विशेष संवाददाता, नई दिल्ली
पंजाब में कांग्रेस के घर में कलह खत्म होने की नाम ही ले रही। पंजाब में कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही तो पार्टी के भीतर ही हंगामा खड़ा हो गया। दूसरी ओर, पंजाब की सियासत में अपने लिए गुंजाइश देख रहे तमाम राजनीतिक दलों ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया। हालात यह बने कि दोपहर होते-होते पार्टी को बाकायदा रावत के बयान पर सफाई देनी पड़ गई। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सिद्धू के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। कुछ देर बाद सुनील जाखड़ के भतीजे अजयवीर जाखड़ ने पंजाब किसान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, अभी तक इसके पीछे कोई वजह साफ नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि कहीं न कहीं जाखड़ परिवार की नाराजगी है। जाखड़ खुद सीएम की रेस में एक मजबूत दावेदार थे और सूत्रों के मुताबिक विधायकों की पहली पंसद भी। हालांकि, उनका हिंदू होना उनके कुर्सी तक पहुंचने में आड़े आया।
जाखड़ के बयान के बाद दूसरे दलों की ओर से भी कांग्रेस के इस रुख को लेकर हमले शुरू हो गए। मायावती ने दलित चेहरे का सीएम बनाए जाने को कांग्रेस का चुनावी हथकंडा करार देते हुए कहा कि उसे मुसीबत में ही दलित प्रेम याद आता है। वहीं, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने भी इस पर सवाल उठाए। मामला बढ़ता देखकर कांग्रेस को अपनी सफाई में उतरना पड़ा। कांग्रेस की ओर से मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री के तौर पर और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू चेहरा होंगे। सुरजेवाला ने रावत का बचाव करते हुए कहा, ‘कई दोस्त उनकी बात को जाने-अनजाने सही नजरिए से नहीं देख पाए। मैं फिर दोहरा रहा हूं कि सरकार के मुखिया के तौर पर चेहरा चन्नी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सिद्धू चेहरा हैं। ये दोनों आम कार्यकर्ता के साथ मिलकर लड़ेंगे और कांग्रेस की फिर से सरकार बनेगी।’
पंजाब में कांग्रेस के घर में कलह खत्म होने की नाम ही ले रही। पंजाब में कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने सिद्धू के नेतृत्व में चुनाव लड़ने की बात कही तो पार्टी के भीतर ही हंगामा खड़ा हो गया। दूसरी ओर, पंजाब की सियासत में अपने लिए गुंजाइश देख रहे तमाम राजनीतिक दलों ने इसे लेकर कांग्रेस पर हमला बोलना शुरू कर दिया। हालात यह बने कि दोपहर होते-होते पार्टी को बाकायदा रावत के बयान पर सफाई देनी पड़ गई। पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने सिद्धू के नेतृत्व पर सवाल उठाए थे। कुछ देर बाद सुनील जाखड़ के भतीजे अजयवीर जाखड़ ने पंजाब किसान कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया। हालांकि, अभी तक इसके पीछे कोई वजह साफ नहीं हुई है, लेकिन माना जा रहा है कि कहीं न कहीं जाखड़ परिवार की नाराजगी है। जाखड़ खुद सीएम की रेस में एक मजबूत दावेदार थे और सूत्रों के मुताबिक विधायकों की पहली पंसद भी। हालांकि, उनका हिंदू होना उनके कुर्सी तक पहुंचने में आड़े आया।
जाखड़ के बयान के बाद दूसरे दलों की ओर से भी कांग्रेस के इस रुख को लेकर हमले शुरू हो गए। मायावती ने दलित चेहरे का सीएम बनाए जाने को कांग्रेस का चुनावी हथकंडा करार देते हुए कहा कि उसे मुसीबत में ही दलित प्रेम याद आता है। वहीं, बीजेपी और आम आदमी पार्टी ने भी इस पर सवाल उठाए। मामला बढ़ता देखकर कांग्रेस को अपनी सफाई में उतरना पड़ा। कांग्रेस की ओर से मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनाव में चरणजीत सिंह चन्नी मुख्यमंत्री के तौर पर और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष के रूप में नवजोत सिंह सिद्धू चेहरा होंगे। सुरजेवाला ने रावत का बचाव करते हुए कहा, ‘कई दोस्त उनकी बात को जाने-अनजाने सही नजरिए से नहीं देख पाए। मैं फिर दोहरा रहा हूं कि सरकार के मुखिया के तौर पर चेहरा चन्नी हैं। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर सिद्धू चेहरा हैं। ये दोनों आम कार्यकर्ता के साथ मिलकर लड़ेंगे और कांग्रेस की फिर से सरकार बनेगी।’
कांग्रेस का कहना था कि पंजाब में एक गरीब और दलित के बेटे चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बनने से बीजेपी के पेट में दर्द हो रहा है, जिस वजह से वह उन्हें अपमानित करने की साजिश कर रही है। सुरजेवाला ने सवाल किया कि क्या किसी गरीब और दलित का बेटा मुख्यमंत्री नहीं बन सकता? बीजेपी, आप, बीएसपी और अकाली दल के पेट में दर्द क्यों हो रहा है? उन्होंने इन तमाम सियासी दलों को चुनौती देते हुए कहा कि अगर वाकई ये लोग दलित हितेषी हैं तो वह आगामी चुनाव में किसी दलित चेहरे को सीएम घोषित कर दें।
राहुल गांधी ने पंजाब के सीएम चन्नी से मुलाकात की।