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हाइलाइट्स

  • डेंगू के केसेज बढ़ने पर प्लेटलेट्स की तेजी से बढ़ी मांग
  • कोरोना काल में ब्लड डोनेशन कम, ऐसे में मरीजों को बचाना चुनौती
  • देश के कई शहरों में वायरल फीवर के बढ़े मरीज, बच्चे भी बीमार

नई दिल्ली
ऐसे समय में जब कोरोना की तीसरी लहर का खतरा मंडरा रहा है, लोग बच्चों को लेकर बेहद सतर्क हैं, देशभर में एक नई बीमारी पांव पसारने लगी है। अभी यह महामारी भले न हो, पर कई शहरों में जिस तरह से रोगी बढ़े हैं उसने कोरोना काल में नई टेंशन जरूर पैदा कर दी है। जी हां, कोरोना के खिलाफ जंग लड़ रहे देश में जब पूरा स्वास्थ्य विभाग युद्ध स्तर पर टीकाकरण अभियान चला रहा है…. डेंगू फैलने लगा है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता है क्योंकि इससे लोगों की जानें जा रही हैं और बच्चे भी इसकी चपेट में आ रहे हैं।

डॉक्टरों का कहना है कि जिन लोगों को पहले कोविड हो चुका है, उन्हें डेंगू के गंभीर लक्षण दिखाई दे रहे हैं और उन्हें ठीक होने में ज्यादा समय लग रहा है। पैरासिटामॉल टैबलेट की बढ़ी बिक्री एक नए तरह की घबराहट की ओर इशारा कर रही है। आइए समझते हैं कि कोरोना काल में डेंगू का खतरा कितना बड़ा है।

dengue patients

अस्पताल का हाल

ऑफिस और स्कूल भले ही खुल गए हों पर देशवासी कोरोना की तीसरी लहर से बच्चों को बचाने की पूरी जुगत में लगे हैं, पर उन्हें बीमार करने वाला एक वायरस अपना खतरनाक रूप दिखा रहा है। कोरोना का विकराल देख चुके लोगों को डेंगू से भी सावधान रहने की जरूरत है। साफ पानी में पनपने वाले मच्छरों से होने वाला डेंगू युवाओं को ज्यादा अपनी चपेट में ले रहा है। अंगुली के नोक के बराबर मच्छर हमें बीमार, गंभीर रूप से बीमार कर सकता है। जान भी जा सकती है।

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ब्लड डोनेशन पहले से कम, केस बढ़े तो क्या होगा?
यूपी के फिरोजाबाद, प्रयागराज से लेकर मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में डेंगू के मरीज बढ़े हैं। भोपाल में प्लेटलेट्स की डिमांड तेजी से बढ़ी है। दो महीने में डेंगू के 200 केस सामने आ चुके हैं। विदिशा में डेंगू से एक शख्स की मौत हो गई। चिंता की बात यह है कि महामारी के कारण ब्लड डोनेशन पहले से ही कम हो रहा है। एक्सपर्ट आगाह कर रहे हैं कि हालात 2018-19 की तरह बिगड़ सकते हैं जब अकेले भोपाल में 1,000 केस डेंगू के आ गए थे।

dengue attack

डेंगू से बचना होगा…

अचानक डेंगू के केस बढ़े तो सरकारी और प्राइवेट ब्लड बैंकों में प्लेटलेट्स की कमी हो गई। एमपी की राजधानी में चिकनगुनिया के मरीज भी 52 हो चुके हैं। एक प्राइवेट डॉक्टर ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया कि ब्लड डोनर आगे नहीं आए तो हालात गंभीर हो सकते हैं।

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यूपी के एक ही जिले में डेंगू से 88 बच्चों की मौत
एमपी से यूपी के हालात पर गौर करें तो पिछले कुछ हफ्तों में अकेले फिरोजाबाद जिले में कई मौतें हुई हैं। इसमें बड़ी वजह डेंगू है। फिरोजाबाद में कम से कम 12 हजार लोग बीमार हैं और उन्हें वायरल फीवर है। पिछले 24 घंटे में ही 4 और लोगों की मौतों से यह आंकड़ा 114 पहुंच गया है, जिसमें 88 बच्चे हैं।

