23 जून की सुबह-सुबह संजय गांधी दिल्ली फ्लाइंग क्लब के पूर्व इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना के घर पहुंच गए थे। वहां पहुंचते ही संजय गांधी ने सुभाष सक्सेना से कहा कि मेरे साथ फ्लाइट पर चलिए। जब संजय गांधी अपनी कार पार्क करने गए तो कैप्टन सुभाष ने सोचा कि क्यों न तब तक एक चाय पी ली जाए, इसके लिए वह फ्लाइंग क्लब के मुख्य भवन पहुंच गए। हालांकि वह चाय पी नहीं पाए क्योंकि एक चपरासी ने उन्हें बताया कि संजय गांधी प्लेन में सवार हो चुके हैं।
चौथी कलाबाजी के दौरान बंद हो गया था विमान का इंजन
कैप्टन सक्सेना संजय गांधी के साथ पिट्स प्लेन में सवार हो गए। वह प्लेन के अगले हिस्से में बैठे जबकि संजय गांधी पिछले हिस्से में बैठे। संजय गांधी ने ही प्लेन का कंट्रोल संभाला हुआ था। घड़ी में जब 7 बजकर 58 मिनट हो रहे थे उस वक्त संजय गांधी पिट्स प्लेन के साथ टेक ऑफ कर चुके थे। संजय गांधी गाड़ी बहुत तेज चलाते थे और शायद वह प्लेन को भी गाड़ी जैसा ही समझते थे। इसलिए टेक ऑफ करने के बाद संजय गांधी ने नियमों की भी परवाह नहीं की और दिल्ली के रिहायशी इलाके के ऊपर ही पिट्स प्लेन से तीन कलाबाजियां खाईं, लेकिन जब वह चौथी कलाबाजी लगाने जा रहे थो तो विमान के इंजन ने काम करना बंद कर दिया। इसके बाद प्लेन मुड़ा और जमीन से जा टकराया।
मलबे से कुछ दूर पड़ा था संजय गांधी का शव
एकदम नया पिट्स प्लेन मलबे में तब्दील हो चुका था। प्लेन को देखकर ऐसा लग रहा था कि किसी धातु से बनी चीज को तोड़-मरोड़कर रख दिया हो। प्लेन में आग तो नहीं लगी थी, लेकिन उसके चारों तरफ काले धुएं का अंबार लगा हुआ था। कैप्टन सक्सेना के एक सहायक ने भी विमान को गिरते हुए देखा था। कैप्टन के सहायक जब घटना स्थल पर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि संजय गांधी का शव विमान से कुछ दूरी पर पड़ा हुआ था जबकि कैप्टन सक्सेना का शव विमान के मलबे के नीचे दबा हुआ था। इस वाक्ये का जिक्र रानी सिंह की किताब ‘सोनिया गाँधी: एन एक्सट्राऑर्डिनरी लाइफ’ में भी किया गया है।
एक दिन पहले मेनका गांधी को भी प्लेन में घुमाया था
हादसे के एक दिन पहले यानी 22 जून को संजय गांधी ने अपनी पत्नी मेनका गांधी को भी प्लेन में सफर कराया था, उस वक्त भी वह खुद ही प्लेन उड़ा रहे थे। दोनों के साथ इंदिरा गांधी के विशेष सहायक आरके धवन और धीरेंद्र ब्रह्मचारी भी मौजूद थे। उस दिन संजय गांधी ने करीब 40 मिनट तक दिल्ली के आसमान में चक्कर लगाए थे। हादसे वाले दिन तो संजय गांधी का प्लान मौजूदा केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया के साथ प्लेन लेकर जाने का था, लेकिन अचानक ही संजय गांधी दिल्ली फ्लाइंग क्लब के पूर्व इंस्ट्रक्टर सुभाष सक्सेना के घर पहुंच गए थे। उसके बाद जो हुआ वो आज भी एक दर्दनाक याद के तौर पर लोगों की जेहन में दर्ज है।
कोल्हापुरी चप्पल पहनकर ही उड़ाने लगते थे प्लेन
वरिष्ठ पत्रकार और लेखक रहे विनोदा मेहता ने भी अपनी किताब ‘द संजय स्टोरी’ में इस हादसे का जिक्र किया है। विनोद मेहता ने अपनी किताब में लिखा है, ‘इस तरह के हादसे की आशंका पहले से ही जताई जा रही थी क्योंकि संजय गांधी बहुत ही खतरनाक तरीके से प्लेन उड़ाते थे। विमानन विभाग के अधिकारियों ने इस बात इंदिरा गांधी को भी चेताया था। हद तो ये थी कि संजय गांधी कोल्हापुरी चप्पलों में ही प्लेन उड़ाने लगते थे।’ विनोद मेहता अपनी किताब में लिखते हैं कि राजीव गांधी ने कई बार संजय गांधी को प्लेन उड़ाने के दौरान जूते पहनने की सलाह दी थी, लेकिन उन्होंने किसी की नहीं सुनी।
राजीव गांधी ने पिट्स प्लेन उड़ाने से किया था मना
देश के पूर्व प्रधानमंत्री और संजय गांधी के बड़े भाई राजीव गांधी ने उन्हें पिट्स प्लेन उड़ाने से मना भी किया था क्योंकि संजय गांधी के पास प्लेन उड़ाने का बहुत खास अनुभव नहीं था, लेकिन संजय नहीं माने और प्लेन उड़ाने चले गए। संजय गांधी के पास प्लेन उड़ाने का बस 300 से 350 घंटे का ही अनुभव था। हाल ही में राजीव गांधी पर आयोजित एक फोटो प्रदर्शनी पर बनाए गए 5 मिनट के वीडियो में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस बात जिक्र भी किया था। राहुल गांधी ने कहा- ‘उन्हें (संजय गांधी को) वह प्लेन नहीं उड़ाना चाहिए था लेकिन उन्होंने उड़ाया। और वही हुआ जो उड़ाने का अनुभव न होने पर होता है। आसानी से खुद की जान ली जा सकती है।’
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गाड़ी भी तेज ही चलाते थे संजय गांधी
दिवंगत कांग्रेस नेता जनार्दन सिंह गहलोत बताते थे कि संजय गांधी गाड़ी बहुत तेज चलाते थे। संजय गांधी के साथ अपने सफर का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया था, ‘एक बार हम, संजय गांधी और अंबिका सोनी पंजाब से आ रहे थे। संजय गांधी गाड़ी खुद चला रहे थे और हमारी ये हालत थी कि हाथ-पैर फूल रहे थे। हमें डर था कि कहीं ऐक्सिडेंट न हो जाए। हम जब उन्हें टोकते तो कहते कि डरते हो क्या?’ विमान हादसे वाले दिन को याद करते हुए जनार्दन सिंह ने बताया था, जिस दिन वह (संजय गांधी) प्लेन उड़ाने गए थे, मेनका गांधी ने इंदिरा जी से कहा था कि वो संजय से गोता (कलाबाजियां) न लगाने के लिए कहे और उन्हें रोक लें, लेकिन जब तक इंदिरा जी बाहर पहुंचती, वह अपनी गाड़ी ले कर निकल चुके थे और उसी दिन ये हादसा हो गया।’ संजय गांधी की तेज प्लेन उड़ाने की आदत से पूरा गांधी परिवार डरता था।