पेगासस जासूसी विवाद के बीच सरकार ने सोमवार को कहा कि उसने एनएसओ समूह के साथ कोई लेन-देन नहीं किया है। रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट ने एक सवाल के लिखित जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उनसे सवाल किया गया था कि क्या सरकार ने एनएसओ ग्रुप टैक्नॉलोजीस के साथ कोई लेन-देन किया था।
भट्ट ने इसके जवाब में कहा, ‘रक्षा मंत्रालय ने एनएसओ ग्रुप टेक्नॉलोजीज के साथ कोई लेन-देन नहीं किया है।’ सरकार का जवाब एसे समय में आया है जब विपक्ष पेगागस समेत अन्य मुद्दों को लेकर पर संसद के मॉनसून सत्र में लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहा है। कांग्रेस, आप, आरजेडी, डीएमके जैसे पार्टियां लगातार पेगासस जासूसी कांड को लेकर सदन में चर्चा कराने की मांग कर रही हैं।
पूरा मामला सामने आने के बाद से ही कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दल सरकार से सवाल कर रहे हैं क्या इस जासूसी कांड में केंद्र की कोई भूमिका है? क्या भारत सरकार का पेगासस सॉफ्टवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी एनएसओ से कुछ लेना-देना है? इस प्रकरण में विपक्ष इसलिए भी ज्यादा हमलावर है क्योंकि एनएसओ कंपनी का कहना है कि वह केवल सरकारों से के साथ डील करती है। वह किसी निजी पार्टी के साथ किसी भी तरह का लेन-देन नहीं करता है।
उल्लेखनीय है कि इजराइल की निगरानी सॉफ्टवेयर कंपनी एनएसओ समूह पर भारत सहित कई देशों में लोगों के फोन पर नजर रखने के लिए पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करने के आरोप लग रहे हैं। अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थाओं के एक समूह ने संसद के मॉनसून सत्र शुरू होने से एक दिन पहले इस अंतरराष्ट्रीय जासूसी कांड का खुलासा किया था। जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हंगामा मच गया था।
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इस रिपोर्ट के अनुसार दुनियाभर में कई देशों में पेगासस के जरिए राजनेताओं, पत्रकारों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, जजों आदि की जासूसी की गई। जासूसी की इस संभावित लिस्ट में कांग्रेस नेता राहुल गांधी, चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के अलावा कई पत्रकारों, समाजिक कार्यकर्ताओं और सुप्रीम कोर्ट के जज तक के नाम थे।