हमदर्द चिकित्सा विज्ञान एवं अनुसंधान संस्थान में दो से 17 वर्ष की आयु के बच्चों के बीच कोविड-19 रोधी टीके कोवोवैक्स के तीन चरणों में से दूसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए स्वयंसेवियों की भर्ती रविवार को शुरू हुई। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार यह परीक्षण 10 स्थानों पर होगा और इसमें 920 बच्चे शामिल होंगे जिनमें 12-17 और 2-11 आयु वर्ग में 460-460 बच्चे शामिल होंगे।
दवा कंपनी जायडस कैडिला के स्वदेश में विकसित सुई-रहित कोविड-19 टीके जाइकोव-डी को दवा नियामक से आपातकालीन उपयोग के लिए अनुमति प्राप्त हुई है, जिससे यह देश में 12-18 वर्ष के आयु वर्ग में दिये जाने वाला पहला टीका बन गया है। भारत के दवा नियामक ने जुलाई में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) को दो से 17 आयु की उम्र के बच्चों पर कोवोवैक्स के दूसरे चरण के परीक्षण के लिए कुछ शर्तों के साथ कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (सीईसी) की सिफारिशों के आधार पर अनुमति दी थी।
बच्चों का वैक्सीनेशन जरूरी
भारत के औषधि महानियंत्रक (डीसीजीआई) को सौंपे गए आवेदन में एसआईआई के निदेशक (सरकारी और नियामक मामले) प्रकाश कुमार सिंह और निदेशक प्रसाद कुलकर्णी ने कहा था कि विश्व स्तर पर, 18 वर्ष और उससे अधिक आयु के सभी वयस्कों का टीकाकरण किया जा रहा है और इसके बाद कोविड-19 के खिलाफ इस आबादी की रक्षा सुनिश्चित हो जाती है लेकिन बच्चे अतिसंवेदनशील समूह बने रहेंगे।
तीसरी लहर प्रभावित कर सकती है
उन्होंने कहा था, ‘कमजोर बच्चों में मौत सहित गंभीर बीमारी की खबरें आई हैं। यह भी आशंका जताई गई है कि देश में महामारी की तीसरी लहर बच्चों को प्रभावित कर सकती है।’ आवेदन में कहा गया था, ‘भारत में तीन चरणों वाले परीक्षण में से दूसरे चरण के अध्ययन में, 1,400 से अधिक प्रतिभागियों ने टीके की कम से कम पहली खुराक प्राप्त की है, जिसमें अब तक कोई सुरक्षा चिंता सामने नहीं आई है।’