया में तो महज कुछ सैनिकों को ही पीछे करना है और टेंट हटाने हैं। पैंगोंग झील के उत्तरी किनारे में तो चीनी सैनिकों ने कई सेमी-परमानेंट स्ट्रक्चर भी बना लिए थे जिन्हें तोड़कर वह पीछे गए।
सेना के अधिकारी के मुताबिक हॉट स्प्रिंग एरिया में पैंगोंग से भी पहले डिसइंगेजमेंट शुरू हुआ था लेकिन वह पूरा नहीं हो पाया। जिसके बाद दोनों तरफ की सेना की एक प्लाटून यानी करीब 30 सैनिक वहां तैनात हैं। हालांकि यह एकदम आमने-सामने नहीं हैं लेकिन जब तक डिसइंगजमेंट नहीं हो जाता तब तक यहां सामान्य स्थिति नहीं हो सकती। दोनों देशों के सैनिक इन पॉइंट्स पर पट्रोलिंग भी नहीं कर पा रहे हैं।
अधिकारी ने कहा कि बातचीत में डेमचॉक और डेपसांग का मसला भी उठाया जाता रहा है। हर मीटिंग में भारत की तरफ से कहा जाता है कि डेपसांग एरिया में चीनी सैनिकों ने भारत के जो पेट्रोलिंग पॉइंट ब्लॉक किए हैं उन्हें वह खोले और अपने सैनिकों को हटाए। डेमचॉक एरिया में चीनी सैनिकों के साथ ही सिविलियंस के टेंट भी लगे हैं। यह भी करीब दो साल पुराने हैं और मीटिंग में इन पर भी बात होती है।
सेना के अधिकारी के मुताबिक इस मीटिंग में भी भारत की तरफ से अप्रैल 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल करने पर बात होगी। हालांकि यह इतना आसान नहीं है। उन्होंने कहा अभी तो बस पैंगोंग एरिया में डिसइंगेजमेंट हुआ है। उसमें कुछ जगहों पर सैनिक 500 मीटर पीछे गए हैं कुछ जगहों पर कुछ किलोमीटर तक पीछे हुए हैं। पैंगोंग एरिया के उत्तरी किनारे यानी फिंगर एरिया में दोनों देशों के सैनिक अपने परमानेंट बेस पर चले गए हैं। हालांकि सारे सैनिक वहीं तैनात हैं और किसी भी तरफ से सैनिकों को हटाया नहीं गया है। इसलिए डिएस्केलेशन और फिर डीइंडक्शन में बहुत वक्त लग सकता है।
डिएस्केलेशन का मतलब है कि सैनिक और टैंक, मिसाइल सहित दूसरे सैन्य साजोसामान जो अभी जंग लड़ने के लिए तैनात हैं उन्हें नॉर्मल स्थिति में उनके बेस भेज दिया जाएगा। डीइंडक्शन का मतलब है कि धीरे-धीरे सैनिकों को वहां से हटाया जाएगा और पहली वाली स्थिति बहाल की जाएगी। ईस्टर्न लद्दाख में एलएसी के पास चीन ने अपने करीब 50 हजार सैनिक तैनात किए हैं और उसी तरह भारत ने भी करीब उतने ही सैनिक तैनात किए है। दोनों तरफ से सैनिकों की संख्या में कोई कमी नहीं की गई है।
दोनों देशों के बीच कोर कमांडर लेवल की 11वें दौर की बातचीत 9 अप्रैल को एलएसी से भारतीय सीमा की ओर चुशुल में हुई थी। पिछले साल मई के बाद से पूर्वी लद्दाख में टकराव वाले कई स्थानों पर दोनों देशों के बीच सैन्य गतिरोध बना हुआ है। दोनों पक्षों ने सिलसिलेवार सैन्य और कूटनीतिक वार्ताओं के बाद पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिणी किनारों से सैनिकों और हथियारों को हटाने की प्रक्रिया पूरी कर ली है। हालांकि, टकराव वाले शेष स्थानों से सैनिकों को हटाने की कोई गतिविधि होती नहीं दिखी है क्योंकि चीनी पक्ष ने 11 वें दौर की सैन्य वार्ता में इस पर अपनी नरमी नहीं दिखाई थी।