मदद की आड़ में आपको चकमा देता है गिरोह
देश के कई हिस्सों में ऐसे कई गिरोह सक्रिय हैं जो उन लोगों की मदद करने की आड़ में धोखाधड़ी करते हैं जो पैसा निकालने के लिए एटीएम में पिन डालते हैं, लेकिन पैसा निकालने के बाद कार्ड मशीन में फंस जाता है और एटीएम की स्क्रीन पर शेष राशि, फोन नंबर और अन्य जानकारियां आने लगती हैं। जैसे ही आपको लगेगा कि मशीन में कुछ गड़बड़ है तो दो या तीन लोग अंदर घुसेंगे और उनमें से एक आपसे बातचीत करने लगेगा जबकि दूसरा आपके कार्ड को दूसरे कार्ड से बदल देगा। इसके बाद वे चंपत हो जाएंगे और फिर कुछ देर बाद आपके पंजीकृत मोबाइल नंबर पर पैसा निकलने का संदेश आएगा।
गिरोह की जाल में फंसने के बाद क्या करते हैं आप
जब तक घबराया ग्राहक कार्ड बंद कराने के लिए बैंक से संपर्क करेगा तब तक उसे पता चलेगा कि खाते से कुछ और हजार रुपये निकल गए हैं। कार्ड बंद कराना भी अपने आप में थकाऊ प्रक्रिया है। क्योंकि बैंकों के पास ऐसे मसलों से निपटने के लिए एक समर्पित लाइन या टीम नहीं है। जब तक कार्ड को ब्लॉक कराने की कवायद जारी रहती है तब तक और कई हजार रुपये खाते से निकाले जा चुके होते हैं। हताश कार्ड धारक को यह याद कराया जाता है कि ‘आरबीआई कहता है…’। यह इलेक्ट्रॉनिक, डिजीटल या प्रिंट माध्यम पर अक्सर देखे जाने वाला विज्ञापन है।
आरबीआई की सलाह के बाद आप यह सोचकर अपनी शाखा से संपर्क करेंगे और साइबर अपराध शाखा में मामला दर्ज कराएंगे कि वे आपका पैसा वापस दिलाने में मदद करेंगे। हालांकि, बैंक वही घिसा-पिटा जवाब देता है कि आपके पिन से छेड़छाड़ की गयी होगी इसलिए आपको पैसा वापस नहीं किया जा सकता। इसी तरह साइबर अपराध शाखा के पास आपके मामले के लिए वक्त नहीं होगा क्योंकि उनके पास ऐसे मामलों की लंबी सूची है।
क्या कहते हैं आंकड़े
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के आंकड़ों के अनुसार, 2021-22 में ‘कार्ड/इंटरनेटएटीएम/डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड और इंटरनेट बैंकिंग’ से संबंधित धोखाधड़ी की 65,893 घटनाएं हुईं जिनसे 258.61 करोड़ रुपये का चूना लगा। कुछ ग्राहक हैं जिनके साथ ऐसी घटनाएं हुई और उन्होंने अपने अनुभव साझा किए। उदाहरण के लिए, दिल्ली में एक वरिष्ठ पत्रकार का ऐसे ही एक एटीएम पर कार्ड बदला गया। उन्होंने कार्ड बंद कराने के लिए हेल्पलाइन पर फोन किया, लेकिन बैंक के ग्राहक सेवा अधिकारी ने चोरी हुए डेबिट कार्ड को बंद करने में समय लिया। उन्होंने हेल्पलाइन पर फोन करने की जानकारियां दिखायीं, लेकिन न तो संबंधित बैंक और न ही आरबीआई ने इसे स्वीकार किया। उसी दिन पूर्वी दिल्ली में एक गृहिणी के साथ भी ऐसी ही घटना हुई।