अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए (सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी) के निदेशक विलियम बर्न्स के साथ इस महीने भारत की यात्रा पर जाने वाले एक खुफिया अधिकारी ने हवाना सिंड्रोम की तरह लगने वाले लक्षणों की शिकायत की है। अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई। यह तब है जबकि बर्न्स की ये यात्रा बहुत गोपनीय थी। उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल के साथ अफगानिस्तान संकट पर गहन वार्ता की थी। इसमें अफगानिस्तान से अमेरिकी बलों को वापस बुलाए जाने के बाद हालात पर चर्चा की गई थी।
घटना के बाद अमेरिका सरकार चिंतित
हवाना सिंड्रोम एक रहस्यमय बीमारी है, जिसने देश और विदेश में अमेरिकी राजनयिकों, जासूसों और अन्य सरकारी कर्मियों को अपनी चपेट में लिया है। सीएनएन ने तीन अज्ञात सूत्रों ने हवाले से बताया कि अधिकारी को मेडिकल मदद लेनी पड़ी। अधिकारी का नाम उजागर नहीं किया गया है। एक सूत्र ने बताया कि इस घटना ने अमेरिका सरकार को चिंतित कर दिया है और बर्न्स इससे बेहद गुस्साए हुए हैं। दो अन्य सूत्रों के हवाले से बताया गया कि सीआईए के कुछ अधिकारियों का मानना है कि इस घटना के जरिए बर्न्स को एक सीधा संदेश दिया गया है कि देश की टॉप खुफिया एजेंसी के लिए काम करने वालों में कोई भी सुरक्षित नहीं है।
सीआईए अधिकारी को बनाया निशाना
‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने बताया कि घटना की अभी जांच की जा रही है और अधिकारी अभी यह पता नहीं लगा पाए हैं कि क्या सीआईए अधिकारी को इसलिए निशाना बनाया गया, क्योंकि वह निदेशक बर्न्स के साथ यात्रा पर था या उसे किसी अन्य कारण से निशाना बनाया गया। सीआईए की एक प्रवक्ता ने भारत में यह मामला होने की पुष्टि करने से इनकार कर दिया, लेकिन कहा कि अमेरिकी सरकार और एजेंसी हर घटना को गंभीरता से ले रही है।
घटनाओं के मूल का पता लगाने के प्रयास तेज
एनबीसी न्यूज ने एक प्रवक्ता के हवाले से कहा, ‘निदेशक बर्न्स ने यह सुनिश्चित करने को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है कि अधिकारियों की आवश्यक देखभाल की जाए और हमें इसकी तह तक जाना होगा।’ उन्होंने कहा, ‘हमने घटनाओं के मूल का पता लगाने के प्रयासों को तेज कर दिया है, जिसमें हमारे सबसे अच्छे विशेषज्ञों की एक टीम को एकत्र करना शामिल है। इस मुद्दे को उसी विशेषज्ञता और गहनता से सुलझाने का प्रयास किया जा रहा है, जैसा (ओसामा) बिन लादेन को खोजने के हमारे प्रयासों के दौरान किया गया था।’ सीएनएन ने बताया कि भारत में इस घटना के नाटकीय प्रभाव होंगे। अमेरिकी अधिकारियों में इस बात को लेकर गहरी चिंता है कि अपराधियों को यात्रा के बारे में पता कैसे चला और वे इस हमले की योजना कैसे बना पाए।
- क्या है हवाना सिंड्रोम?
हवाना सिंड्रोम न्यूरो से जुड़ी बीमारी है। इसमें मरीज को अजीब से आवाज सुनाई देती हैं मसलन, धातु के रगने की आवाज, मक्खी के भिनभिनाने की आवाज, सख्त सतह पर छेद करने की आवाज। इससे पीड़ित बहुत से लोग चक्कर आना, थकान महसूस होना, उबकाई आना और तेज सिरदर्द होने की शिकायत करते हैं। कुछ लोग इसे विस्फोट की अदृश्य लहर की चपेट में आने जैसा बताते हैं। - कितनी खतरनाक है यह बीमारी ?
इसकी चपेट में आए कुछ लोग अब काम करने में सक्षम नहीं है। कुछ पीड़ितों के दिमाग को स्थायी नुकसान भी पहुंचा है। - अमेरिका के लिए क्यों है परेशानी की बात?
हवाना सिंड्रोम का सार्वजनिक रूप से पहली बार पता 2017 में चला था, जब क्यूबा में तैनात अमेरिकी राजनयिकों और अन्य सरकारी कर्मियों को अजीब आवाज सुनाई देने लगीं। उन्होंने शरीर में अजीब तरीके की सनसनाहट महसूस हुई। चीन और वॉशिंगटन डीसी में भी अमेरिकी सरकारी कर्मियों ने इस तरह की शिकायत की थी। उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की यात्रा से पहले पिछले महीने के अंत में वियतनाम के हनोई में हवाना सिंड्रोम की घटनाओं के बाद वहां से कम से कम दो अमेरिकी राजनयिकों को निकाला गया था। - क्या यह कोई हथियार है?
कई अमेरिकी अधिकारियों को शक है कि हवाना सिंड्रोम असल में रूसी जासूसों की ओर से किए गए हमले या निगरानी अभियान का नतीजा हैं। हालांकि यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। नैशनल अकैडमी ऑफ साइंसेज ने पिछले साल एक रिपोर्ट में कहा था कि इसका संभावित कारण माइक्रोवेव एनर्जी है, लेकिन वैज्ञानिक समुदाय में इस निष्कर्ष को लेकर बहस चल रही है। एक राय यह भी कहती है कि ये मनोवैज्ञानिक दबाव की वजह से हो सकता है। हालांकि यूएस में दो सौ से ज्यादा सरकारी कर्मी और उनके परिजन इसकी चपेट में आ चुके हैं, ऐसे में इसे महज मनोवैज्ञानिक दबाव कहना नाकाफी लगता है।