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नई दिल्ली
मद्रास हाई कोर्ट की उस टिप्पणी को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है जिसमें उसने कहा था कि नीट के ऑल इंडिया कोटा में आर्थिक तौर पर कमजोर वर्ग (EWS) को 10 फीसदी रिजर्वेशन सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच की मंजूरी से लागू किया जा सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी गैर जरूरी थी। हाई कोर्ट ने अपनी टिप्पणी में कहा था कि नीट के तहत ईडब्ल्यूएस कैटगरी को रिजर्वेशन का लाभ सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच की मंजूरी के बाद ही लागू हो सकता है। संवैधानिक बेंच इस मामले में 103वें संशोधन की वैलिडिटी की जांच कर रहा है।

सुप्रीम कोर्ट में मद्रास हाई कोर्ट की टिप्पणी को केंद्र सरकार ने चुनौती दी है। जस्टिस चंद्रचूड़ की बेंच ने शुक्रवार को कहा कि हाई कोर्ट की टिप्पणी इस मामले में गैर जरूरी थी। हाई कोर्ट नीट में ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी रिजर्वेशन को लागू करने की मांग वाली कंटेप्ट याचिका पर सुनवाई चल रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे में हाई कोर्ट का ईडब्ल्यूएस कैटगरी के 10 फीसदी रिजर्वेशन को लेकर की गई टिप्पणी उसके जूरिडिक्शन का उल्लंघन है।

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जस्टिस चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि उक्त मामले में हाई कोर्ट कंटेप्ट अर्जी पर सुनवाई कर रही थी और वह एक व्यापक विषय को देखने लगी है और यह एक तरह से गलती है। शीर्ष अदालत ने कहा कि जब कंटेप्ट मामले की सुनवाई होती है तो सिर्फ यह देखना होता है कि अदालती आदेश का पालन हुआ है या नहीं हुआ है।

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हाई कोर्ट की टिप्पणी के खिलाफ केंद्र सरकार की अपील पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से अडिशनल सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि अवमानना मामले में हाई कोर्ट की यह टिप्पणी गैर-जरूरी है।

वहीं, हाई कोर्ट में अवमानना याचिका दायर करने वाली पार्टी डीएमके की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने कहा कि यह मामला बेहद कॉम्प्लेक्स है और केंद्र की अर्जी ओबीसी और ईडब्ल्यूएस कोटों को चुनौती वाली याचिका के साथ सुना जाना चाहिए। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट की उक्त टिप्पणी को खारिज कर दिया।



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