केरल के राज्यपाल और जाने-माने स्कॉलर आरिफ मोहम्मद खान ने तालिबान की शान में कसीदे पढ़ने वाले कुछ भारतीय मुसलमानों पर तीखा हमला बोला है। सीएनएन-न्यूज18 के साथ बातचीत में खान ने कहा कि ये लोग बिना दिमाग के आदमी है, जो रुढ़ीवादी भी कहे जाने के लायक नहीं हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय मुस्लिमों के एक तबके की बातों से वह शर्मिंदा महसूस कर रहे हैं।
‘मैं लज्जित महसूस कर रहा’
आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘इतिहास पढ़िए, कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। आप देखेंगे कि महिलाएं जिंदगी की हर कदमताल में भागीदार थीं। मैं लज्जित महसूस कर रहा हूं और मुझे खेद है कि ये लोग आखिर क्या बकवास कह रहे हैं। लेकिन यह कोई नई बात नहीं है।’
‘देवबंद के प्रमुख ने AMU में शियाओं के दाखिले पर शर्मनाक बातें कही थी’
खान ने कहा कि ऐसे ही लोग अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के बाद सैयद अहमद का विरोध कर रहे थे। केरल के गवर्नर ने कहा, ‘सर सैयद ने तब दारुल उलूम देवबंद के प्रमुख समेत कई मौलानाओं को खत लिखा। उन्होंने ऐलान किया कि उनके विचार को यूनिवर्सिटी के सिलेबस में जगह नहीं दी जाएगी। उन्होंने खत में अपील की कि आप लोग आगे आइए, एक समिति बनाइए और आप लोग तय कीजिए सिलेबस क्या हो। आपके तय किए गए सिलेबस को ही हम पढ़ाएंगे। लेकिन उस समय देवबंद के प्रमुख और एक अन्य शख्स का जवाब बहुत शर्मनाक था। उन्होंने जवाब दिया कि हमें पता है कि अलीगढ़ में शिया स्टूडेंट्स को भी दाखिला दिया जा रहा है। हमारा ऐसे किसी भी शैक्षणिक संस्थान से कोई लेना-देना नहीं है जो शिया स्टूडेंट्स को दाखिला देते हों।’
‘सर सैयद के सामने बड़ी चुनौती थी’
खान ने कहा, ‘सर सैयद ने तो बहुत सही कहा था कि मैं सिर्फ शिक्षा से वंचित लोगों के शैक्षिक सुधार के लिए काम करना चाहता हूं। लेकिन मेरी समस्या है कि जब मैं कहता हूं कि यह करो तो वे बहस करने लगते थे कि यह मजहब के खिलाफ है। ज्ञान कभी मजहब के खिलाफ नहीं होता।’
‘ये लोग बिना दिमाग के आदमी’
भारतीय मुस्लिमों के एक तबके के तालिबान की तारीफ पर आरिफ मोहम्मद खान ने कहा, ‘ये लोग बिना दिमाग के आदमी हैं। ये लोग रुढ़ीवादी विचारधारा तक में फिट नहीं कहे जा सकते। वे हर किसी को बाहर रखना चाहते हैं। वे महिलाओं को स्वीकार नहीं कर सकते। लोग इनका मजाक उड़ाते हैं। पूरी दुनिया इनसे डरती है।’
‘आप अपनी जड़ों से अलग नहीं हो सकते’
जब उनसे पूछा गया कि अभिनेता नसीरुद्दीन शाह ने हिंदुस्तानी इस्लाम की बात कही है। आपके हिसाब से इस्लाम का भारतीय वर्जन क्या है तब उन्होंने जवाब दिया, ‘नसीरुद्दीन शाह ने जो कहा है कि उसकी व्याख्या वही कर सकते हैं। लेकिन उन्होंने बड़े पते की बात कही है। आप अपनी जड़ों से अलग नहीं हो सकते। आप सिर्फ 50 साल पहले जाइए। पैंट-शर्ट पहने किसी शख्स को मस्जिद में जाने की इजाजत नहीं थी। अगर कोई घड़ी पहना है तो उसे मस्जिद में आने की इजाजत नहीं थी। वे कहते थे कि अगर आप इंग्लिश पढ़ेंगे तो आप मुस्लिम नहीं रह जाएंगे। लेकिन 30 साल बाद उन्होंने अपनी राय बदली।’