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नई दिल्ली
भारत के सामने एक बहुत बड़ी समस्या है केसों की पेंडेंसी। यानी की अदालतों में 20-20 साल पुराने मामले चल रहे हैं। आईपीसी, सीपीसी, एविडेंस एक्ट में ऐसे-ऐसे कानून हैं जिनसे मामले कभी सुलझते नहीं है और लोगों की पीढ़िया खत्म हो जाती हैं मगर केस नहीं खत्म होते। देश के ऐसे कई बड़े मामले सामने आए जिनमें सुनवाई होती रही मगर उसे जुड़े लोगों की मौत तक हो गई। मगर केस खत्म नहीं हुआ। ऐसे में अदालतों का बोझ भी लगातार बढ़ता जा रहा है और इसकी वजह से क्राइम भी बढ़ता जा रहा है।

चार करोड़ से ज्यादा लंबित मामले
देश में 4.4 करोड़ पेंडिंग मामले हैं। 10675710 सिविल केस, 29494541 क्रिमनल केस पेंडिंग हैं। नेशनल जुडिशियल डेटा ग्रिड की वेबसाइट से मिले आंकड़े बताते हैं कि 4,01,7025,1 केस पेंडिंग हैं। वहीं अब कोरोना की वजह से इसकी संख्या और भी ज्यादा बढ़ गई है। देश में पेडिंग केस की संख्या 4.4 करोड़ के पार चली गई है। लंबित मामलों की यह अब तक की सबसे अधिक संख्या है। सुप्रीम कोर्ट से लेकर लोअर कोर्ट सभी जगहों पर पेडिंग केस की संख्या बढ़ी है। पिछले साल मार्च के मुकाबले इस साल संख्या 19 प्रतिशत तक बढ़ी है।

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कानून में बड़े बदलावों की चल रही कवायद
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के 51वें स्थापना दिवस के संबोधन के दौरान बेहद अहम बात का जिक्र किया। उन्होंने आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) , सीपीसी (आपराधिक प्रक्रिया संहिता), एविडेंस एक्ट (साक्ष्य अधिनियम) में सुधार करने की बात कही। इसके लिए केंद्र को विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों, केंद्रीय बलों और तमाम गैर सरकारी संगठनों (NGO) से सुझाव भी मिले हैं। अब इन सुझावों और एक्सपर्ट्स के साथ राय मशविरा करके इन कानूनों में बदलाव किया जाएगा। अमित शाह ने कहा कि आपराधिक न्याय प्रणाली के एक बड़े बदलाव के लिए हम तैयार हैं।

पुलिस से लेकर एनजीओ तक मांगे जा रहे हैं सुझाव
पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआरएंडडी) के 51वें स्थापना दिवस को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि संगठन से दो वर्षों से चल रही परामर्श प्रक्रिया का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। उन्होंने कहा है कि कानूनों में बदलाव करना और उन्हें आधुनिक समय और भारतीय परिस्थितियों के साथ तालमेल बिठाना होगा। 14 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के अलावा, आठ केंद्रीय पुलिस संगठनों, छह केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (सीएपीएफ) और सात गैर सरकारी संगठनों ने दशकों से लागू कई ब्रिटिश-युग के कानूनों में संभावित बदलावों पर अपने-अपने विचार रखे हैं। अब इन विचारों पर मंथन होकर ही कानूनों में बदलाव किए जाएंगे।

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बार एसोसिएशन भी दे रही हैं सुझाव
सूत्रों के अनुसार गृह मंत्रालय के विचार विमर्शों में अदालतें और बार एसोसिएशन भी शामिल हैं। एक सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘इस पर काम चल रहा है। अपने भाषण में शाह कहा कि कभी-कभी पुलिस को अनुचित आलोचना का सामना करना पड़ता है, हालांकि उन्हें अक्सर कठिन और संवेदनशील कार्य सौंपे जाते हैं। हालांकि शाह ने सुझावों के बारे में विस्तार से नहीं बताया लेकिन नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दुरुपयोग करने संबंधी कानूनों पर विचार हो सकता है।

इन कानूनों में हो सकता है बदलाव
तमाम संस्थाएं आईपीसी की धारा 124ए (देशद्रोह) को खत्म करने की मांग कर रहे हैं। जबकि राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को एक क़ानून के तहत दंडनीय बनाने की आवश्यकता होगी। तमाम विशेषज्ञों ने इसके लिए भी सुझाव सौंपे हैं। इस प्रक्रिया में जुड़े लोगों ने एक धारा से उन वंचितों की सुरक्षा के लिए जमानत प्रावधानों की समीक्षा करने की भी मांग की है जो जमानत राशि की व्यवस्था नहीं कर सकते। एक अन्य प्रमुख सुधार की मांग लिंचिंग जैसे घृणा अपराधों से संबंधित है जो वर्तमान में हत्या से संबंधित आईपीसी प्रावधानों के तहत निपटाए जाते हैं।

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फांसी की सजा टालने वाले कानून पर भी बदलाव
एक विचार यह भी है कि मौत की सजा पाने वाले दोषियों को फांसी का सामना करने से पहले समय बर्बाद के लिए दया याचिका प्रावधान के दुरुपयोग संबंधित कानूनों में उपयुक्त संशोधन करके रोका जाना चाहिए। शाह ने ड्रोन हमलों, साइबर हमलों, नशीले पदार्थों की तस्करी, नकली मुद्रा और हवाला व्यापार को पुलिस बलों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बताया और बीपीआरएंडडी को इन समस्याओं की प्रकृति का आकलन करने और प्रभावी और समय पर समाधान तैयार करने के लिए दुनिया भर की केस स्टडीज का अध्ययन करने के लिए कहा।

बीट सिस्टम पर बोले शाह
शनिवार को हुए इस कार्यक्रम में गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय, गृह सचिव अजय भल्ला, इंटेलिजेंस ब्यूरो के निदेशक अरविंद कुमार, बीपीआरएंडडी डीजी बालाजी श्रीवास्तव और गृह मंत्रालय और केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों के कई वरिष्ठ सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी शामिल थे। बीट सिस्टम को मजबूत करने की आवश्यकता पर प्रभाव डालते हुए शाह ने बीपीआरएंडडी को बेहतर जमीनी स्तर की पुलिसिंग के लिए और तकनीकी रूप से उन्नत करने के प्रयासों को तेज करने के लिए कहा।



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