कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी आज से दो दिन के जम्मू कश्मीर के दौरे पर पहुंच गए हैं। यहां वो पहले माता वैष्णो देवी के दर्शन करेंगे और कल अगले दिन जम्मू में पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करेंगे। राहुल गांधी का एजेंडा पार्टी में खोए हुए जनाधार को हासिल करने के साथ ही कार्यकर्ताओं में जान फूंकने की कोशिश होगी। माना जा रहा है कि अगले साल वहां चुनाव हो सकते हैं। एक ओर राहुल गांधी जम्मू कश्मीर के दौरे पर हैं तो वहीं दूसरी ओर कांग्रेस शासित राज्यों में घमासान छिड़ा है।
पंजाब का झगड़ा नहीं हो रहा शांत
पंजाब कांग्रेस में पिछले कई महीनों से घमासान छिड़ा हुआ है लेकिन अब तक इसका कोई हल निकलता नहीं दिखाई पड़ रहा है। पहले पंजाब कांग्रेस की कमान नवजोत सिंह सिद्धू को न देने और अब दिए जाने के बाद भी जारी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। सिद्धू के सलाहकारों के विवादित बयान और उसके बाद मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह खुलकर विरोध। इन सबके बीच पंजाब प्रभारी हरीश रावत दिल्ली से पंजाब और पंजाब से दिल्ली का दौरा लगातार कर रहे हैं। पिछले दिनों हरीश रावत ने कहा कि हमने बड़ी मेहनत से पंजाब में एक आशा का वातावरण पैदा किया है। मेरा कांग्रेस के लोगों से आग्रह है कि इस विश्वास को खंडित न करें। रावत ने स्पष्ट किया कि अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। बावजूद इसके झगड़ा शांत नहीं हो रहा है और वहां भी अगले साल चुनाव है लेकिन इगड़ा सुलझता नहीं दिख रहा।
कुछ ही महीने बाद चुनाव फिर यूपी से क्यों है दूरी
कुछ महीने बाद जिन राज्यों में चुनाव होने वाले हैं उसमें सबसे अधिक महत्वपूर्ण उत्तर प्रदेश का चुनाव है। अधिकांश राजनीतिक दलों ने अभी से अपनी पूरी ताकत लगा दी है। हालांकि कांग्रेस की ओर से अब तक इस दिशा में कोई बड़ा प्रयास धरातल पर उतरता नजर नहीं दिखाई पड़ रहा। पार्टी अकेले चुनाव में जाएगी या किसी दल के साथ गठबंधन करेगी इसका भी फैसला नहीं हो सका है। हालांकि बीच- बीच में यह जरूर कहा जा रहा है कि पार्टी छोटे दलों के साथ प्रदेश में गठबंधन करेगी। जमीनी स्तर पर पार्टी कार्यकर्ताओं में मायूसी है और इसे दूर किए जाने का अभी तक कोई प्रयास नहीं दिख रहा। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल राहुल गांधी की प्रदेश से दूरी को लेकर भी है। भारतीय जनता पार्टी के भी कई नेता इसको लेकर राहुल गांधी पर निशाना साध चुके हैं। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के नेताओं में इसको लेकर मायूसी हालांकि वो इसको खुलकर जाहिर नहीं कर सकते हैं।
पूरी तरह शांत नहीं हुआ है छत्तीसगढ़ का झगड़ा
छत्तीसगढ़ में भी पिछले कुछ समय से मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर घमासान छिड़ा है। पार्टी की ओर से भले ही यह कहा जा रहा हो कि मामला शांत हो गया है लेकिन मामला अभी शांत हुआ नहीं है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टी एस सिंहदेव के बीच ढाई साल के सीएम फॉर्म्यूले को लेकर शुरू हुआ यह झगड़ा अभी खत्म नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि यह घमासान के पहले की शांति भर है क्योंकि बघेल और सिंहदेव के बीच झगड़े में उबाल भले अभी आया हो, इसकी शुरुआत प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने से भी पहले ही हो गई थी। वहीं दूसरी ओर राजस्थान कांग्रेस का झगड़ा भी अब तक पूरी तरह शांत नहीं हुआ है। कुछ समय पहले यूपी कांग्रेस के बड़े नेता जितिन प्रसाद के बीजेपी में शामिल होने के बाद सचिन पायलट के नाराजगी की खबरें दोबारा से सामने आने लगी थी। यहां का झगड़ा भी फिलहाल सुलझता नहीं दिख रहा।