चीन भारत में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए पानी की तरह पैसा बहा रहा है। एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि चीन ने भारत के फिल्म जगत, यूनिवर्सिटीज, सामाजिक संस्थानों, रिसर्च संस्थानों, थिंक टैंक, सोशल मीडिया और टेक वर्ल्ड में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए जमकर खर्च किया है। इससे राष्ट्रीय सुरक्षा और लोकतंत्र के लिए गंभीर खतरे का अंदेशा है।
3 सितंबर को लॉ एंड सोसाइटी एलायंस की तरफ से जारी ‘मैपिंग चाइनीज फुटप्रिंट्स एंड इन्फ्लुएंस ऑपरेशन इन इंडिया’ शीर्षक वाली 76 पेज की रिपोर्ट यह जानने की कोशिश करती है कि भारत में चीनी पैर कितने गहरे और व्यापक हैं।
रिपोर्ट में विषयों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है और प्रमुख तत्वों और तरीकों की पहचान करती है, जिसमें चीनी खुफिया सेवाओं और चीनी कम्युनिस्ट पार्टी सरकार ने मनोरंजन उद्योग से लेकर शिक्षा तक तमाम भारतीय क्षेत्रों में गहराई से खुद को स्थापित किया है।
रिपोर्ट में भारतीय उद्योगों और उन क्षेत्रों को उजागर किया गया है, जहां चीन ने रणनीतिक निवेश के माध्यम से अपना प्रभाव वर्षो से बढ़ाता रहा है। यह रिपोर्ट भारत में आम आदमी, मतदाताओं की राय को आकार देने के लिए अपने प्रभाव को बढ़ाने में बीजिंग के छिपे हुए अजेंडे को भी छूती है।
चीन वित्तीय निवेशों के संयोजन, कन्फ्यूशियस संस्थानों के माध्यम से सामाजिक-राजनीतिक क्षेत्र में प्रॉपगैंडा करने के लिए, अपनी कोशिश को और आगे बढ़ाने के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था व समाज में प्रवेश करने के लिए अपनी प्लेबुक में हर चाल का उपयोग कर रहा है।
चीन अपने स्वार्थी आख्यान, कार्यो और उद्देश्यों के बारे में प्रचार कर भारतीय समाज के भीतर कलह पैदा करने की कोशिश भी कर रहा है।
पिछले कुछ वर्षो में चीन ने बार-बार भारतीय मनोरंजन उद्योग में घुसपैठ करने और फिल्मों के सह-निर्माण के तंत्र के माध्यम से बॉलीवुड को प्रभावित करने की कोशिश की है।
बॉलीवुड को प्रभावित करने के बीजिंग के प्रयास का सबसे स्पष्ट सबूत है 2019 में बीजिंग अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में चीन-भारत फिल्म सह-निर्माण संवाद की मेजबानी। चीनी प्रभाव ने शाहरुख खान और कबीर खान जैसे भारतीय सिनेमा के प्रमुख दिग्गजों की भागीदारी को भी सफलतापूर्वक सुनिश्चित किया।
रिपोर्ट में इस बात पर भी रोशनी डाली गई है कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी ने विशेष रूप से भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक भारतीय पैरवीकार की अध्यक्षता में कैसे लॉबी समूह बनाया है।
बीजिंग का प्रभाव सूक्ष्म, लेकिन व्यवस्थित रहा है। चीनी फिल्म नियामक निकायों में प्रमुख व्यक्तियों को जीतने में कामयाब रहे हैं, जिन्होंने यह सुनिश्चित किया है कि बॉलीवुड में चीनी हितों का अच्छी तरह से प्रतिनिधित्व किया जाता है, या कम से कम नुकसान नहीं होता है।
इसका एक उदाहरण यह है कि कैसे चीन ने फिल्म ‘रॉकस्टार’ के निर्माताओं को उस झंडे को धुंधला करने के लिए सफलतापूर्वक प्रभावित किया, जिस पर ‘फ्री तिब्बत’ लिखा हुआ था। इसे फिल्म के एक लोकप्रिय गाने में दिखाया गया था।