सरकार ने बच्चों फिट और हेल्दी बनाने का रास्ता खोजा है। इसकी शुरुआत स्कूलों से होगी। वह स्कूलों में छात्रों को पौष्टिक भोजन देने के क्रम में स्थानीय खाद्य पदार्थ अपनाने पर जोर देगी। इस उद्देश्य से देश के करीब सात लाख सरकारी स्कूलों में एक-दो वर्ष में ‘पोषण वाटिका’ स्थापित करने की तैयारी है। सरकारी सूत्रों ने यह जानकारी दी।
वही, शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि सरकार बच्चों को प्रकृति और बागवानी का प्रत्यक्ष अनुभव देने के लिए स्कूलों में स्कूल पोषण उद्यानों के विकास को बढ़ावा दे रही है। उन्होंने कहा, ‘केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘पीएम पोषण शक्ति निर्माण’ योजना को मंजूरी दी है। इसमें खासतौर पर ‘पोषण उद्यान’ स्थापित करने और बच्चों को पोषक भोजन प्रदान करने पर जोर दिया गया है।’
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, देश में अभी तक तीन लाख स्कूलों (सरकारी एवं सरकारी सहायता प्राप्त) में किचन/पोषण वाटिका है जो छात्रों के लिए ताजा सब्जियों के स्रोत हैं।
सूत्रों ने बताया, ‘सरकार आने वाले एक-दो वर्ष में करीब सात लाख स्कूलों में पोषण उद्यान/वाटिका स्थापित करना चाहती है ताकि छात्रों को पौष्टिक आहार मिल सके ।’ उन्होंने बताया कि जिस जिले में जो भी पोषक खाद्य पदार्थ प्रचलित होगा, उसे किचन/पोषण उद्यान से जोड़ा जाएगा।
सूत्रों के अनुसार, ‘केंद्र से आहार को लेकर कोई प्रारूप तय नहीं होगा बल्कि स्थानीय या जिला स्तर पर उपयोग में लाए जाने वाले पोषक खाद्य को शामिल किया जाएगा।’
शिक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, स्कूलों में बच्चों को मध्याह्न भोजन के संबंध में अब तक राज्यों एवं संघ राज्य क्षेत्र के लिए 10,11,375 रसोई सह भंडार मंजूर किए गए हैं। इनमें से 8,75,980 का निर्माण पूरा हो चुका है।
मंत्रालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार, साल 2006-07 से 2019-20 के दौरान आंध्र प्रदेश में 41 फीसदी रसोई सह भंडार का निर्माण पूरा हुआ। जबकि असम में 90 फीसदी, बिहार में 88 फीसदी, छत्तीसगढ़ में 97 फीसदी, केरल में 45 फीसदी, कर्नाटक में 97 फीसदी, झारखंड में 76 फीसदी, पश्चिम बंगाल में 100 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 92 फीसदी, महाराष्ट्र में 83 फीसदी, मध्य प्रदेश में 92 फीसदी, गुजरात में 92 फीसदी रसोई सह भंडार का निर्माण पूरा हुआ है।