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नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने झूठे मुकदमों पर रोक लगाने की जरूरत बताई है। इनसे बेवजह समय की बर्बादी होती है। शीर्ष न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि वैसे एक दीवानी मुकदमे को रद्द करना कठोर कार्रवाई है। यह और बात है कि अदालतें किसी वादी को कोई ऐसा मुकदमा आगे बढ़ाने की अनुमति नहीं दे सकती हैं जो कानूनी कार्रवाई करने की जरूरत नहीं पैदा करता हो। दरअसल, झूठे मुकदमों पर रोक लगाने की जरूरत है ताकि अदालतों का वक्त बर्बाद नहीं हो।

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न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी आर गवई की पीठ ने अदालतों में दीवानी मुकदमे खारिज करने के मुद्दे से जुड़ी दीवानी दंड संहिता के ऑर्डर सात नियम 11 की व्याख्या पर आर बाजोरिया नाम के व्यक्ति की ओर से दायर अपील पर महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए यह कहा।

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न्यायालय ने कहा कि किसी दीवानी मुकदमे को खारिज करने का एक आधार यह है कि यह कानूनी कार्रवाई की जरूरत नहीं पैदा करता हो। शीर्ष न्यायालय ने कलकत्ता हाई कोर्ट की एक खंडपीठ के फैसले के खिलाफ बाजोरिया की अपील खारिज करते हुए यह टिप्पणी की।



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