कांग्रेस से पिछले 7 वर्षों में सबसे अधिक सांसदों, विधायकों, और उम्मीदवारों ने अलग होकर दूसरे दलों का दामन थाम लिया और इसी अवधि में बीजेपी सबसे अधिक फायदे में रही क्योंकि सबसे ज्यादा नेता उसके साथ जुड़े। गुरुवार को जारी एक रिपोर्ट में यह कहा गया है।
चुनावी राजनीति पर नजर रखने वाली संस्था ‘असोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स’ (एडीआर) की ओर से उम्मीदवारों के चुनावी हलफनामों का विश्लेषण करने से पता चलता है कि 2014 से 2021 के दौरान कुल 222 उम्मीदवार कांग्रेस छोड़कर दूसरी पार्टियों में शामिल हो गए। इसी दौरान 177 सांसदों और विधायकों ने भी देश की सबसे पुरानी पार्टी का साथ छोड़ दिया। इन सात वर्षों में कई दलों के 115 उम्मीदवार और 61 सांसद-विधायक कांग्रेस में शामिल भी हुए।
एडीआर की रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 2014 से बीजेपी से भी 111 उम्मीदवार और 33 सांसद-विधायक अलग हुए, हालांकि इसी अवधि में 253 उम्मीदवार और 173 सांसद एवं विधायक दूसरे दलों को छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए। रिपोर्ट के अनुसार, सात साल में कुल 1133 उम्मीदवारों और 500 सांसदों-विधायकों ने पार्टियां बदलीं और चुनाव लड़े।
कांग्रेस के बाद बहुजन समाज पार्टी दूसरी ऐसी पार्टी रही जिसे सबसे अधिक उम्मीदवारों और सांसदों-विधायकों ने छोड़ा। पिछले सात वर्षों के दौरान 153 उम्मीदवार और 20 सांसद-विधायक बसपा से अलग होकर दूसरी पार्टियों में चले गए। इसी के साथ, कुल 65 उम्मीदवार और 12 सांसद-विधायक भी बसपा में शामिल हुए।
रिपोर्ट में कहा गया है कि 2014 से समाजवादी पार्टी से 60 उम्मीदवार और 18 सांसद-विधायक अलग हुए। इस दौरान 29 उम्मीदवार और 13 सांसद-विधायक उसके साथ जुड़े।
इसी तरह कुल 31 उम्मीदवारों और 26 सांसदों एवं विधायकों ने तृणमूल कांग्रेस का साथ छोड़ा। इस दौरान 23 उम्मीदवार और 31 सांसद-विधायक उसमें शामिल भी हुए।
एडीआर की रिपोर्ट के अनुसार, जनता दल (यू) के 59 उम्मीदवारों और 12 सांसदों-विधायकों ने दल बदला। इस दौरान 23 उम्मीदवार और 12 विधायक एवं सांसद उसमें शामिल हुए।
प्रतीकात्मक तस्वीर