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नई दिल्ली
रीढ़ की हड्डी में क्षय रोग (टीबी) से पीड़ित और साथ ही एचआईवी से संक्रमित 22 वर्षीय व्यक्ति को चार घंटे के ऑपरेशन के बाद एक नया जीवन मिला और इस ऑपरेशन का ऑनलाइन आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रम के तहत सीधा प्रसारण किया गया। आयोजकों ने सोमवार को यह जानकारी दी।

कोविड-19 महामारी के दौरान रीढ़ से संबंधित समस्याओं के बढ़ते मामलों के बीच ‘एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन ऑफ इंडिया’ (एएसएसअई) ने तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें रीढ़ की हड्डी के ऑपरेशन संबंधी निर्देशात्मक पाठ्यक्रम संचालित किए गए। इस कार्यक्रम का आयोजन 27 से 29 अगस्त तक किया गया।

एएसएसआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि कार्यक्रम के तीसरे दिन सर्जन ने चार घंटे का ऑपरेशन किया, जिसका सीधा प्रसारण किया गया। इस ऑपरेशन के कारण मरीज को एक नया जीवन मिला। कार्यक्रम के आयोजकों ने बताया कि रोग प्रतिरोधी क्षमता कमजोर हो जाने के कारण 22 वर्षीय व्यक्ति लंबोसैकरल (रीढ़ की हड्डी का निचला हिस्सा) क्षय रोग से पीड़ित हो गया था और वह पिछले दो महीने से रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से में संक्रमण से जूझ रहा था। इसके कारण उसकी चलने, बैठने और मूत्र को नियंत्रित करने की क्षमता प्रभावित हुई थी और उसके शरीर में बहुत दर्द था।

उन्होंने बताया कि मरीज जब ‘इंडियन स्पाइनल इंजरी सेंटर’ (आईएसआईसी) गया, तो एनेस्थीसिया देकर बेहोश करने के बाद उसका एमआरआई किया गया। उसके लंबोसैकरल टीबी से पीड़ित होने का पता चला। यह क्षय रोग का एक घातक रूप है जो बच्चों और युवाओं में अधिक पाया जाता है। बयान में कहा गया कि ओ-आर्म और नेविगेशन जैसी आधुनिक तकनीक का उपयोग करते हुए रीढ़ की हड्डी के सर्जन के एक दल ने ऑपरेशन किया और इसे लगभग 200 प्रतिनिधियों के अलावा 25 अंतरराष्ट्रीय और 50 से अधिक भारतीय विशेषज्ञों ने ऑनलाइन देखा।

इसमें बताया गया कि मरीज एचआईवी से संक्रमित था, इसलिए सर्जन टीम ने घातक वायरस को फैलने से रोकने के लिए अत्यंत सावधानी बरती। आयोजकों ने दावा किया कि ऑपरेशन के कुछ घंटों बाद रोगी बिना किसी सहारे और बिना दर्द के बैठने और खड़े होने तथा मूत्र रोकने में सक्षम था। एएसएसआई ने स्पाइनल कॉर्ड सोसाइटी और आईएसआईसी के साथ मिलकर इस कार्यक्रम का आयोजन किया।



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