खुद सीएम योगी आदित्यनाथ हालात की निगरानी कर रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग के एडिशनल डायरेक्टर एके सिंह बताते हैं कि कुछ केस में खून की उल्टियां भी हुई हैं और कुछ डॉक्टरों की लापरवाही के कारण लोगों की जान गई। ऐसे गैरपंजीकृत डॉक्टरों के खिलाफ सरकार के निर्देश पर सख्त कार्रवाई की जा रही है।

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गाजियाबाद जिले में 1 सितंबर से करीब 700 टेस्ट रोज हो रहे हैं। रोजाना डेंगू की जांच की जा रही है। इस महीने अबतक 7 हजार से ज्यादा लोगों की मलेरिया जांच हो चुकी है। पिछले 12 दिन में यहां डेंगू के 79, मलेरिया के 10 और स्क्रब टाइफस के 25 केस सामने आए हैं।

दिल्ली में एक हफ्ते पहले ही डेंगू के 100 केस आ गए थे। दिल्ली के डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना के मरीज तो काफी कम हो गए पर वायरल फीवर के मरीज तेजी से बढ़े हैं। आईसीयू बेड भी भरते जा रहे हैं। डेंगू और मलेरिया के केसेज तेजी से बढ़ रहे हैं।

पैरासिटामॉल काम नहीं कर रहा!
बेंगलुरु में भी डेंगू के मामले सामने आए हैं। यहां डॉक्टरों ने महसूस किया है कि जो लोग कोविड से उबरे हैं वे डेंगू से गंभीर रूप से बीमार हो रहे हैं। ऐसे में एक्सपर्ट ने कोविड रोगियों को ज्यादा सतर्क रहने की सलाह दी है। आमतौर पर तेज बुखार हो रहा है जो पैरासिटामॉल या देसी इलाज से ठीक नहीं हो रहा है। यहां एक अस्पताल में रोजाना 5 से 6 ऐसे मरीज आ रहे हैं जिन्हें पहले डेंगू हुआ था।

बुजुर्गों को ज्यादा सावधान रहने की जरूरत
महाराष्ट्र की बात करें तो मुंबई और नागपुर में केस बढ़ रहे हैं। गंभीर मरीजों को उल्टियां, पेट में तेज दर्द और ब्लीडिंग की शिकायत, सांस तेज चलना जैसे लक्षण दिखाई दे सकते हैं। डॉक्टरों का कहना है कि आमतौर पर युवा इसकी चपेट में आते हैं लेकिन बुजुर्गों को ज्यादा एहतियात की जरूरत है।

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अब डेंगू के लक्षण जान लीजिए
एम्स के एक्सपर्ट बताते हैं कि डेंगू बुखार में तेज बुखार, शरीर और सिर में तेज दर्द होता है। शरीर पर रैश दिखने लगते हैं। यह महामारी के रूप में भी फैल सकती है। 1996 में दिल्ली और उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में इसकी महामारी फैली थी। बड़ों के मुकाबले, बच्चों में इस बीमारी की तीव्रता अधिक होती है।

यह डेंगू वायरस (विषाणु) से होता है, जिसके चार प्रकार 1, 2, 3, 4 होते हैं। ज्यादातर लोग इसे ‘हड्डी तोड़ बुखार’ के नाम से जानते हैं क्योंकि शरीर और जोड़ों में बहुत तेज दर्द होता है।

ढीठ होता है ये मच्छर, समझिए बचना कैसे है
डेंगू एडीज मच्छर के काटने से फैलता है। यह काफी ढीठ और ‘साहसी’ मच्छर होता है, जो दिन में भी काटता है। जुलाई से अक्टूबर के महीनों में यह ज्यादा फैलता है। इससे बचना है तो एडीज मच्छरों का प्रजनन रोकना होगा। ये पानी के स्रोतों में ही पैदा होते हैं जैसे नालियों, गड्ढों, रूम कूलर्स, टूटी बोतलों, पुराने टायर्स और डिब्बों जैसी जगहों में फैलता है, जहां पानी रुका हुआ हो। ऐसे में घर में आसपास पानी जमा न होने दें।

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प्रयागराज के सरकारी अस्पताल में भर्ती डेंगू की मरीज।



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