Crime News India


नई दिल्‍ली
अफगानिस्‍तान पर तालिबान के कब्‍जे के बाद वहां हालात बेकाबू हैं। पड़ोसी मुल्‍क एक के बाद एक दर्दनाक खूनी मंजरों का गवाह बन रहा है। गुरुवार को फिर ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला वाकया सामने आया। काबुल हवाई अड्डे पर आत्मघाती धमाकों में 169 अफगान और 13 अमेरिकी सैनिकों की मौत हो गई। इस हमले की जिम्‍मेदारी ली इस्लामिक स्टेट- खुरासान (ISIS-K) ने। इसने अफगानिस्‍तान से निकल रहे अमेरिकी सैनिकों, अफगान नागरिकों और तालिबान लड़ाकों को निशाना बनाते हुए इस अटैक को अंजाम दिया। इस्लामिक स्टेट- खुरासान (ISIS-K) खुद को तालिबान का कट्टर दुश्‍मन बताता है। आतंकी समूह तालिबान को अमेरिका की कठपुतली मानता है। उसने तालिबान पर सही मायनों में शरिया का प्रचार नहीं करने का आरोप लगाया है। आईएसआईएस की इस ‘सब्‍स‍िडियरी’ ने अफगानिस्तान में जिहाद के नए चरण का वादा भी किया है। अमेरिका भी इसी तरह के और हमलों की आशंका जता चुका है।

इस्लामिक स्टेट- खुरासान (ISIS-K) ने फिलहाल यह तो जरूर दिखा दिया है कि जि‍हाद के नाम पर आतंक का चेहरा कितना काला हो सकता है। घोर कट्टरता की यह ‘सीमा’ कितनी नीचे है, इसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल है। रौंगटे खड़े कर देने वाले ISIS-K के हमले के बाद यह भी तय है कि तालिबान के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। जो असलहा और गोली-बारूद दिखाकर उसने सत्‍ता पाने की राह बनाई है, अभी आतंक के और ‘क्रूर’ चेहरे से उसे दो-चार होना है।

तालिबान का बड़ा बयान, भारत क्षेत्र का अहम हिस्‍सा, बनाना चाहते हैं अच्‍छे संबंध

तालिबान से कैसे है अलग?
ISIS-K तालिबान से कहीं ज्‍यादा निर्मम और क्रूर है। तालिबान खुद को अफगान राष्‍ट्रवादी के तौर पर पेश करते हैं। वे अपने को पश्‍तून के हितों का सबसे पड़ा पैरोकार बताते हैं। वहीं, ISIS-K की विचारधारा ISIS (इस्‍लामिक स्‍टेट ऑफ इराक एंड सीरिया) से प्रेरित है। ISIS वही आतंकी समूह है जिसने 2014 में इराकी फौजों को बाहर धकेलने के बाद न केवल मोसुल को अपनी राजधानी घोषित किया, बल्कि अपने सरगना अबू बकर अल-बगदादी को मुसलमानों का नया खलीफा भी बताया। इसके बाद से ही ISIS का कद और उसकी ताकत लगातार बढ़ती रही। ISIS-K का केंद्रीय नेतृत्‍व और काडर पाकिस्‍तान और उज्‍बेकिस्‍तान के लोगों से बना है। यह तौर-तरीकों में तालिबान से भी कट्टर है।

क्‍या है ISIS-K की मंशा
ISIS-K की मंशा तालिबान से कहीं ज्‍यादा बड़ी और खतरनाक है। उसका इरादा ईरान, सेंट्रल एशियाई देशों, अफगानिस्‍तान और पाकिस्‍तान को मिलाकर एक इस्‍लामी प्रांत बनाने का है। वह शिया, सिख, हिंदू और ईसाइयों का क्षेत्र में पूरी तरह से सफाया चाहता है।

तालिबान-हक्‍कानी नेटवर्क से जुड़े हैं आईएसआईएस के तार, अमरुल्‍ला सालेह का पाकिस्‍तान पर वार

ISIS-K को कहां से मिलते हैं लोग?
आप यह बात जरूर सोचते होंगे कि इतने ऑपरेशनों के बाद भी ऐसी कौन सी फैक्‍ट्री खुली हुई है जो इन आतंकियों की सप्‍लाई बराबर बनाए रखती है? दरअसल, ये कोई और नहीं, बल्कि पाकिस्‍तान, सेंट्रल एशिया, रूस के उत्‍तरी कॉकेसस और चीन के शिनजियांग के मजहबी कट्टरपंथी हैं। ISIS-K को अफगानिस्‍तान में बने ताजा हालात का फायदा उठाने का मौका मिल गया है। उसे पता है कि देश पूरी तरह से अस्‍त-व्‍यस्‍त स्थिति में है। यही वह समय है जब यहां अपनी पकड़ मजबूत की जा सकती है। संयुक्‍त राष्‍ट्र की एक रिपोर्ट की मानें तो अफगानिस्‍तान से अमेरिकी फौजों की वापसी की शुरुआत होने से पाकिस्‍तान, सेंट्रल एशिया, रूस के उत्‍तरी कॉकेसस और चीन के शिनजियांग से 8,000-10,000 विदेशी लड़ाकों की देश में एंट्री हुई है। यह अफगानिस्‍तान में पूरी तरह इस्‍लामी राज चाहता है।

कैसे युवाओं को बरगलाया जाता है?
ISIS-K बड़े सुनियोजित तरीके से अपने शिकार ढूंढता है। उसकी एक फौज इंटरनेट पर भी लगी रहती है। वह उसके विचारों को मान्‍यता देने वालों पर नजर रखती है। इन्‍हें उसका ‘हमदर्द’ भी कहा जा सकता है। जिहाद के नाम पर यह सोशल मीडिया के जरिये लोगों के साथ विचार साझा करता है। जब यकीन हो जाता है कि व्‍यक्ति का ‘ब्रेनवॉश’ हो गया है तो उसे टोली में जगह दी जाती है। आतंकी समूह इस तरह का पासा फेंक देता है कि उसकी गिरफ्त से निकलना नामुमकिन हो जाता है।



Source link

By admin

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *