Crime News India


नई दिल्‍ली
सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार के उस नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया जिसके तहत हरियाणा सरकार ने ओबीसी में नॉन क्रीमीलेयर में प्राथमिकता तय कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया है कि राज्यों को ओबीसी में क्रीमीलेयर के लिए सब क्लासिफिकेशन का अधिकार नहीं है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ किया है कि राज्य ओबीसी में क्रीमीलेयर सिर्फ आर्थिक आधार पर तय नहीं कर सकता। आर्थिक के साथ सामाजिक और अन्य आधार पर क्रीमीलेयर बनाया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हरियाणा सरकार क्रीमीलेयर को फिर से परिभाषित करते हुए नोटिफिकेशन जारी करे। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार की ओर से 2016 में जारी नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि 17 अगस्त 2016 के नोटिफिकेशन के तहत राज्य सरकार ने सिर्फ आर्थिक आधार पर क्रीमीलेयर तय किया था। सुप्रीम कोर्ट ने इस नोटिफिकेशन को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह नोटिफिकेशन इंदिरा साहनी से संबंधित वाद में सुप्रीम कोर्ट के दिए फैसले के खिलाफ है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि इंदिरा साहनी जजमेंट में कहा गया था कि आर्थिक, सामाजिक और अन्य आधार पर क्रीमीलेयर तय होगा। सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा सरकार से कहा है कि वह इंदिरा साहनी जजमेंट में तय किए गए सिद्धांतों के तहत क्रीमीलेयर परिभाषित करे।

नारायण राणे गिरफ्तार… 20 साल में केंद्रीय मंत्री के अरेस्‍ट होने का पहला मामला, क्‍या कहता है कानून?

राज्‍य ने इस आधार पर तय किया पैमाना
हरियाणा सरकार ने जो नोटिफिकेशन जारी किया था, उसके तहत ओबीसी में छह लाख तक की सालाना आमदनी वाले शख्स को नॉन क्रीमीलेयर माना था। छह लाख से ज्यादा आमदनी वाले को क्रीमीलेयर करार देते हुए उन्हें रिजर्वेशन से वंचित किया गया था। साथ ही छह लाख तक की आमदनी में भी सब क्लासिफिकेशन किया गया था और तीन लाख तक की आमदनी वालों को प्राथमिकता देने की बात कही थी।

नया नोटिफिकेशन जारी करने के निर्देश
हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन में कहा गया था कि ओबीसी में नॉन क्रीमीलेयर का लाभ 6 लाख रुपये सालाना की आमदनी वालों को मिलेगा। उससे ज्यादा इनकम वाले क्रीमीलेयर माने जाएंगे। उसमें 3 लाख रुपये सालाना आमदनी वालों को प्राथमिकता श्रेणी में रखा गया। यानी 3 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को एडमिशन से लेकर नौकरी में प्राथमिकता देने की बात कही गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में राज्य सरकार के नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया। कहा कि वह नए सिरे तीन महीने के भीतर नोटिफिकेशन जारी करे।

… तब तो हाथ में दस्ताने पहन बच्ची से गंदी हरकत करने वाला छूट जाएगा, सुप्रीम कोर्ट में बोले अटॉर्नी जनरल

17 अगस्त 2016 को जारी हुआ था नोटिफिकेशन
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि इस फैसले से उन नौकरियों और दाखिले पर फर्क नहीं पड़ेगा जो नोटिफिकेशन के तहत किए गए हैं। उसे डिस्टर्ब न किया जाए। हरियाणा सरकार ने 17 अगस्त 2016 को नोटिफिकेशन जारी किया था और ओबीसी में नॉन क्रीमीलेयर के लिए प्राथमिकता तय कर दी थी। तीन लाख तक की आमदनी वालों को प्राथमिकता दी गई थी।

हरियाणा सरकार के नोटिफिकेशन को हरियाणा के पिछड़ा वर्ग कल्याण महासभा व अन्य ने चुनौती दी थी। हालांकि, हरियाणा सरकार ने अपने नोटिफिकेशन को सही ठहराया था। कहा था कि सुप्रीम कोर्ट की ओर से इंदिरा साहनी जजमेंट में दिए फैसले के अनुसार ही क्रीमीलेयर तय किया गया था। इसके लिए ओबीसी के सामाजिक और आर्थिक स्थिति के बारे में हर जिले में ब्यौरा लिया गया था।

सुप्रीम कोर्ट



Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *