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नई दिल्ली
चीन के साथ एलएसी पर जारी तनाव के बीच आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे लद्दाख सेक्टर के दो दिन की यात्रा पर जा रहे हैं। इस दौरान वह सुरक्षा हालात और ऑपरेशनल तैयारियों की समीक्षा करेंगे। आर्मी चीफ का यह दौरा ऐसे वक्त में हो रहा है जब चीन लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर फिर से खुराफात कर रहा है। पिछले कुछ समय से चीन की हरकतों पर नजर डालें तो उसके नापाक मंसूबों का साफ-साफ पता चलता है। उसकी हरकतें बताती हैं कि वह पूर्वी लद्दाख में तनाव कम करने और सैनिकों को पीछे हटाने के मूड में नहीं है।

चीन की उकसावे वाली हरकतें
पूर्वी लद्दाख समेत एलएसी के करीब तेजी से निर्माण, सैनिकों के लिए मॉड्युलर कंटेनर शेल्टर, आधुनिक हथियारों की तैनाती, एयरबेसों का अपग्रेडेशन, उत्तराखंड में भारतीय क्षेत्र में घुसकर पुल को क्षतिग्रस्त करना, पूर्वी लद्दाख में मौजूदा गतिरोध के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराना… ये चीन की कुछ ऐसी हरकतें हैं जो उसके मंसूबों पर शक पैदा करती हैं। चीन की फितरत ही धोखे की रही है। कहीं उसकी ये हरकतें किसी बड़ी साजिश का तो इशारा नहीं? उसकी हरकतों और तैयारियों को देखकर लगता है जैसे वह जंग की तैयारी में जुटा है। आइए जानते हैं कि लेह लद्दाख से लेकर उत्तराखंड और सिक्किम तक क्या है एलएसी पर हालात।

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तनाव के लिए उल्टे भारत को बताया जिम्मेदार
‘उल्टा चोर कोतवाल को डांटे’ कहावत चीन पर एकदम फिट बैठती है। हाल ही में उसने 16-17 महीने पुराने गतिरोध के लिए सीधे-सीधे भारत को जिम्मेदार ठहराया है। उसने आरोप लगाया कि तनाव का ‘मूल कारण’ भारत की ‘आगे बढ़ने की नीति’ और चीनी क्षेत्र पर ‘अवैध रूप से’ अतिक्रमण है। भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। चीन के आरोपों पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को कहा कि तनाव की वजह चीनी सेना की ‘उकसावे वाली’ हरकतें और एलएसी पर यथास्थिति को बदलने की उसकी ‘एकतरफा’ कोशिश है। भारत ने कहा कि चीन ने पूर्वी लद्दाख में बड़ी तादाद में सैनिकों की तैनाती की है जो उकसाने वाली हरकत है। उन्होंने कहा कि चीन की इन हरकतों के जवाब में भारत को भी सैनिकों की तैनाती करनी पड़ी है।

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उत्तराखंड में चीनी सैनिकों की घुसपैठ और तोड़फोड़
एक महीने पहले 30 अगस्त को चीन के 100 से ज्यादा सैनिक उत्तराखंड के बाराहोती इलाके में घुस आए थे। वे करीब 3 घंटे तक रहे। उनका भारतीय सैनिकों से आमना-सामना नहीं हुआ क्योंकि उनके आने से पहले चीनी फौज वापस लौट चुकी थी। हालांकि, जाने से पहले चीनी सैनिकों ने कुछ इन्फ्रास्ट्रक्चर को तहस-नहस कर दिया था और एक पुल को क्षतिग्रस्त भी कर दिया। चीन की यह कार्रवाई न सिर्फ गंभीर उकसावे वाली है बल्कि उसके धोखे की याद दिलाने वाली भी है। दरअसल, बाराहोती इलाके में चीन की घुसपैठ कोई ई बात नहीं है। 1954 में उसने सबसे पहले इसी इलाके में घुसपैठ की थी और बाद में दूसरे इलाकों पर कब्जा करने की कोशिश की थी। हालात इतने बिगड़े कि 1962 में दोनों देशों के बीच जंग छिड़ गई थी।

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लद्दाख के फॉरवर्ड इलाकों में सैनिकों के लिए बना रहा मॉड्यूलर कंटेनर
पूर्वी लद्दाख में तनाव की शुरुआत के बाद से ही चीन एलएसी पर तेजी से इन्फ्रास्ट्रक्चर बढ़ा रहा है और अपनी सैन्य स्थिति को मजबूत कर रहा है। हाल ही में उसने पूर्वी लद्दाख में अपने सैनिकों के ठहरने के लिए मॉड्यूलर कंटेनर पर आधारित शेल्टर का निर्माण किया है। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में एलएसी के उस पार चीन के कम से कम 8 और फॉरवर्ड लोकेशंस पर इन मॉड्यूलर कंटेनर का निर्माण किया है। ये मॉड्यूलर कंटेनर उत्तर में काराकोरम दर्रे के पास वहाब ज़िल्गा से लेकर पियू, हॉट स्प्रिंग्स, चांग ला, ताशीगोंग, मांज़ा और चुरुप तक बनाए गए हैं। ये हाल में बने निर्माण हैं जो पिछले साल अप्रैल-मई में गतिरोध शुरू होने के बाद टेंट और अस्थायी निर्माण से अतिरिक्त हैं।

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दोनों तरफ से भारी सैन्य तैनाती
लद्दाख सेक्टर में दोनों ही देशों की तरफ से भारी सैन्य तैनाती की गई है। चीन की तरफ से करीब 50-60 हजार सैनिक तैनात हैं। वे किसी तरह की हिमाकत न कर पाएं और कभी करने की कोशिश भी करें तो तुरंत मुंहतोड़ जवाब मिले, इसके लिए भारत ने भी करीब उतने ही सैनिकों की तैनाती की है। चीन ने टैंक समेत तमाम हथियारों को तैनात किया है। भारत ने भी M-777 होवित्जर तोपों की तैनाती की है। ये 30 किलोमटीर तक दुश्मन के टारगेट को नेस्तनाबूद कर सकते हैं। इसके अलावा स्वदेशी 105 MM तोप भी तैनात हैं।

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एलएसी से सटे एयरबेस को अपग्रेड कर चुका है चीन, कई नए हेलिपैड भी
लद्दाख से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक 3488 किलोमीटर लंबी एलएसी से सटे चीन ने कई नई एयरस्ट्रिप्स और हेलिपैड बनाए हैं। इसके अलावा उसने होटन, काशगर, गरगुंसा, ल्हासा-गोंगर और शिगेट्से जैसे अपने एयरबेसों को अपग्रेड किया है। वहां अतिरिक्त लड़ाकू विमानों को तैनात कर रखा है। इसके अलावा उसने 2 मिसाइल डिफेंस सिस्टम S-400 की भी तैनाती की है। संयोग से भारत को भी इस साल के आखिर तक रूस से 5 S-400 स्क्वॉड्रन मिलने वाली है।

LAC

प्रतीकात्मक तस्वीर



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