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हाइलाइट्स

  • HIV मरीज कोरोना से रिकवर कर गए, डायबिटीज मरीजों में मृत्युदर अधिक
  • एचआईवी मरीजों की काउंसलिंग हुई प्रभावित, यह है इलाज का सबसे अहम हिस्सा
  • आरएमएल अस्पताल में एचआईवी ट्रीटमेंट के लिए आते हैं 8 हजार मरीज

नई दिल्ली
जब से कोरोना आया है, तभी से कई बार यह कहा जा चुका है कि एचआईवी, डायबिटीज या अन्य किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित मरीजों में इस वायरस से मृत्युदर काफी ज्यादा रहेगी। डायबिटीज व अन्य बीमारी के मरीजों में तो कोरोना से मृत्युदर काफी देखने को मिली, लेकिन हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि एचआईवी के मरीजों में कोरोना से मृत्युदर कम रही।

एचआईवी मरीजों को लेकर लगाया है अनुमान
डॉ. राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मेडिसिन डिपार्टमेंट के प्रफेसर डॉ. पुलिन कुमार गुप्ता का कहना है कि कोरोना वायरस के आने से एचआईवी के मरीजों पर अधिक खतरा देखा जा रहा था और इनमें ज्यादा मृत्युदर का अंदाजा लगाया जा रहा था। अच्छी बात यह रही कि कोरोना से एचआईवी के मरीजों में मृत्युदर बेहद कम रही है। हमारे पास एचआईवी के जितने मरीज इलाज के लिए आ रहे हैं, अस्पताल की डेथ ऑडिट कमिटी की रिपोर्ट के अनुसार, उनमें से केवल एक या दो मरीजों की ही कोरोना वायरस की वजह से मौत हुई है। हालांकि, काफी मरीज कोरोना से संक्रमित हुए थे।

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एचआईवी मरीजों की आदतों में आया फर्क

डॉ. पुलिन ने कहा कि एचआईवी के मरीजों में हमने देखा कि कोरोना वायरस से जो मृत्युदर एक स्वस्थ व्यक्ति में है, वही मृत्युदर एचआईवी मरीजों में है। यह जरूर देखा गया है कि कोरोना आने के बाद या लॉकडाउन की वजह से एचआईवी के मरीजों की आदतों में कुछ बदलाव आया है। इन्हें अल्कोहल, स्मोकिंग आदि की सख्त मनाही है, लेकिन कोविड और लॉकडाउन की वजह से कुछ मरीजों में यह आदतें बढ़ती देखी गई हैं। इसका एक कारण यह भी है कि पहले हर महीने एचआईवी के मरीजों की काउंसलिंग व इवेल्यूएशन किया जाता था लेकिन कोरोना और लॉकडाउन की वजह से यह प्रभावित हुई हैं।
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कोरोना की वजह से काउंसलिंग प्रभावित
इन मरीजों को हर महीने नहीं बुलाया जा सका लेकिन इससे इनके ट्रीटमेंट में कोई असर नहीं पड़ा। ऐसा इसलिए क्योंकि पहले इन्हें एक महीने की दवा दी जाती थी लेकिन अब इन्हें तीन से चार महीनों की दवा दी जाती है। ऐसे में अब हर महीने की बजाय तीन से चार महीने बाद काउंसलिंग हो पा रही है। डॉ. पुलिन कुमार गुप्ता का कहना है कि काउंसलिंग में यह देखा जाता है कि दवाएं समय पर ले रहे हैं या नहीं, डाइट कैसी है, सेक्स के दौरान कंडोम का इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं आदि। इनकी काउंसलिंग बेहद जरूरी होती है, लेकिन कोरोना वायरस की वजह से यह प्रभावित हुई है।

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