अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा लगातार बढ़ता जा रहा है। तालिबान के आतंकी अब काबुल के काफी नजदीक पहुंच गए हैं। तालिबानी लड़ाकों ने देश के कई महत्वपूर्ण शहरों पर कब्जा कर लिया है। दूसरी तरफ अमेरिकी सेना की अफगानिस्तान से वापसी जारी है। बीते 24 घंटे को दौरान ही अफगानिस्तान के तीन स्टेट तालिबान के कब्जे में आ गए हैं। उधर अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने भी कहा है कि 90 दिनों में तालिबान काबुल पर कब्जा कर लेगा। वॉर कवर करने वाली एक वेबसाइट के मुताबिक, 233 प्रॉविन्स पर तालिबान ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया है। 109 सूबों में तालिबान और अफगान सुरक्षाबलों के बीच जंग चल रही है। इसके अलावा 65 प्रोविन्स अफगान सरकार के पास सुरक्षित हैं।
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट में भारी निवेश
अफगानिस्तान के मौजूदा हालात दुनिया के कई देशों के साथ ही भारत के लिए चिंता का सबब बना हुआ है। पिछले 20 सालों में अफगानिस्तान के साथ मजबूत होते रिश्ते को दरम्यान भारत ने वहां इंफ्रास्ट्रक्चर समेत विभिन्न प्रोजेक्ट में भारी निवेश किया है। ऐसे में भारत के लिए टेंशन अधिक बढ़ी हुई है। अफगानिस्तान में काम कर चुके पूर्व भारतीय राजदूत राकेश सूद का तालिबान मामले पर कहना है कि अफगानिस्तान में भारत ने अपने बड़े प्रोजेक्ट्स को करीब 5 साल पहले ही पूरा कर लिया है। अब कुछ छोटे-छोटे प्रोजेक्ट हैं जो अफगानिस्तान के हर प्रांत में हैं।
34 प्रांतों में भारत के 400 से अधिक प्रोजेक्ट्स
पिछले साल नवंबर में जिनेवा में हुए अफगानिस्तान सम्मेलन में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था कि अफगानिस्तान का कोई भी हिस्सा आज भारत के प्रोजेक्ट से अछूता नहीं है। विदेश मंत्री का कहना था कि अफगानिस्तान के 34 प्रांतों में भारत के 400 से अधिक प्रोजेक्ट्स हैं। मौजूदा स्थिति में सारे प्रोजेक्ट का भविष्य अधर में दिखाई दे रहा है। ऐसे में अब इनका क्या होगा इसको लेकर तमाम तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं। आइए नजर डालते हैं अफगानिस्तान में भारत के प्रमुख प्रोजेक्ट के बारे में…
अफगान-भारत मैत्री का प्रतीक सलमा बांध
सलमा बांध अफगानिस्तान में भारत की सबसे बड़ी परियोजनाओं में से एक हैं। हेरात प्रांत में बने इस बांध की क्षमता 42 मेगावाट है। कई बाधाओं के बीच साल 2016 में इस जलविद्युत और सिंचाई परियोजना का उद्घाटन किया गया था। इसे अफगान-भारत मैत्री बांध के रूप में जाना जाता है। तालिबान का दावा है कि बांध के आसपास का क्षेत्र अब उनके नियंत्रण में है।
जरांज-डेलाराम हाईवे का सामरिक महत्व
इस हाई-प्रोफाइल प्रोजेक्ट का निर्माण सीमा सड़क संगठन ने किया था। इस हाईवे की लंबाई 218 किलोमीटर है। जरांज ईरान के साथ अफगानिस्तान की सीमा के करीब स्थित है। 150 मिलियन डॉलर का लागत से तैयार यह हाईवे खश रुड नदी के साथ जरंज के उत्तर-पूर्व में डेलाराम तक जाता है। वहां, यह एक रिंग रोड से जुड़ता है जो दक्षिण में कंधार, पूर्व में गजनी और काबुल, उत्तर में मजार-ए-शरीफ और पश्चिम में हेरात को जोड़ता है।
अफगानिस्तान में वैक्लपिक मार्ग
पाकिस्तान से इनकार के बाद अफगानिस्तान के साथ व्यापार इस हाईवे के जरिये होता है। ऐसे में भारत के लिए इसका सामरिक महत्व है। यह ईरान के चाबहार बंदरगाह के माध्यम से अफगानिस्तान में एक वैकल्पिक मार्ग प्रदान करता है। जयशंकर ने नवंबर 2020 के जिनेवा सम्मेलन में कहा कि भारत ने महामारी के दौरान चाबहार के माध्यम से 75,000 टन गेहूं अफगानिस्तान पहुंचाया था।
अफगानी संसद का निर्माण
भारत ने काबुल में 90 मिलियन डॉलर की लागत से संसद का निर्माण कराया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस संसद भवन का उद्घाटन किया था। इसे साल 2015 में खोला गया था। पीएम मोदी ने इमारत को अफगानिस्तान में लोकतंत्र के लिए श्रद्धांजलि बताया। इमारत के एक ब्लॉक का नाम पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा गया है।
2016 में पूरी हुई स्टोर पैलेस परियोजना
2016 में, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी और प्रधान मंत्री मोदी ने काबुल में स्टोर पैलेस का उद्घाटन किया था। यह मूल रूप से 19 वीं शताब्दी के अंत में बनाया गया था। इस इमारत में 1965 तक अफगान विदेश मंत्री और मंत्रालय के कार्यालय थे। 2009 में, भारत, अफगानिस्तान और आगा खान डेवलपमेंट नेटवर्क ने इसकी बहाली के लिए एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए। आगा खान ट्रस्ट फॉर कल्चर ने 2013 और 2016 के बीच परियोजना को पूरा किया।
पावर इन्फ्रा के तहत ट्रांसमिशन लाइन
अफगानिस्तान में अन्य भारतीय परियोजनाओं में राजधानी काबुल को बिजली की आपूर्ति बढ़ाने के पावर इन्फ्रा प्रोजेक्ट पर काम किया। बघलान प्रांत की राजधानी पुल-ए-खुमरी से काबुल के उत्तर में 220kV डीसी ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण भारत की तरफ से किया गया।
80 मिलियन डॉलर की 100 कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट
पिछले साल नवंबर में जिनेवा सम्मेलन में, जयशंकर ने घोषणा की कि भारत ने अफगानिस्तान के साथ काबुल जिले में शतूत बांध के निर्माण के लिए एक समझौता किया है। इस प्रोजेक्ट से 20 लाख लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध हो सकेगा। जयशंकर ने 80 मिलियन डॉलर की लगभग 100 कम्युनिटी डेवलपमेंट प्रोजेक्ट की शुरुआत की भी घोषणा की।