अगलेगा द्वीप, मॉरीशस। पिछले कुछ महीनों से हिंद महासागर में स्थित यह द्वीप भारत ही नहीं पूरी दुनिया में चर्चा का विषय बना हुआ है। कई अंतरराष्ट्रीय मीडिया रिपोर्ट्स में अगलेगा द्वीप को भारत का सैन्य अड्डा बताया गया है। हालांकि, भारतीय सेना और सरकार ने इस दावे को लेकर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगलेगा द्वीप वास्तव में भारत का हिंद महासागर में स्थित एक मिलिट्री बेस है या कुछ और?
इस समय क्यों चर्चा में यह द्वीप
एक दिन पहले कतर की मीडिया अल जजीरा ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि भारत अगलेगा द्वीप पर सैन्य ठिकाना बना रहा है। रिपोर्ट में यहां तक दावा किया गया है कि जिन सैन्य विशेषज्ञों ने अल जजीरा की जांच इकाई द्वारा एकत्र किए गए सबूतों का विश्लेषण किया है, उनका कहना है कि अगालेगा में निर्माणाधीन एक हवाई पट्टी का उपयोग लगभग निश्चित रूप से भारतीय नौसेना द्वारा समुद्री गश्ती मिशन के लिए किया जाएगा। कुछ महीने पहले ऑस्ट्रेलिया के लोवी इंस्टिट्यूट ने भी ऐसा ही दावा किया था।
कहां है अगलेगा द्वीप?
अगलेगा मॉरीशस के मुख्य द्वीप से लगभग 1,100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित दो द्वीपों का समूह है। इसका उत्तरी द्वीप 12.5 किलोमीटर लंबा और 1.5 किलोमीटर चौड़ा है, वहीं दक्षिणी द्वीप 7 किलोमीटर लंबा और 4.5 किलोमीटर चौड़ा है। इसके उत्तरी द्वीप Vingt Cinq पर एक हवाई पट्टी बनी हुई है। 6400 एकड़ में फैले इस द्वीप पर लगभग 300 लोग रहते हैं। इन लोगों का मुख्य व्यापार नारियल की खेती और मछलियों का शिकार है।
क्यों बताया जा रहा भारत का समुद्री ठिकाना?
मॉरीशस के अगलेगा द्वीप को भारत विकसित कर रहा है। इस द्वीप पर स्थित हवाई पट्टी का कुछ दिनों पहले ही विस्तार किया गया है। इसके अलावा, द्वीप के किनारों पर शिप और बोट के रुकने के लिए कई जेट्टी का निर्माण भी किया गया है। इसी को आधार बनाकर कई अंतरराष्ट्रीय थिंक टैंक और मीडिया संस्थान इसे भारत का सैन्य अड्डा बता रहे हैं। हालांकि, भारत ने कभी भी इस द्वीप पर नौसेना की मौजूदगी की पुष्टि नहीं की है।
2015 में भारत मॉरीशस में हुआ था समझौता
मॉरीशस के अगलेगा द्वीप पर सुविधाओं को अपग्रेड करने के लिए 2015 में भारत ने समझौता किया था। तब से इस द्वीप पर इंफ्रास्ट्रक्टर डेवलप करने का काम चल रहा है। इस समझौते में द्वीप पर समुद्र और वायु संपर्क में सुधार के लिये बुनियादी ढांचे की स्थापना और अपग्रेडेशन का काम शामिल है। इसके अलावा द्वीप के आसपास आपसी समुद्री हितों की सुरक्षा के लिए मॉरीशस की सेना को ट्रेनिंग देने को लेकर भी करार हुआ था।
समझौते में क्या-क्या था शामिल?
इस परियोजना के तहत एक जेट्टी का निर्माण किया जाना था। इसके अलावा अगलेगा के उत्तरी द्वीप पर रनवे का पुनर्निर्माण और विस्तार करने के अलावा एक एयरपोर्ट टर्मिनल को भी बनाए जाने पर सहमति बनी थी। इस परियोजना की कुल लागत 87 मिलियन डॉलर है, जिसे भारत ने फाइनेंस किया है। इस परियोजना के जरिए भारत का प्रमुख उद्देश्य मारीशस के सुरक्षाबलों की क्षमता में वृद्धि करना है।
रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है मॉरीशस
मॉरीशस हिंद महासागर के रणनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण क्षेत्र में स्थित है। इस इलाके से होकर हर साल खरबों डॉलर का व्यापार होता है। अफ्रीकी महाद्वीप के नजदीक होने से इस देश से हिंद महासागर के बड़े इलाके पर नजर रखी जा सकती है। इस देश के पास ही रेयूनियों द्वीप है, जिसपर फ्रांस का कब्जा है। फ्रांस ने इस द्वीप पर बड़ा मिलिट्री बेस बनाकर रखा हुआ है। मॉरीशस के उत्तर-पूर्व में डिएगो गार्सिया है, जहां अमेरिकी और ब्रिटिश मिलिट्री का बेस है।
मॉरीशस और भारत में करीबी रिश्ता
भारत और मॉरीशस के बीच संबंधों की मजबूती को इसी बात से समझा जा सकता है कि यह देश अपना राष्ट्रीय दिवस गांधीजी की नमक सत्याग्रह के वर्षगांठ के दिन यानी 12 मार्च को मनाता है। मॉरीशस का मानना है कि इसी की प्रेरणा से उसे 1968 में अंग्रेजों से आजादी मिली। भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता, ब्लू ओशन इकनॉमी, समुद्री सुरक्षा, एंटी पायरेसी ऑपरेशन जैसे कई महत्वपूर्ण अभियानों में मॉरीशस हमेशा भारत के साथ रहा है।
भारत ने मॉरीशस में बनाए मेट्रो और अस्पताल
भारत ने वर्ष 2016 में मॉरीशस को दिए गए 353 मिलियन अमेरिकी डॉलर का विशेष आर्थिक पैकेज के जरिए न्यू मॉरीशस सुप्रीम कोर्ट बिल्डिंग प्रोजेक्ट को शुरू किया था। इस बिल्डिंग का उद्धाटन साल 2020 में किया गया। इसके अलावा भारत की मदद से मॉरीशस की राजधानी पोर्ट लुईस में मेट्रो एक्सप्रेस सर्विस को शुरू किया गया। इसके अलावा 100-बेड वाले अत्याधुनिक ईएनटी अस्पताल का भी निर्माण भारत के सहयोग से किया गया है।