सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आसाराम की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। नाबालिग से रेप के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे आसाराम (Asaram) ने आयुर्वेदिक ट्रीटमेंट को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की थी। हालांकि, उसे कोर्ट से झटका ही लगा है। कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज करते हुए जेल में ही आयुर्वेदिक इलाज देने की बात कही है। आसाराम ने दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी थी।
कोर्ट ने पूरे मामले में क्या कहा…
जस्टिस इंदिरा बनर्जी, जस्टिस वी रामसुब्रमण्यम और जस्टिस बेला एम त्रिवेदी की पीठ ने मामले की सुनवाई की। याचिका को खारिज करते हुए, जस्टिस इंदिरा बनर्जी ने कहा कि पूरे मामले को देखते हुए ये सामान्य अपराध नहीं है, ऐसे में आसाराम को जमानत नहीं दी जा सकती है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि आसाराम को जेल में ही आयुर्वेदिक इलाज मुहैया कराया जाएगा। इस संबंध में जेल अधिकारियों को जरूरी निर्देश भी दिए गए हैं।
इसे भी पढ़ें:- राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम का 3 महीने का मेडिकल रिकॉर्ड किया तलब
आयुर्वेदिक इलाज के लिए आसाराम ने लगाई थी दो महीने की जमानत
आसाराम की ओर से उत्तराखंड के एक आयुर्वेद केंद्र में मेडिकल ट्रीटमेंट के लिए सजा को अस्थायी रूप से निलंबित करने और आयुर्वेदिक इलाज के लिए दो महीने की अंतरिम जमानत मांगी गई थी। इस मामले में इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने AIIMS को एक मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था, जिसका काम आसाराम की सेहत की जानकारी कोर्ट को देना था। वहीं आसाराम की जांच करने वाली मेडिकल टीम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि आसाराम की हालत स्थिर है। बाद में राजस्थान सरकार ने भी इस मामले में जवाब पेश करते हुए बताया था कि आसाराम का उचित उपचार हो रहा। साथ इलाज की सारी सुविधाएं हैं।
जोधपुर जेल में बंद आसाराम के बैरक से मिला मोबाइल
2013 से आसाराम को किया गया था गिरफ्तार
आसाराम को साल 2013 में जोधपुर पुलिस ने गिरफ्तार किया था। वह तब से ही जेल में हैं। 80 साल के आसाराम ने निचली अदालत से लेकर शीर्ष अदालत तक कई बार जमानत की याचिका दी है। हालांकि, खास कामयाबी नहीं मिली। उन पर नाबालिग के शारीरिक शोषण करने का आरोप था। जिसकी सुनवाई करते हुए एसटी-एससी कोर्ट के तत्कालीन पीठासीन अधिकारी मधुसूदन शर्मा की कोर्ट ने आसाराम को जीवन की आखिरी सांस तक जेल में रहने की सजा सुनाई थी।