विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को सऊदी अरब के अपने समकक्ष फैसल बिन फरहान अल सऊद के साथ अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर विचार विमर्श किया। साथ ही रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा के क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने पर मंथन किया। बातचीत के बाद जयशंकर ने बैठक को मैत्रीपूर्ण और उपयोगी बताया और उन्होंने अफगानिस्तान, खाड़ी क्षेत्र और हिंद-प्रशांत पर अल सऊद के साथ विचारों का बहुत उपयोगी आदान-प्रदान किया।
विदेश मंत्री ने ट्विटर पर कहा कि उन्होंने सऊदी अरब के लिए सीधी उड़ानें जल्द से जल्द फिर से शुरू करने का आग्रह किया और वे कोविड से संबंधित सभी चुनौतियों पर मिलकर काम करने पर सहमति बनी। अल सऊद शनिवार शाम तीन दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे। महामारी फैलने के बाद से यह सऊदी अरब के किसी मंत्री की पहली भारत यात्रा है।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम पर विचार-विमर्श किया और रक्षा, व्यापार, निवेश और ऊर्जा के क्षेत्रों में रिश्तों को गहरा करने के तरीकों पर मंथन किया। जयशंकर ने भारत से खाड़ी देश की यात्रा पर प्रतिबंधों में और ढील देने का आह्वान किया और कोविड-19 महामारी के दौरान भारतीय समुदाय को दिए गए समर्थन के लिए देश की सराहना की।
जयशंकर ने ट्वीट किया कि सऊदी अरब के विदेश मंत्री अल सऊद के साथ एक मैत्रीपूर्ण और उपयोगी बैठक हुई। उन्होंने कहा, ‘हमने हमारे रणनीतिक साझेदारी के राजनीतिक, सुरक्षा और सामाजिक-सांस्कृतिक स्तंभों में हमारे सहयोग पर चर्चा की।’ उन्होंने कहा, ‘अफगानिस्तान, खाड़ी और हिंद-प्रशांत पर विचारों का बहुत उपयोगी आदान-प्रदान हुआ।’
विदेश मंत्रालय ने एक बयान में बताया, ‘दोनों मंत्रियों ने अफगानिस्तान के घटनाक्रम और अन्य क्षेत्रीय मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान किया।’ विदेश मंत्रालय ने कहा कि दोनों मंत्रियों ने द्विपक्षीय संबंधों से संबंधित सभी मुद्दों और आपसी हित के क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की। मंत्रालय के मुताबिक, ‘दोनों मंत्रियों ने ‘रणनीतिक भागीदारी परिषद समझौते’ के क्रियान्वयन की समीक्षा की, जिसपर अक्टूबर 2019 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सऊदी अरब की यात्रा के दौरान हस्ताक्षर हुए थे।’ उसने कहा कि दोनों पक्षों ने समझौते के तहत हुई बैठकों और प्रगति पर संतोष व्यक्त किया।
मंत्रालय ने कहा, ‘दोनों पक्षों ने व्यापार, निवेश, ऊर्जा, रक्षा, सुरक्षा, संस्कृति, दूतावास मुद्दों, स्वास्थ्य देखभाल और मानव संसाधन में अपनी साझेदारी को मजबूत करने के लिए और कदम उठाने पर चर्चा की।’ मंत्रालय ने कहा कि दोनों पक्षों ने संयुक्त राष्ट्र, जी-20 और खाड़ी सहयोग परिषद जैसे बहुपक्षीय मंचों पर द्विपक्षीय सहयोग पर भी चर्चा की।
सऊदी विदेश मंत्री का सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करने का कार्यक्रम है। वह इस यात्रा पर ऐसे वक्त आए हैं, जब भारत, अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद के घटनाक्रमों को लेकर सभी ताकतवर देशों के संपर्क में है। बताया जाता है कि जयशंकर और अल सऊद के बीच वार्ता का मुख्य विषय अफगानिस्तान में हालात था। क्षेत्र का एक प्रमुख राष्ट्र होने के नाते काबुल में घटनाक्रमों पर सऊदी अरब का रुख मायने रखता है क्योंकि कतर तथा ईरान समेत खाड़ी क्षेत्र के अनेक देश अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे से पहले अफगान शांति प्रक्रिया में भूमिका निभा रहे थे। खाड़ी क्षेत्र में, भारत अफगानिस्तान में घटनाक्रमों को लेकर संयुक्त अरब अमीरात, सऊदी अरब, कतर और ईरान के साथ संपर्क में है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा था कि अफगानिस्तान में सत्ता परिवर्तन ‘समावेशी’ नहीं हुआ है, लिहाजा नयी व्यवस्था की स्वीकार्यता पर सवाल उठते हैं और इस परिस्थिति में उसे मान्यता देने के बारे में वैश्विक समुदाय को ‘सामूहिक’ और ‘सोच-विचार’ कर फैसला करना चाहिए। शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) और सामूहिक सुरक्षा संधि संगठन के राष्ट्राध्यक्षों की परिषद के 21वें शिखर सम्मेलन में प्रधानमंत्री मोदी ने अफगानिस्तान के मुद्दे पर भारत का रुख स्पष्ट करते हुए अपने डिजिटल संबोधन में यह कहा था। भारत और सऊदी अरब के बीच रक्षा और सुरक्षा रिश्तों में धीरे-धीरे विस्तार हो रहा है। सेना प्रमुख जनरल एम एम नर वणे पिछले साल दिसंबर में सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे, जो भारतीय सेना के किसी भी प्रमुख की इस देश की पहली यात्रा थी।