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नई दिल्‍ली
देश ने इस तरह के मुश्किल समय का सामना शायद ही किया है। एक साथ कई बीमारियों ने हम पर हमला कर दिया है। कोरोना से अभी पिंड छूटा भी नहीं है कि निपाह, डेंगू और रहस्‍यमय बुखार ने चिंता बढ़ा दी है। देश में कोविड-19 की तीसरी लहर के खतरे के बीच यूपी में ‘रहस्‍यमय बुखार’ सैकड़ों लोगों की जानें लील चुका है। दिनों दिन प्रदेश में इसका कहर बढ़ता जा रहा है। वहीं, कोरोना और जीका के बाद केरल में निपाह वायरस ने पांव फैलाने शुरू कर दिए हैं। यह वायरस जानवरों से इंसानों में फैलता है। उधर, देशभर में डेंगू के बढ़ते प्रकोप की खबरें भी सामने आई हैं।

सेहत और स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से मौजूदा स्थितियां वाकई चुनौतीपूर्ण हैं। कई मोर्चों पर भारत संकट देख रहा है। देश में कोरोना का कहर अब तक नहीं थमा है। न केवल अब भी संक्रमण के नए मामले आ रहे हैं, बल्कि वायरस से मौतें भी हो रही हैं। सोमवार को भारत में एक दिन में कोरोना के 38,948 नए मामले सामने आए। इसके बाद देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 3,30,27,621 हो गई। वहीं, 219 और लोगों की संक्रमण से मौत के बाद इस वायरस से जान गंवाने वाले की संख्या बढ़कर 4,40,752 हो गई। इसका साफ मतलब है कि कोरोना खत्‍म नहीं हुआ है और एहतियात की जरूरत है। ज्‍यादा चिंता केरल को लेकर है। प्रदेश में कोरोना का प्रकोप अचानक बढ़ा है। बीते रोज (रविवार) राज्‍य में संक्रमण से 74 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, 26,701 नए मामले आए थे। महाराष्‍ट्र में भी कोरोना का तांडव जारी है और लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। रविवार को ही प्रदेश में 67 लोगों की इस वायरस से मौत हुई। बेशक, कोरोना वैक्‍सीनेशन ने देशभर में रफ्तार पकड़ी है। लेकिन, अब भी बड़ी संख्‍या में लोग बचे हुए हैं जिन्‍हें कोरोना का पहला टीका भी नहीं लगा। 18 साल से कम उम्र के लोग तो इस वैक्‍सीनेशन प्रोग्राम में अब तक शामिल हुए भी नहीं हैं।

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निपाह नया सिरदर्द
कोरोना के कहर से जूझ रहे केरल में निपाह ने भी सिरदर्द पैदा किया है। कोझिकोड जिले में 12 साल के एक लड़के की निपाह वायरस संक्रमण से रविवार सुबह मौत हो गई थी। राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान को भेजे गए नमूने में उसके इस वायरस से संक्रमित होने की पुष्टि हुई थी। यह जानवरों से इंसानों में फैलने वाला जानलेवा वायरस है। संक्रमण से एक बच्‍चे की मौत के बाद पूरा प्रशासनिक अमला चौंकन्‍ना हो गया है। इसके लक्षण भी कोरोना संक्रमण के लक्षणों से मिलते-जुलते हैं।

रहस्‍यमय बुखार ले रहा है जान
वहीं, यूपी इन दिनों ‘रहस्‍यमय बुखार’ की गुत्‍थी सुलझाने में फंस गया है। पिछले एक सप्‍ताह से यूपी के कई जिलों में रहस्‍यमय बुखार का प्रकोप बढ़ा है। खासतौर से फिरोजाबाद में इसका बहुत ज्‍यादा कहर देखा गया है। राज्‍य में इससे 100 से ज्‍यादा मौतें होने की खबरें हैं। मुख्‍य रूप से इसने बच्‍चों को शिकार बनाया है। वायरल फीवर और डेंगू ने भी राज्‍य में तेजी से पांव पसारें हैं। इसे लेकर अब राजनीति भी गरमाने लगी है। प्रदेश में प्रमुख विपक्षी दल सपा के प्रेसीडेंट व पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने इस पर योगी सरकार पर हमला किया है। उन्‍होंने कहा है कि बच्‍चे वायरल फीवर और डेंगू से दम तोड़ रहे हैं और योगी आदित्‍यनाथ झूठे दावे करते फिर रहे हैं कि सब कुछ ठीक है।

वहीं, केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि सेंट्रल टीम ने पाया है कि उत्तर प्रदेश के फिरोजाबाद जिले में बच्‍चों में वायरल फीवर और मौतों के ज्‍यादातर मामले डेंगू के कारण हैं। उन्‍होंने बताया है कि कुछ मामले स्क्रब टाइफस और लेप्टोस्पायरोसिस के कारण हैं।

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दिल्‍ली, महाराष्‍ट्र में भी डेंगू का कहर
राजधानी दिल्‍ली और महाराष्‍ट्र में भी डेंगू, मलेरिया सहित मौसमी बीमारियों ने कहर बरपा रखा है। दिल्‍ली में इस साल अब तक डेंगू के कम से कम 124 मामले सामने आए हैं। नगर निगम की ओर से सोमवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है। रिपोर्ट के अनुसार, एक जनवरी से चार सितंबर की अवधि के दौरान डेंगू के मामलों की संख्या 2018 के बाद से इस साल सबसे अधिक है। साल 2018 में इसी अवधि के दौरान डेंगू के 137 मामले सामने आए थे। डेंगू के मच्छर साफ और स्थिर पानी में पैदा होते हैं। वहीं, मलेरिया के मच्छर गंदे पानी में भी पनपते हैं।

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उधर, मुंबई में पिछले साल अगस्‍त की तुलना में इस साल डेंगू के मामलों में कई गुना की बढ़ोतरी हुई है। डेंगू के मामले पिछले साल अगस्त में सिर्फ 10 थे जो इस साल इसी महीने में बढ़कर 130 से अधिक हो गए। इसे देखते हुए बृहन्मुंबई नगर निगम (बीएमसी) ने सोमवार को शहर के धोबी घाट इलाके को साफ करने के लिए एक ड्रोन तैनात किया, ताकि मलेरिया और डेंगू जैसी मॉनसून से संबंधित बीमारियों के प्रसार को रोका जा सके। इसी तरह देश की वाणिज्यिक राजधानी में मलेरिया के लगभग 3,000 मामले, गैस्ट्रोएंटेराइटिस के 275 से अधिक, लेप्टोस्पायरोसिस और हेपेटाइटिस के 35 से अधिक मामले और एच1एन1 के एक दर्जन से अधिक मामले देखे गए हैं, लेकिन किसी की मौत नहीं हुई है।

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